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Kannauj: जिसे राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने किया रोशन, वहां 53 महीने से अंधेरा
तारिक इकबाल, अमर उजाला, कन्नौज
Published by: शिखा पांडेय
Updated Sat, 27 Jul 2024 05:17 PM IST
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फकीरापुर में बना सोलर प्लांट
- फोटो : अमर उजाला
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मिसाइल मैन के नाम से मशहूर भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने नौ साल पहले अपनी आखिरी सांस से ठीक 20 दिन पहले जिस सोलर प्लांट को रोशन किया था, वहां अब 53 महीने से अंधेरा है। सिस्टम की लापरवाही देखिए हर बार आश्वासन के सहारे उसे रोशन करने की कोशिश तो की गई, लेकिन बजट के अभाव में मामूली सी मरम्मत नहीं हो सकी। धीरे-धीरे चार साल से ज्यादा हो गया। अब तक उसे शुरू नहीं किया जा सका है।
तिर्वा तहसील के उमर्दा ब्लॉक क्षेत्र के फकीरापुर और चंदुआहार गांव को 250 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट की सौगात देते हुए वह अपनी अनोखी मुस्कुराहट के साथ कन्नौज के बाशिंदों से रूबरू भी हुए थे। उन्होंने कहा था कि देश को उर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोलर शक्ति को अपनाना होगा। इससे देश आत्मनिर्भर होगा।
दो गांव में मिल रही थी मुफ्त बिजली, लोग हो रहे थे आत्मनिर्भर
इस सोलर प्लांट से दो गांव फकीरापुर और चंदुआहार बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गए थे। करीब 800 परिवार को को सौर ऊर्जा से रोशन किया गया था। उससे पहले इन दोनों गांव में बिजली नहीं थी। मुफ्त बिजली पाकर गांव के बाशिंदों की खुशी देखते ही बनती थी। उन्हें घरेलू कनेक्शन के अलावा दुकान व कारखाना के लिए कामर्शियल कनेक्शन भी मुफ्त दिया गया था। इसके अलावा गांव के लोगों को सिंचाई और रोजगार के लिए 12 टयूबवेल, चार आटा चक्की और दो पोल्ट्रीफार्म को भी सोलर प्लांट से मुफ्त बिजली मिलती थी।
फरवरी 2020 से दूर हो गए अच्छे दिन
शुरू के चार साल तक यह प्लांट सही चलता रहा। वर्ष 2020 के शुरु होते ही इसके बुरे दिन आ गए। फरवरी 2020 में बारिश के दौरान आसमानी बिजली गिरने से प्लांट में खामी आ गई। तब से अब तक कई बार मरम्मत के नाम पर आश्वासन ही मिलता रहा है। धीरे-धीरे करके 53 महीना गुजर चुका है।
मरम्मत के लिए खूब दौड़ी फाइल, अब हांफने लगी
यह अलग बात है कि सोलर प्लांट की खराबी को दूर करने के लिए कई बार पहल की गई। यहां से शासन तक बात पहुंचाई गई। नेडा की ओर से भी फाइल भेजी गई। हर बार आश्वासन ही मिलता रहा। मरम्मत नहीं हो सकी। कई बार बेंगलूर से इंजीनियरों के बुलने की बात भी बेकार साबित हुई।
बिजली विभाग के हवाले करने की थी तैयारी, नहीं बनी बात
नेडा के हवाले रहे इस सोलर प्लांट को यूपीपीसीएल के हवाले करने की भी कोशिश की गई। इसे लेकर अधिकारियों के बीच मंथन भी हुआ। तत्कालीन सीडीओ आरएन सिंह ने यूपीपीसीएल से संचालित होने की बात कही थी।हालांकि पहल अमल में नहीं बदल सकी। नेडा का प्रभारी देख रहे पीडीरामअवतार सिंह बताते हैं कि अब इसे लखनऊ की एक कंपनी के माध्यम से सर्वे करवाया गया है। अब वही कंपनी तय करेगी कि इसका संचालन किस तरह शुरू होगा। मरम्मत पर खर्च कितना आएगा। उसके बाद ही इसे शुरू करने के लिए पहल होगी।

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तिर्वा तहसील के उमर्दा ब्लॉक क्षेत्र के फकीरापुर और चंदुआहार गांव को 250 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट की सौगात देते हुए वह अपनी अनोखी मुस्कुराहट के साथ कन्नौज के बाशिंदों से रूबरू भी हुए थे। उन्होंने कहा था कि देश को उर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोलर शक्ति को अपनाना होगा। इससे देश आत्मनिर्भर होगा।
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दो गांव में मिल रही थी मुफ्त बिजली, लोग हो रहे थे आत्मनिर्भर
इस सोलर प्लांट से दो गांव फकीरापुर और चंदुआहार बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गए थे। करीब 800 परिवार को को सौर ऊर्जा से रोशन किया गया था। उससे पहले इन दोनों गांव में बिजली नहीं थी। मुफ्त बिजली पाकर गांव के बाशिंदों की खुशी देखते ही बनती थी। उन्हें घरेलू कनेक्शन के अलावा दुकान व कारखाना के लिए कामर्शियल कनेक्शन भी मुफ्त दिया गया था। इसके अलावा गांव के लोगों को सिंचाई और रोजगार के लिए 12 टयूबवेल, चार आटा चक्की और दो पोल्ट्रीफार्म को भी सोलर प्लांट से मुफ्त बिजली मिलती थी।
फरवरी 2020 से दूर हो गए अच्छे दिन
शुरू के चार साल तक यह प्लांट सही चलता रहा। वर्ष 2020 के शुरु होते ही इसके बुरे दिन आ गए। फरवरी 2020 में बारिश के दौरान आसमानी बिजली गिरने से प्लांट में खामी आ गई। तब से अब तक कई बार मरम्मत के नाम पर आश्वासन ही मिलता रहा है। धीरे-धीरे करके 53 महीना गुजर चुका है।
मरम्मत के लिए खूब दौड़ी फाइल, अब हांफने लगी
यह अलग बात है कि सोलर प्लांट की खराबी को दूर करने के लिए कई बार पहल की गई। यहां से शासन तक बात पहुंचाई गई। नेडा की ओर से भी फाइल भेजी गई। हर बार आश्वासन ही मिलता रहा। मरम्मत नहीं हो सकी। कई बार बेंगलूर से इंजीनियरों के बुलने की बात भी बेकार साबित हुई।
बिजली विभाग के हवाले करने की थी तैयारी, नहीं बनी बात
नेडा के हवाले रहे इस सोलर प्लांट को यूपीपीसीएल के हवाले करने की भी कोशिश की गई। इसे लेकर अधिकारियों के बीच मंथन भी हुआ। तत्कालीन सीडीओ आरएन सिंह ने यूपीपीसीएल से संचालित होने की बात कही थी।हालांकि पहल अमल में नहीं बदल सकी। नेडा का प्रभारी देख रहे पीडीरामअवतार सिंह बताते हैं कि अब इसे लखनऊ की एक कंपनी के माध्यम से सर्वे करवाया गया है। अब वही कंपनी तय करेगी कि इसका संचालन किस तरह शुरू होगा। मरम्मत पर खर्च कितना आएगा। उसके बाद ही इसे शुरू करने के लिए पहल होगी।