UP election 2022: क्षेत्रों के नाम के आधार पर बांटी जाती थीं विधानसभा सीटें, जानिए 1952 से पहले की प्रक्रिया
1952 के पहले विधानसभा चुनाव का क्षेत्र वर्तमान विधानसभा क्षेत्रों के नाम से पूरी तरह भिन्न था। जिस तरह से इन विधानसभा क्षेत्रों का बंटवारा किया गया था, उसी तरह से यहां पर चुनाव भी बड़े दिलचस्प अंदाज में लड़ा जाता था। कु छ प्रत्याशी ऐसे भी होते थे, जो जीतने के लिए नहीं दूसरे को हराने के लिए भी खुन्नस में मैदान में उतार दिए जाते थे।
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1952 के पहले विधानसभा चुनाव का क्षेत्र वर्तमान विधानसभा क्षेत्रों के नाम से पूरी तरह भिन्न था। जिस तरह से इन विधानसभा क्षेत्रों का बंटवारा किया गया था, उसी तरह से यहां पर चुनाव भी बड़े दिलचस्प अंदाज में लड़ा जाता था। तब कांग्रेस पार्टी को छोड़कर बाकी क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों के अलावा निर्दलीय रूप से भी कई चेहरे चुनाव मैदान में रहते थे।
कु छ प्रत्याशी ऐसे भी होते थे, जो जीतने के लिए नहीं दूसरे को हराने के लिए भी खुन्नस में मैदान में उतार दिए जाते थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में शहर इकाई उत्तर में वरिष्ठ उपाध्यक्ष शंकरदत्त मिश्र बताते हैं कि 1952 के बाद महानगर के सभी विधानसभा सीटों के क्षेत्रफल और नाम में कई बार परिवर्तन हुआ है।
पूर्वोत्तर विधानसभा क्षेत्र: इसमें जाजमऊ, छावनी और महानगर का बाहरी क्षेत्र शामिल है।
उत्तरी विधानसभा क्षेत्र: इसमें शहर का सिविल लाइंस और इसके आसपास के मोहल्ले और वार्ड शामिल थे।
मध्य पूर्वी क्षेत्र: इसमें मेस्टन रोड, कलक्टरगंज, लक्ष्मीपुरवा, इफ्तिखाराबाद के आसपास का क्षेत्र शामिल था।
मध्य पश्चिमी क्षेत्र: इसके तहत चमनगंज, लाल इमली के आसपास का क्षेत्र, चुन्नीगंज का क्षेत्र शामिल था।
दक्षिणी क्षेत्र: गोेविंदनगर, किदवई नगर, नौबस्ता, बर्रा और इसके आसपास के क्षेत्र शामिल थे।