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किसान दिवस: लाखों का पैकेज…विदेश का ऑफर छोड़ खेती से नाता जोड़ा, अब आधुनिक तकनीक से गांव में उगा रहे सोना

राघवेंद्र सिंह यादव 'राघव', अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Tue, 23 Dec 2025 03:11 PM IST
सार

Kanpur News: भीतरगांव के बीटेक इंजीनियर अभिषेक सचान ने 14 लाख का विदेशी पैकेज ठुकराकर इजरायली तकनीक से गांव में खेती शुरू की। अब वे तीन गुना अधिक फसल उगाकर युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

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Kanpur Farmers Day multimillion dollar package He turned down  lucrative offer from abroad and chose farming
चने की फसल दिखाते अभिषेक - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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आज की युवा पीढ़ी खेती को घाटे का सौदा मानती है। लेकिन भीतरगांव ब्लॉक के पतारी और चतुरीपुर गांव के युवा इंजीनियर इस सोच को बदल रहे हैं। लाखों का सालाना पैकेज और विदेश जाने का ऑफर छोड़ गांव आकर खेती को अपनाया और आधुनिक तकनीक के जरिए इसे सफल व्यवसाय के रूप में बदल दिया। भीतरगांव ब्लॉक के पतारी गांव निवासी अभिषेक सचान 12वीं तक पढ़ाई शहर के स्कूल में और अलीगढ़ से बीटेक करने के बाद निजी संचार विभाग कंपनी में बतौर इंजीनियर के पद पर नौकरी ज्वॉइन की। कंपनी ने सालाना पैकेज 14 लाख रुपये देने के साथ विदेश भेजने का ऑफर दिया।

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लेकिन नौकरी छोड़कर गांव में खेतीबाड़ी करना शुरू किया। अभिषेक बताते हैं हैं कि इजरायल देश से बाजरा का बीज मंगाकर बुओई की। इससे सामान्य बाजरा की तुलना में तीन गुना अधिक उपज मिला। भुट्टा चार फीट से भी लंबा निकला। अभिषेक इस बार गेहूं व चना बोआई कर नई तकनीक आजमा अजमा रहे हैं। बताते हैं कि प्रति बीघे मात्र 15 किलो आधुनिक गेहूं बीज का छिड़काव किया है। ड्रिप सिंचाई के बाद पूरा खेत गेहूं के किल्लों से भर गया है। इसके अलावा चने का बीच भी बाहर से मंगवाकर बोआई की है।

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ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले संजीव कुमार यादव - फोटो : amar ujala

वहीं, भारत सरकार का उपक्रम से कार्यपालक निदेशक के पद से फरवरी में सेवानिवृत्त हुए पतारा ब्लॉक के ककरहिया निवासी संजीव कुमार यादव भूटान में 1200 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना में मैनेंजिग डायरेक्टर के पद के दौरान ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की प्रेरणा मिली। सेवानिवृत्त के बाद इसकी खेती करने का मन बनाया। जुलाई में गांव ककरहिया की जमीन में तीन बीघे ड्रैगन फ्रूट का बाग लगाया। संजीव बताते हैं कि मेरा प्रयास इच्छुक किसानों को मार्गदर्शन से उनकी आमदनी बढ़ाना है।

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चतुरीपुर गांव से रसायन मुक्त हल्दी की खेती दिखाती रश्मि सचान - फोटो : amar ujala

दोनो बेंगलुरु में काम कर रहे थे
भीतरगांव ब्लॉक के चतुरीपुर गांव निवासी इंजीनियर दंपति ने वर्ष 2022 में बेंगलुरु में नौकरी छोड़कर अपने पैतृक गांव में रसायन-मुक्त प्राकृतिक खेती अपनाई है। अंकुर सचान सॉफ्टवेयर इंजीनियर व उनकी पत्नी रश्मि सचान मैकेनिकल इंजीनियर हैं। दोनो बेंगलुरु में काम कर रहे थे, कोरोना के दौरान वे अपने पैतृक गांव कानपुर लौट आए और रसायन मुक्त खेती करना शुरू किया। रश्मि बताती है कि सह-फसली विधि से एक साथ कई फसलें हल्दी, अमरूद, पपीता, सब्जियां पालक, मेथी, टमाटर, बैंगन उगा लेते हैं।

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