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Kasganj News: सर्दी में यूटीआई से ग्रसित हो रहीं महिलाएं
संवाद न्यूज एजेंसी, कासगंज
Updated Sun, 28 Dec 2025 11:09 PM IST
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फोटो12डॉ.नबीला अब्बास। संवाद
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कासगंज। सर्दी में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) की समस्या महिलाओं को ग्रसित कर रही है। जागरूकता की कमी के चलते कई महिलाएं शुरुआती लक्षणों को सामान्य मानकर अनदेखा कर देती हैं, जो आगे चलकर गंभीर रूप ले सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि समय रहते ध्यान नहीं देने पर यह संक्रमण किडनी को भी प्रभावित कर सकता है।
महिला चिकित्सक डॉ. नबीला अब्बासी के अनुसार सर्दियों में जिला अस्पताल में प्रतिदिन 8 से 10 तक महिलाएं यूटीआई की समस्या से ग्रसित पहुंच रही हैं। उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में प्यास कम लगने के कारण महिलाएं पानी कम पीती हैं और लंबे समय तक पेशाब रोक लेती हैं। यही आदतें यूटीआई की सबसे बड़ी वजह बनती हैं।
कई बार महिलाएं जलन या बार-बार पेशाब आने जैसी शिकायतों को नजर अंदाज कर देती हैं, इससे संक्रमण धीरे-धीरे गंभीर हो जाता है।
डॉक्टर ने बताया कि साफ-सफाई का ध्यान न रखना, गीले कपड़े देर तक पहनना और निजी स्वच्छता में लापरवाही भी संक्रमण को बढ़ावा देती है। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं लेने से संक्रमण कुछ समय के लिए दब जरूर जाता है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होता। इससे बीमारी दोबारा और ज्यादा गंभीर रूप में सामने आ सकती है।
उन्होंने बताया कि समय पर जांच और सही इलाज से यूटीआई को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। जागरूकता और सावधानी ही यूटीआई से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है।
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महिला चिकित्सक डॉ. नबीला अब्बासी के अनुसार सर्दियों में जिला अस्पताल में प्रतिदिन 8 से 10 तक महिलाएं यूटीआई की समस्या से ग्रसित पहुंच रही हैं। उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में प्यास कम लगने के कारण महिलाएं पानी कम पीती हैं और लंबे समय तक पेशाब रोक लेती हैं। यही आदतें यूटीआई की सबसे बड़ी वजह बनती हैं।
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कई बार महिलाएं जलन या बार-बार पेशाब आने जैसी शिकायतों को नजर अंदाज कर देती हैं, इससे संक्रमण धीरे-धीरे गंभीर हो जाता है।
डॉक्टर ने बताया कि साफ-सफाई का ध्यान न रखना, गीले कपड़े देर तक पहनना और निजी स्वच्छता में लापरवाही भी संक्रमण को बढ़ावा देती है। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं लेने से संक्रमण कुछ समय के लिए दब जरूर जाता है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होता। इससे बीमारी दोबारा और ज्यादा गंभीर रूप में सामने आ सकती है।
उन्होंने बताया कि समय पर जांच और सही इलाज से यूटीआई को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। जागरूकता और सावधानी ही यूटीआई से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है।
