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Kasganj News: पत्तियों का पीलापन रोक रहा गेहूं की बढ़वार

संवाद न्यूज एजेंसी, कासगंज Updated Sun, 21 Dec 2025 02:11 AM IST
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Yellowing of leaves is stopping the growth of wheat
फोटो10गेंहूं की फसल में  पीली पड़ी प​त्तियां। संवाद
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कासगंज। जनपद में करीब 93415 हेक्टेयर में बोई गई रबी की प्रमुख फसल गेहूं की पत्तियां पीली पड़ने से उसका समुचित विकास बाधित हो रहा है। साथ ही खेत की मिट्टी भी फट रही है। किसानों को आशंका है कि यह समस्या किसी रोग लगने की वजह से है। कृषि विज्ञान केंद्र मोहनपुरा के वैज्ञानिक डॉ. रितेश ने बताया कि यह समस्या किसी रोग के कारण नहीं है बल्कि उचित नमी एवं उर्वरक के अभाव के कारण है। इस समस्या के समाधान के लिए सबसे पहले नाइट्रोजन प्रबंधन पर ध्यान देना आवश्यक है। जिन खेतों में गेहूं की पत्तियां पीली पड़ गई हैं वहां किसान 45 से 50 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ की दर से टॉप ड्रेसिंग करें। यूरिया डालने के बाद तुरंत सिंचाई करना आवश्यक है। जहां अधिक पीलापन होने से फसल कमजोर अवस्था में है वहां त्वरित सुधार के लिए 2 प्रतिशत यूरिया घोल का पत्तियों पर छिड़काव करना लाभकारी है। उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल में में पीला एवं भूरा रतुआ और स्पॉट ब्लॉच रोग लगता। यह समस्या अभी यहां नहीं है। खेत में मिट्टी का फटना उचित नमी प्रबंधन के अभाव की वजह से है। ऐसे में तुरंत सिंचाई करना चाहिए। गेहूं में कुल्ले निकलने, गांठ बनने और बालियां आने की अवस्था पर सिंचाई अत्यंत आवश्यक है। खेतों में असमान पीला रंग या सफेद धारियां दिखाई देना जिंक की कमी का संकेत है। इसके लिए 10 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलकर प्रयोग करना चाहिए। त्वरित प्रभाव के लिए 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट और 0.25 प्रतिशत बुझा चूना का घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें जिससे पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की प्रति शीघ्र हो सके। किसान संतुलित उर्वरक प्रबंधन अपनाएं। समय पर सिंचाई करें तथा खेत की मिट्टी की जांच कराकर उसी के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करें। समय रहते सही प्रबंधन अपनाने से गेहूं की फसल स्वस्थ रहती है और उत्पादन में वृद्धि संभव है। वैज्ञानिक डॉ. रितेश कुमार ने कहा कि किसानों को दीर्घकालीन सुधार के लिए जैविक खादों का प्रयोग भी करना चाहिए। खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालने से मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है और पोषक तत्वों की उपलब्धता में सुधार होता है। फसल अवशेषों को जलाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे मिट्टी की उर्वरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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