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जिले में 15 से 49 साल की 55 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित
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जिले में महिलाओं की आधी से अधिक आबादी एनीमिया से पीड़ित है। यह रोग किशोरियों के शारीरिक विकास में बाधा बन रहा है। बाद में यह पेल्विक इंफेक्शन (पीआईडी) का रूप लेकर बांझपन का कारण बन रहा है। साथ ही कई महिलाओं में पीआईडी के कारण ही सर्वाइकल कैंसर का रोग देखने को मिला है।
जिले में नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस) के अनुसार 15 से 19 साल की 54.60 प्रतिशत किशोरियों में खून की कमी है। जबकि, 49 साल तक की 49.6 प्रतिशत महिलाओं में भी खून की कमी पाई गई है।
सर्वे के मुताबिक 100 दिनों से अधिक आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां लेने वाली गर्भवती 29 फीसदी और 180 दिनों तक आयरन एवं फोलिक एसिड लेने वाली गर्भवती मात्र 12.6 प्रतिशत हैं। स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा श्रीवास्तव ने बताया कि प्रजनन स्वास्थ्य एक बहुत की महत्वपूर्ण और गंभीर विषय है।
लेकिन समाज में इस विषय पर खुलकर बात नहीं हो पाती है। इस कारण महिलाओं को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। संतुलित खाना-पान नहीं होने और अनियंत्रित माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव से किशोरियों और महिलाओं की बड़ी आबादी एनिमिया की चपेट में आ गई है। इसके अलावा संक्रमण से महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है।
माहवारी प्रबंधन में लापरवाही से बढ़ रहा संक्रमण
स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा श्रीवास्तव के अनुसार बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य के लिए किशोरावस्था से सावधानी बरतनी जरूरी हैं। साफ सफाई के लिए सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल करें और ध्यान रहे कि नेपकिन को छह से आठ घंटे में जरूर बदल लें, अन्यथा यह संक्रमण का कारण बन सकता है।
पीआईडी है बांझपन का कारण
चिकित्सकों के अनुसार पेल्विक इंफेक्शन (पीआईडी) को सही समय पर उपचार से दूर किया जा सकता है। यही बीमारी बांझपन का कारण बनती है और बीमारी लंबी होने पर सर्वाइकल कैंसर का रूप भी ले लेती है।
पेल्विक इंफेक्शन के लक्षण-
-पेट के निचले हिस्से के आसपास दर्द।
-सेक्स के दौरान असुविधा या दर्द जो पेल्विक के अंदर गहराई से महसूस होता है।
-पेशाब के दौरान दर्द होना।
-पीरियड्स के बाद और सेक्स के बाद ब्लीडिंग।
-मासिक में अत्यधिक रक्तस्त्राव, दर्दनाक पीरियड।
एनिमिया के लक्षण-
-काम करते समय जल्दी थक जाना।
-सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलना।
-दिनभर कमजोरी महसूस होना।
-अधिकतर समय सांस लेने में कमजोरी होती है।
-आंखों के सामने अंधेरा छाना, चक्कर आना।
-सीने और सिर में दर्द होना।
-पैरों के तलवों और हथेलियों का ठंडा होना।
-आंखों का पीलापन, एनीमिया दर्शाने का सर्वोत्तम तरीका है।
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जिले में नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस) के अनुसार 15 से 19 साल की 54.60 प्रतिशत किशोरियों में खून की कमी है। जबकि, 49 साल तक की 49.6 प्रतिशत महिलाओं में भी खून की कमी पाई गई है।
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सर्वे के मुताबिक 100 दिनों से अधिक आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां लेने वाली गर्भवती 29 फीसदी और 180 दिनों तक आयरन एवं फोलिक एसिड लेने वाली गर्भवती मात्र 12.6 प्रतिशत हैं। स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा श्रीवास्तव ने बताया कि प्रजनन स्वास्थ्य एक बहुत की महत्वपूर्ण और गंभीर विषय है।
लेकिन समाज में इस विषय पर खुलकर बात नहीं हो पाती है। इस कारण महिलाओं को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। संतुलित खाना-पान नहीं होने और अनियंत्रित माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव से किशोरियों और महिलाओं की बड़ी आबादी एनिमिया की चपेट में आ गई है। इसके अलावा संक्रमण से महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है।
माहवारी प्रबंधन में लापरवाही से बढ़ रहा संक्रमण
स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा श्रीवास्तव के अनुसार बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य के लिए किशोरावस्था से सावधानी बरतनी जरूरी हैं। साफ सफाई के लिए सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल करें और ध्यान रहे कि नेपकिन को छह से आठ घंटे में जरूर बदल लें, अन्यथा यह संक्रमण का कारण बन सकता है।
पीआईडी है बांझपन का कारण
चिकित्सकों के अनुसार पेल्विक इंफेक्शन (पीआईडी) को सही समय पर उपचार से दूर किया जा सकता है। यही बीमारी बांझपन का कारण बनती है और बीमारी लंबी होने पर सर्वाइकल कैंसर का रूप भी ले लेती है।
पेल्विक इंफेक्शन के लक्षण-
-पेट के निचले हिस्से के आसपास दर्द।
-सेक्स के दौरान असुविधा या दर्द जो पेल्विक के अंदर गहराई से महसूस होता है।
-पेशाब के दौरान दर्द होना।
-पीरियड्स के बाद और सेक्स के बाद ब्लीडिंग।
-मासिक में अत्यधिक रक्तस्त्राव, दर्दनाक पीरियड।
एनिमिया के लक्षण-
-काम करते समय जल्दी थक जाना।
-सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलना।
-दिनभर कमजोरी महसूस होना।
-अधिकतर समय सांस लेने में कमजोरी होती है।
-आंखों के सामने अंधेरा छाना, चक्कर आना।
-सीने और सिर में दर्द होना।
-पैरों के तलवों और हथेलियों का ठंडा होना।
-आंखों का पीलापन, एनीमिया दर्शाने का सर्वोत्तम तरीका है।