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रावण संहिता के जरिए बताते हैं भाग्य
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रावण संहिता के जरिए बताते हैं भाग्य
गुरवलिया में है दुर्लभ हस्तलिखित रावण संहिता, लोगों का होता है समाधान
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर कई राजनीतिक हस्तियां आ चुकी हैं यहां
नित्यानंद पांडेय
गुरवलिया बाजार (कुशीनगर)। पं. कामाख्या प्रकाश पाठक के घर सतयुग कालीन दुर्लभ हस्तलिखित रावण संहिता आज भी अस्तित्व में है। गुरवलिया स्थित उनके निवास स्थान पर आज भी लोग भाग्य जानने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। विरासत से मिले आशीर्वाद के परिणाम स्वरूप कामाख्या पाठक लोगों की समस्याओं और जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं।
बताया जाता है कि यह ग्रंथ पं. कामाख्या पाठक के पिता स्वर्गीय पं. बागीश्वरी पाठक को उनके अग्रज ननकू पाठक ने प्रदान किया था। इस ग्रंथ के यहां पहुंचने की एक कथा प्रचलित है। उसके अनुसार बागीश्वरी के अग्रज ननकू पाठक का ज्योतिष विद्या में बहुत ज्यादा झुकाव था। वह महज 27 वर्ष की आयु में ही घर छोड़कर नेपाल चले गए थे। ज्योतिषियों के संपर्क में दो वर्ष तक विद्या प्राप्त किया। एक महात्मा ने ननकू के ज्योतिष विद्या की तरफ झुकाव और अभिरुचि को देखते हुए आशीर्वाद स्वरूप उन्हें हस्तलिखित रावण संहिता प्रदान की थी। रावण संहिता की पोथी के पन्ने अत्यंत खराब हो चुके थे, स्थिति दयनीय थी। ननकू पाठक ने बौद्धिक क्षमता से ग्रंथ का संपादन किया और दूसरी प्रतिलिपि बना डाली। इस दौरान बड़े महात्माओं, ज्योतिषियों से मिली सीख को वह बागीश्वरी पाठक को भी बताते और समझाते रहे। लोकहित के उद्देश्य से ननकू ने अपने भाई को असली और दूसरी प्रतिलिपि सौंप दी।
20वीं शताब्दी के वर्ष 2000 तक पं. बागीश्वरी पाठक ने रावण संहिता के माध्यम से लोगों की समस्याओं और जिज्ञासाओं का ज्योतिष विद्या से समाधान किया और प्रख्यात हुए। कहा जाता है कि इसके बाद बागीश्वरी पाठक ने अपनी हालत ठीक नहीं होने पर ग्रंथ को अपने तीसरे पुत्र पं. कामाख्या प्रकाश पाठक को सौंप दिया। बागीश्वरी पाठक का 2003 में स्वर्गवास हो गया। उनकेे गुजरने के बाद से ही पं. कामाख्या प्रकाश पाठक रावण संहिता से समस्याओं का समाधान बताते हैं।
राजनीतिक हस्तियां और विदेशी भी आते हैं
गुरवलिया में कई राजनीतिक हस्तियां अपना बीता कल, आज और आने वाले भविष्य को जानने की उत्सुकता में आ चुके हैं। वह बताते हैं कि स्व. इंदिरा गांधी, स्व. चौधरी चरण सिंह, गवर्नर सीपीएन (चंदेश्वर प्रसाद नारायण) सिंह और वर्ष 2010 में राहुल गांधी जैसी हस्तियां यहां आ चुकी हैं। इसके अतिरिक्त विदेशी भी आते हैं। यहां नेपाल, अमेरिका, सिंगापुर, जापान, फ्रांस, रूस आदि देशों से लोग अक्सर यहां आते हैं।
समस्याओं के हल के लिए लगता है नंबर
आसपास के प्रदेश सहित विभिन्न जनपदों में यहां के रावण संहिता के बारे में लोग जानते हैं। यहां नियमित रूप से रोजाना काफी संख्या में लोग यहां आते हैं। इन सभी को काफी मशक्कत से महीनों पहले नंबर लगाकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।
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गुरवलिया में है दुर्लभ हस्तलिखित रावण संहिता, लोगों का होता है समाधान
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर कई राजनीतिक हस्तियां आ चुकी हैं यहां
नित्यानंद पांडेय
गुरवलिया बाजार (कुशीनगर)। पं. कामाख्या प्रकाश पाठक के घर सतयुग कालीन दुर्लभ हस्तलिखित रावण संहिता आज भी अस्तित्व में है। गुरवलिया स्थित उनके निवास स्थान पर आज भी लोग भाग्य जानने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। विरासत से मिले आशीर्वाद के परिणाम स्वरूप कामाख्या पाठक लोगों की समस्याओं और जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं।
बताया जाता है कि यह ग्रंथ पं. कामाख्या पाठक के पिता स्वर्गीय पं. बागीश्वरी पाठक को उनके अग्रज ननकू पाठक ने प्रदान किया था। इस ग्रंथ के यहां पहुंचने की एक कथा प्रचलित है। उसके अनुसार बागीश्वरी के अग्रज ननकू पाठक का ज्योतिष विद्या में बहुत ज्यादा झुकाव था। वह महज 27 वर्ष की आयु में ही घर छोड़कर नेपाल चले गए थे। ज्योतिषियों के संपर्क में दो वर्ष तक विद्या प्राप्त किया। एक महात्मा ने ननकू के ज्योतिष विद्या की तरफ झुकाव और अभिरुचि को देखते हुए आशीर्वाद स्वरूप उन्हें हस्तलिखित रावण संहिता प्रदान की थी। रावण संहिता की पोथी के पन्ने अत्यंत खराब हो चुके थे, स्थिति दयनीय थी। ननकू पाठक ने बौद्धिक क्षमता से ग्रंथ का संपादन किया और दूसरी प्रतिलिपि बना डाली। इस दौरान बड़े महात्माओं, ज्योतिषियों से मिली सीख को वह बागीश्वरी पाठक को भी बताते और समझाते रहे। लोकहित के उद्देश्य से ननकू ने अपने भाई को असली और दूसरी प्रतिलिपि सौंप दी।
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20वीं शताब्दी के वर्ष 2000 तक पं. बागीश्वरी पाठक ने रावण संहिता के माध्यम से लोगों की समस्याओं और जिज्ञासाओं का ज्योतिष विद्या से समाधान किया और प्रख्यात हुए। कहा जाता है कि इसके बाद बागीश्वरी पाठक ने अपनी हालत ठीक नहीं होने पर ग्रंथ को अपने तीसरे पुत्र पं. कामाख्या प्रकाश पाठक को सौंप दिया। बागीश्वरी पाठक का 2003 में स्वर्गवास हो गया। उनकेे गुजरने के बाद से ही पं. कामाख्या प्रकाश पाठक रावण संहिता से समस्याओं का समाधान बताते हैं।
राजनीतिक हस्तियां और विदेशी भी आते हैं
गुरवलिया में कई राजनीतिक हस्तियां अपना बीता कल, आज और आने वाले भविष्य को जानने की उत्सुकता में आ चुके हैं। वह बताते हैं कि स्व. इंदिरा गांधी, स्व. चौधरी चरण सिंह, गवर्नर सीपीएन (चंदेश्वर प्रसाद नारायण) सिंह और वर्ष 2010 में राहुल गांधी जैसी हस्तियां यहां आ चुकी हैं। इसके अतिरिक्त विदेशी भी आते हैं। यहां नेपाल, अमेरिका, सिंगापुर, जापान, फ्रांस, रूस आदि देशों से लोग अक्सर यहां आते हैं।
समस्याओं के हल के लिए लगता है नंबर
आसपास के प्रदेश सहित विभिन्न जनपदों में यहां के रावण संहिता के बारे में लोग जानते हैं। यहां नियमित रूप से रोजाना काफी संख्या में लोग यहां आते हैं। इन सभी को काफी मशक्कत से महीनों पहले नंबर लगाकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।