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प्राथमिक विद्यालयों का हाल
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बगैर किताबों के ही सरकारी विद्यालयों में हो रही पढ़ाई
हाटा (कुशीनगर )। सरकार के दावों के बाद भी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की हालत में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। आधा सत्र बीत जाने के बाद भी अभी तक हाटा ब्लॉक के अधिकांश विद्यालयों पर किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। कुछ विद्यालयों पर पेयजल का संकट है तो कहीं शौचालय नहीं होने से शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है।
बृहस्पतिवार को हाटा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालयों की पड़ताल की गई। हाटा ब्लॉक के थरूआडीह बिचला टोला स्थित प्राथमिक विद्यालय पर सुबह साढ़े दस बजे प्रभारी प्रधानाचार्य ज्योति बच्चों को पढ़ा रही थीं। पूरे परिसर में जलभराव था। इसलिए मिट्टी डालकर एक पतला रास्ता स्कूल भवन तक जाने के लिए बनाया गया था। दो कमरों में करीब साठ बच्चे बैठे हुए थे। शिक्षिका ने बताया कि यहां कुल 79 बच्चों का नामांकन है और वह अकेली शिक्षक हैं। रसोई घर में गंदगी होने के कारण एक शिक्षण कक्ष में ही एमडीएम बन रहा था। परिसर में एक हैंडपंप लगा है, जो काफी दिनों से खराब पड़ा हुआ है। एमडीएम से लेकर बच्चों के पीने तक के लिए पानी बाहर से लाना पड़ता है। कई बार पत्र लिखने के बाद भी उसकी मरम्मत नहीं हुई। किताबें स्कूल में नहीं पहुंची हैं।
दिन के करीब 11 बजे थरूआडीह गांव के ही बबुनी टोला स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात तीन शिक्षिकाएं बच्चों को पढ़ाती मिलीं। यहां किताबें नहीं पहुंचने के कारण बच्चे बगैर किताबों के ही पढ़ रहे थे। यहां की प्रधानाचार्य रोहिनी ने बताया कि हमारे यहां सबसे अधिक परेशानी पेयजल को लेकर है। हैंडपंप में सबमर्सिबल पंप लगा दिया गया है। बिजली रहने पर ही पानी मिलता है। बिजली नहीं रहने पर गांव से पानी डब्बों में भरकर मंगवाना पड़ता है। विद्यालय का फर्श टूटा हुआ था। एमडीएम बन रहा था। यहां कुल 80 बच्चों का नामांकन है, जिसमें से 62 बच्चे आए थे।
प्राथमिक विद्यालय सहबाजपुर में दिन के साढ़े ग्यारह बजे तीन कमरों में बच्चे पढ़ रहे थे। यहां की प्रधानाचार्य आसमा निशा ने बताया कि यहां कुल 71 बच्चों का नामांकन है। इसमें से 45 बच्चे आए हुए थे। दो शिक्षक और दो शिक्षा मित्रों की यहां तैनाती है। इसमें से एक शिक्षामित्र कुछ देर पहले ही घर चली गई थीं। एमडीएम बन रहा था। किताबें यहा भी नहीं पहुंची थीं।
रसोइया के नहीं आने से नहीं बना मध्याह्न भोजन
सहबाजपुर के ही पोखरा टोला प्राथमिक विद्यालय में दोपहर करीब 12 बजे शिक्षिका प्रिया तिवारी बच्चों को पढ़ाते हुए मिलीं, जबकि यहां तैनात दूसरी शिक्षक के मातृत्व अवकाश पर होने की बात बताई गई। यहां कुल 73 बच्चों का नामांकन है। इसमें से 45 बच्चे एक ही कमरे में बैठे थे। एमडीएम नहीं बन रहा था। शिक्षिका ने इसका कारण एक रसोइया का नहीं आना बताया। किताबें यहां भी नहीं थीं। इस विद्यालय में शौचालय नहीं बना है। इस कारण शिक्षकों और बच्चों को काफी परेशानी होती है।
बीईओ बोले
बीईओ रामसुयश ने बताया कि ठेकेदार ने अब स्कूलों में किताबें पहुंचाना शुरू कर दिया है। गति धीमी होने के कारण अभी बहुत से स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। अन्य जो कमियां संज्ञान में आई हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूर कराया जाएगा।
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हाटा (कुशीनगर )। सरकार के दावों के बाद भी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों की हालत में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। आधा सत्र बीत जाने के बाद भी अभी तक हाटा ब्लॉक के अधिकांश विद्यालयों पर किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। कुछ विद्यालयों पर पेयजल का संकट है तो कहीं शौचालय नहीं होने से शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है।
बृहस्पतिवार को हाटा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालयों की पड़ताल की गई। हाटा ब्लॉक के थरूआडीह बिचला टोला स्थित प्राथमिक विद्यालय पर सुबह साढ़े दस बजे प्रभारी प्रधानाचार्य ज्योति बच्चों को पढ़ा रही थीं। पूरे परिसर में जलभराव था। इसलिए मिट्टी डालकर एक पतला रास्ता स्कूल भवन तक जाने के लिए बनाया गया था। दो कमरों में करीब साठ बच्चे बैठे हुए थे। शिक्षिका ने बताया कि यहां कुल 79 बच्चों का नामांकन है और वह अकेली शिक्षक हैं। रसोई घर में गंदगी होने के कारण एक शिक्षण कक्ष में ही एमडीएम बन रहा था। परिसर में एक हैंडपंप लगा है, जो काफी दिनों से खराब पड़ा हुआ है। एमडीएम से लेकर बच्चों के पीने तक के लिए पानी बाहर से लाना पड़ता है। कई बार पत्र लिखने के बाद भी उसकी मरम्मत नहीं हुई। किताबें स्कूल में नहीं पहुंची हैं।
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दिन के करीब 11 बजे थरूआडीह गांव के ही बबुनी टोला स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात तीन शिक्षिकाएं बच्चों को पढ़ाती मिलीं। यहां किताबें नहीं पहुंचने के कारण बच्चे बगैर किताबों के ही पढ़ रहे थे। यहां की प्रधानाचार्य रोहिनी ने बताया कि हमारे यहां सबसे अधिक परेशानी पेयजल को लेकर है। हैंडपंप में सबमर्सिबल पंप लगा दिया गया है। बिजली रहने पर ही पानी मिलता है। बिजली नहीं रहने पर गांव से पानी डब्बों में भरकर मंगवाना पड़ता है। विद्यालय का फर्श टूटा हुआ था। एमडीएम बन रहा था। यहां कुल 80 बच्चों का नामांकन है, जिसमें से 62 बच्चे आए थे।
प्राथमिक विद्यालय सहबाजपुर में दिन के साढ़े ग्यारह बजे तीन कमरों में बच्चे पढ़ रहे थे। यहां की प्रधानाचार्य आसमा निशा ने बताया कि यहां कुल 71 बच्चों का नामांकन है। इसमें से 45 बच्चे आए हुए थे। दो शिक्षक और दो शिक्षा मित्रों की यहां तैनाती है। इसमें से एक शिक्षामित्र कुछ देर पहले ही घर चली गई थीं। एमडीएम बन रहा था। किताबें यहा भी नहीं पहुंची थीं।
रसोइया के नहीं आने से नहीं बना मध्याह्न भोजन
सहबाजपुर के ही पोखरा टोला प्राथमिक विद्यालय में दोपहर करीब 12 बजे शिक्षिका प्रिया तिवारी बच्चों को पढ़ाते हुए मिलीं, जबकि यहां तैनात दूसरी शिक्षक के मातृत्व अवकाश पर होने की बात बताई गई। यहां कुल 73 बच्चों का नामांकन है। इसमें से 45 बच्चे एक ही कमरे में बैठे थे। एमडीएम नहीं बन रहा था। शिक्षिका ने इसका कारण एक रसोइया का नहीं आना बताया। किताबें यहां भी नहीं थीं। इस विद्यालय में शौचालय नहीं बना है। इस कारण शिक्षकों और बच्चों को काफी परेशानी होती है।
बीईओ बोले
बीईओ रामसुयश ने बताया कि ठेकेदार ने अब स्कूलों में किताबें पहुंचाना शुरू कर दिया है। गति धीमी होने के कारण अभी बहुत से स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। अन्य जो कमियां संज्ञान में आई हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूर कराया जाएगा।