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Lakhimpur Kheri News: कभी टेंट से थी शादियों की शान, अब कारोबार बेजान
संवाद न्यूज एजेंसी, लखीमपुर खीरी
Updated Fri, 28 Nov 2025 12:25 AM IST
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टेंट की दुकान पर सामान सही करता दुकानदार। संवाद
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लखीमपुर खीरी। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में टेंट व्यवसाय संकट के दौर से गुजर रहा है। एक समय था, जब बड़े शादी-ब्याह और सामाजिक आयोजनों में टेंट कारोबारियों की मांग रहती थी।
पिछले 15 वर्षों में व्यवसाय लगभग ठप हो गया है। अब टेंट की जरूरत केवल अंतिम संस्कार, तेरहवीं, छोटा मुंडन, मिठाई बनाने या भोजन जैसी सीमित जरूरतों तक सिमट गई है। अधिकतर विवाह अब गेस्ट हाउस, बैंक्वेट हॉल और मैरिज लॉन में हो रहे हैं। परिणामस्वरूप टेंट कारोबार का बड़ा हिस्सा गेस्ट हाउसों के पास चला गया।
कई टेंट मालिकों ने मजबूरी में गेस्ट हाउस खोल लिए, जबकि कई ने गेस्ट हाउसों में अपने टेंट सेटअप अटैच कर दिए। अब वे सालाना 5 से 15 लाख रुपये तक किराया देकर गेस्ट हाउस के साथ अनुबंध पर काम कर रहे हैं।
टेंट व्यवसायियों का कहना है कि टेंट की दुकानें लगभग बंद हो गई हैं। शादी में अब केवल छोटा शामियाना, कुर्सियां, बिस्तर, प्लेटें और जग जैसी सीमित व्यवस्था ही मांग में हैं।
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हम सालाना लाखों रुपये किराया देकर गेस्ट हाउस में काम लेते हैं। छोटे समारोहों में टेंट की जरूरत कम हो गई है और 18 प्रतिशत जीएसटी ने स्थिति और कठिन कर दी है।
- दलजीत सिंह बग्गा, टेंट व्यवसायी
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पहले सीजन में लाखों की आमदनी होती थी, अब छोटे कार्यक्रम ही बच गए हैं। गेस्ट हाउस ने हमारा व्यवसाय लगभग हड़प लिया है। इसलिए आमदनी भी काफी कम हो गई है।
-शिवेश चौरसिया, टेंट कारोबारी
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पिछले 15 वर्षों में व्यवसाय लगभग ठप हो गया है। अब टेंट की जरूरत केवल अंतिम संस्कार, तेरहवीं, छोटा मुंडन, मिठाई बनाने या भोजन जैसी सीमित जरूरतों तक सिमट गई है। अधिकतर विवाह अब गेस्ट हाउस, बैंक्वेट हॉल और मैरिज लॉन में हो रहे हैं। परिणामस्वरूप टेंट कारोबार का बड़ा हिस्सा गेस्ट हाउसों के पास चला गया।
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कई टेंट मालिकों ने मजबूरी में गेस्ट हाउस खोल लिए, जबकि कई ने गेस्ट हाउसों में अपने टेंट सेटअप अटैच कर दिए। अब वे सालाना 5 से 15 लाख रुपये तक किराया देकर गेस्ट हाउस के साथ अनुबंध पर काम कर रहे हैं।
टेंट व्यवसायियों का कहना है कि टेंट की दुकानें लगभग बंद हो गई हैं। शादी में अब केवल छोटा शामियाना, कुर्सियां, बिस्तर, प्लेटें और जग जैसी सीमित व्यवस्था ही मांग में हैं।
हम सालाना लाखों रुपये किराया देकर गेस्ट हाउस में काम लेते हैं। छोटे समारोहों में टेंट की जरूरत कम हो गई है और 18 प्रतिशत जीएसटी ने स्थिति और कठिन कर दी है।
- दलजीत सिंह बग्गा, टेंट व्यवसायी
पहले सीजन में लाखों की आमदनी होती थी, अब छोटे कार्यक्रम ही बच गए हैं। गेस्ट हाउस ने हमारा व्यवसाय लगभग हड़प लिया है। इसलिए आमदनी भी काफी कम हो गई है।
-शिवेश चौरसिया, टेंट कारोबारी

टेंट की दुकान पर सामान सही करता दुकानदार। संवाद

टेंट की दुकान पर सामान सही करता दुकानदार। संवाद