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Lalitpur News: एसआर और वायरलेस रिपोर्ट मांगने पर बिगड़े थे तत्कालीन एसपी भोला के बोल
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37 साल पहले तिहरे हत्या के मामले में न्यायालय में तलब हुए थे तत्कालीन एसपी, जिला जज को दी थी धमकी
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। थाना नाराहट अंतर्गत ग्राम पिपरिया में तिहरे हत्या के मामले में 37 साल पहले न्यायालय ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बीके भोला से एसआर और वायरलेस रिपोर्ट तलब की थी। इस पर तत्कालीन एसपी ने न्यायालय में उपस्थित होकर ये रिपोर्ट मांगने पर जिला जज को धमकी दी थी। जिला जज ने इस मामले में दिए गए निर्णय में इस धमकी वाली बात का उल्लेख किया था।
थाना नाराहट अंतर्गत ग्राम पिपरिया पाली में 1986 में पन्नालाल के भाई कुंदन और कुंदन के बेटों पारथ और अर्जुन की पुरानी रंजिश के चलते गांव के ही कुछ लोगों ने लाठी व कुल्हाड़ियों से हमला कर हत्या कर दी थी। अदालत में इस मामले में सभी गवाहों की गवाही और आरोपियों के बयान दर्ज हुए। इसके बाद आरोपियों के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय के माध्यम से पुलिस की एसआर व वायरलेस रिपोर्ट तलब करने की मांग की गई थी। न्यायालय ने दोनों रिपोर्ट उपलब्ध न कराने पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को तलब किया था।
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बीके भोला न्यायालय में उपस्थित हुए थे। उन्होंने तत्कालीन जनपद न्यायाधीश को धमकी दी थी कि दोनों रिपोर्ट मांगने पर उन्हें घसीटकर थाने ले जाएंगे। इस चर्चित मामले में आरोपियों की ओर से ललितपुर के अधिवक्ता दिनेश किलेदार, कानपुर के चर्चित अधिवक्ता सुल्तान नियाजी ने मुकदमे की पैरवी की थी। तत्कालीन न्यायाधीश लोकेंद्र राय ने 1988 में 28 आरोपियों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और इस निर्णय के 190 व 191 नंबर पेज पर तत्कालीन एसपी बीके भोला द्वारा दी गई धमकी पर टिप्पणियां लिखी थीं। इन टिप्पणियां में तत्कालीन जिला जज ने लिखा कि एसपी ने धमकी थी कि यदि उन्होंने पुलिस से रिकॉर्ड या वायरलेस रिपोर्ट मांगी और उन्हें बचाव पक्ष के गवाह के रूप में प्रस्तुत करने के लिए कहा तो उन्हें घसीटकर थाने में ले जाया जाएगा। अब इस मामले में हाईकोर्ट ने डीजीपी से तत्कालीन एसपी के बारे में जानकारी मांगी है, जिससे मामला फिर सुर्खियाें में आ गया है।
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। थाना नाराहट अंतर्गत ग्राम पिपरिया में तिहरे हत्या के मामले में 37 साल पहले न्यायालय ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बीके भोला से एसआर और वायरलेस रिपोर्ट तलब की थी। इस पर तत्कालीन एसपी ने न्यायालय में उपस्थित होकर ये रिपोर्ट मांगने पर जिला जज को धमकी दी थी। जिला जज ने इस मामले में दिए गए निर्णय में इस धमकी वाली बात का उल्लेख किया था।
थाना नाराहट अंतर्गत ग्राम पिपरिया पाली में 1986 में पन्नालाल के भाई कुंदन और कुंदन के बेटों पारथ और अर्जुन की पुरानी रंजिश के चलते गांव के ही कुछ लोगों ने लाठी व कुल्हाड़ियों से हमला कर हत्या कर दी थी। अदालत में इस मामले में सभी गवाहों की गवाही और आरोपियों के बयान दर्ज हुए। इसके बाद आरोपियों के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय के माध्यम से पुलिस की एसआर व वायरलेस रिपोर्ट तलब करने की मांग की गई थी। न्यायालय ने दोनों रिपोर्ट उपलब्ध न कराने पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को तलब किया था।
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तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बीके भोला न्यायालय में उपस्थित हुए थे। उन्होंने तत्कालीन जनपद न्यायाधीश को धमकी दी थी कि दोनों रिपोर्ट मांगने पर उन्हें घसीटकर थाने ले जाएंगे। इस चर्चित मामले में आरोपियों की ओर से ललितपुर के अधिवक्ता दिनेश किलेदार, कानपुर के चर्चित अधिवक्ता सुल्तान नियाजी ने मुकदमे की पैरवी की थी। तत्कालीन न्यायाधीश लोकेंद्र राय ने 1988 में 28 आरोपियों को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और इस निर्णय के 190 व 191 नंबर पेज पर तत्कालीन एसपी बीके भोला द्वारा दी गई धमकी पर टिप्पणियां लिखी थीं। इन टिप्पणियां में तत्कालीन जिला जज ने लिखा कि एसपी ने धमकी थी कि यदि उन्होंने पुलिस से रिकॉर्ड या वायरलेस रिपोर्ट मांगी और उन्हें बचाव पक्ष के गवाह के रूप में प्रस्तुत करने के लिए कहा तो उन्हें घसीटकर थाने में ले जाया जाएगा। अब इस मामले में हाईकोर्ट ने डीजीपी से तत्कालीन एसपी के बारे में जानकारी मांगी है, जिससे मामला फिर सुर्खियाें में आ गया है।