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Mahoba News: बैंकों के चक्कर लगाते बीता साल, नहीं मिला कर्ज

संवाद न्यूज एजेंसी, महोबा Updated Mon, 29 Dec 2025 12:36 AM IST
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The year was spent going from bank to bank, but no loan was obtained.
फोटो 28 एमएएचपी 05 परिचय-मिनी औद्योगिक आस्थान कुलपहाड़ में स्थापित उद्योगों में बनते सीमेंटेड प
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महोबा। स्वरोजगार के लिए संचालित ऋण संबंधी योजनाओं का हाल वर्ष 2025 में बेहतर नहीं रहा। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत ऋण लेने के लिए युवा बैंकों के चक्कर लगाते रहे लेकिन अधिकांश आवेदकों को मायूसी ही हाथ लगी। हालांकि, इस वर्ष औद्योगिक क्षेत्र पहरा को विकसित करने को लेकर तेजी से काम हुआ। वहीं महोबा के देशावरी पान की खेती व बिक्री के लिए कवायद तो हुई लेकिन धरातल पर इसका कोई असर नहीं दिखा। पान की खेती का दायर सिमट कर रह गया। जीआई टैग मिलने के बाद भी महोबा के देशावरी पान की हालत नहीं सुधरी। बेहतर बाजार न मिलने से किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
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665 आवेदन निरस्त, 339 लंबित तो कैसे उद्यमी बनें युवा
महोबा। बैंकों की बेरुखी से युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए शुरू की गई योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। धनाभाव में युवा अपना स्वयं का उद्योग नहीं लगा पा रहे हैं। वर्ष 2025 में पूरा साल युवा कर्ज स्वीकृत कराने के लिए बैंकों के चक्कर लगाते रहे लेकिन उन्हें मायूसी ही हाथ लगी।
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मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025 में अब तक 1,467 युवाओं ने स्वयं का कारोबार शुरू करने को ऋण के लिए आवेदन किया। उद्योग विभाग की ओर से सभी आवेदनों की जांच पड़ताल के बाद फाइल बैंकों को भेजी गई। बैंकों की ओर से 665 आवेदनों को निरस्त कर दिया जबकि अभी भी 339 आवेदन लंबित हैं। हालांकि, 512 आवेदन कर्ज के लिए स्वीकृत हुए।
जिले में विभिन्न बैंकों की 65 शाखाएं हैं। राष्ट्रीयकृत बैंक ही नहीं निजी बैंकें भी युवाओं को ऋण देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। निजी बैंकों को ऋण स्वीकृति के लिए 82 आवेदन भेजे गए थे। इसके सापेक्ष अभी तक 14 आवेदन ही स्वीकृति किए गए जबकि कुछ आवेदनों को लंबित रखा गया है। शेष आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं। यही हाल राष्ट्रीयकृत बैंकों का है। समय-समय पर आयोजित होने वाली बैठकों में यह मुद्दा उठा लेकिन बैंकों की ओर से ऋण वितरण में रुचि नहीं दिखाई गई।----------------
कुलपहाड़ व चरखारी में भूखंड आवंटन के बाद उद्योग लगाना भूले उद्यमी


महोबा। मिनी औद्योगिक आस्थान कुलपहाड़ और चरखारी में भूखंड आवंटन के बाद उद्यमी उद्योग लगाना ही भूल गए। कुलपहाड़ में 37 में से चार उद्यमियों के नाम 15 भूखंड दर्ज हैं। जिनमें उद्योग स्थापित हैं जबकि चरखारी में महज दो उद्योग ही लग सके। यहां 11 उद्यमियों को भूखंड आवंटित हैं। उद्योग लगाने में उद्यमियों के रुचि न लेने से विभाग की इस पहल पर पानी फिर रहा है।

वर्ष 1990 में कुलपहाड़ क्षेत्र में उद्योग विभाग की ओर से मिनी औद्योगिक आस्थान स्थापित किया गया। यहां 1.96 एकड़ भूमि पर 37 भूखंड बनाए गए। इनमें से 35 भूखंडों का आवंटन किया गया। चार उद्यमियों को 15 भूखंड आवंटित हुए और इन्हीं चार उद्यमियों ने ही अपने उद्योग स्थापित किए जबकि अन्य उद्यमियों ने अभी तक अपना उद्योग स्थापित नहीं किया। कुछ यही हाल मिनी औद्योगिक आस्थान चरखारी का है। वर्ष 1990 में 2.26 एकड़ भूमि पर 26 भूखंड तैयार किए गए। इनमें से 11 भूखंडों का आवंटन हुआ। मौके पर सिर्फ दो भूखंडों पर ही उद्योग संचालित हैं। औद्योगिक क्षेत्र में झाड़ व घास उग गई है।
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सरदार वल्लभ भाई पटेल इंडस्ट्रियल पार्क के लिए नहीं मिली जमीन

महोबा। जनपद महोबा में 100 एकड़ जमीन पर सरदार वल्लभ भाई पटेल एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना को लेकर वर्ष 2025 में कवायद शुरू हुई लेकिन भूमि की तलाश पूरी नहीं हो सकी। इससे इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना का प्रस्ताव अधर में लटका है। शासन की ओर से 100 एकड़ भूभाग में सरदार वल्लभ भाई पटेल एमएसएमई इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। भूमि तलाशने की जिम्मेदारी राजस्व विभाग को सौंपी गई। तीन माह से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी जमीन नहीं मिल सकी।
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औद्योगिक क्षेत्र पहरा में भूखंडों के लेआउट की प्रक्रिया शुरू
महोबा। ब्लॉक कबरई के पहरा गांव में उद्योग विभाग की ओर से तैयार किए जा रहे औद्योगिक क्षेत्र में भूखंडों के लेआउट का काम उत्तर प्रदेश स्मॉल इंडस्ट्रियल कारपोरेशन (यूपीएसआईसीएल) करेगा। इसको लेकर वर्ष 2025 में प्रक्रिया तेजी से चली।

उद्योग विभाग की ओर से पहरा गांव में करीब 37.5 एकड़ भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किया जाना है। उद्योग विभाग यहां बिजली, पानी, सड़क, सीवर आदि की व्यवस्था कराएगा जबकि एमएसएमई की कार्यदायी संस्था यूपीएसआईसीएल कानपुर की ओर से यहां भूखंड का नक्शा तैयार किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2026 में भूखंड आवंटित होने की उम्मीद है। इसको लेकर उद्योग विभाग की ओर से तैयारी की जा रही है। यहां दाल मिल, मूंगफली मिल, ऑयल मिल, फ्लोर मिल समेत विभिन्न प्रकार के लघु उद्योग की इकाइयां स्थापित होंगी। इन औद्योगिक इकाइयों में करीब तीन हजार बेरोजगारों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। उधर, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के समीप औद्याेगिक गलियारा स्थापित करने के लिए यूपीडा की ओर से 110 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। जिसमें से 90 फीसदी जमीन अधिग्रहीत हो चुकी है। ऐसे में आगामी वर्ष 2026 में यह औद्योगिक गलियारा आकार लेगा। यहां छोटी-बड़ी औद्याेगिक इकाइयां लगेंगी और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।

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ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-5: महोबा में तीन हजार करोड़ का होगा निवेश
महोबा। जनवरी 2026 में संभावित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-5 के तहत महोबा जिले में इस बार बड़े निवेश की तैयारी है। शासन स्तर से जिले के लिए अलग-अलग औद्योगिक सेक्टरों में तीन हजार करोड़ रुपये का निवेश किए जाने की तैयारी है। नए निवेशक यहां औद्योगिक व व्यवसायिक इकाइयां स्थापित करेंगे। इससे जनपद के आर्थिक विकास को गति मिलेगी और रोजगार का भी सृजन होगा। फिलहाल अलग-अलग निवेशकों से 357 करोड़ रुपये के दो सोलर प्लांट, एक निजी चिकित्सालय व होटल (पर्यटन) के लिए सहमति मिल चुकी है। इसके अलावा पर्यटन, चिकित्सा, खनिज, उद्यान, जिलापूर्ति, अतिरिक्त ऊर्जा समेत 21 विभागों से समन्वय कर निवेशकों से संपर्क किया जा रहा है। ताकि, ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-5 के आयोजन से पहले ही निवेशकों से एमओयू हो सकें और जनपद में अलग-अलग नई औद्योगिक व व्यवसायिक इकाइयां स्थापित कराई जा सकें।
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ओडीओपी: गौरा पत्थर उद्योग को मिली पहचान
महोबा। एक जनपद एक उत्पाद योजना में शामिल जनपद के गौरा पत्थर उद्योग के लिए वर्ष 2025 में अलग पहचान मिली। ब्लॉक चरखारी के गौरहारी गांव में मिलने वाले गौरा पत्थर से विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाई जाती है। यहां गांव के कई परिसर गौरा पत्थर से कलाकृतियां बनाने का काम करते हैं। गौरहारी निवासी कालीदीन विश्वकर्मा बड़े पैमाने पर कलाकृतियां बनाने का काम करते हैं। उनकी कलाकृतियों की मांग आसपास के जनपद ही नहीं देश के विभिन्न प्रांतों से आती है। कालीदीन का कहना है कि गौरा पत्थर की कलाकृतियों को एक जनपद एक उत्पाद में शामिल किए जाने से गौरा पत्थर उद्योग का विकास हुआ है। गौरा पत्थर से कई प्रकार की कलाकृतियां बनाई जाती हैं।
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जीआई टैग से देशावरी पान को पहचान मिली, बाजार नहीं
महोबा। देश-विदेश में प्रसिद्ध महोबा के देशावरी पान को बिक्री की दृष्टि से वर्ष 2025 बेहतर नहीं रहा। महोबा के पान को जीआई टैग मिल चुका है। इसके बाद भी पान की खेती का दायरा साल-दर-साल कम होता जा रहा है। पहले जहां 500 एकड़ में पानी की खेती होती थी वह अब घटकर 30 एकड़ में तक सिमट गई है। हालात यह हैं कि देशावरी पान के खरीदार कम होते जा रहे हैं। महोबा में पान के प्रयोगात्मक कार्य के लिए पान अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है लेकिन यहां लंबे समय से पान शोध अधिकारी का पद खाली है। ऐसे में देशावरी पान की बेहतरी के लिए काम नहीं हो पा रहा है। एनबीआरआई के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रामसेवक चौरसिया का कहना है कि पानी खेती महंगी होती जा रही है। पान किसानों के कल्याण के लिए काम होना चाहिए। ताकि की खेती का दायरा बढ़ सके। ताकि, किसानों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराया जा सके।
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पहरा गांव में प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र के भूखंडों का लेआउट जल्द ही आने की उम्मीद है। नक्शा आने के बाद नए वित्तीय वर्ष में भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद औद्योगिक इकाइयां स्थापित होंगी और इनमें स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। -महेशचंद्र सरोज, उपायुक्त उद्योग, महोबा।


मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत आवेदन करने वाले युवाओं को प्राथमिकता के साथ ऋण देना चाहिए। ताकि, वह अपना उद्योग स्थापित कर आत्मनिर्भर बन सकें। बैंकों को ऋण देकर युवाओं का सहयोग करना चाहिए। युवा स्वयं का उद्योग स्थापित करेंगे तो जिले की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी -रामजी गुप्ता, व्यापारी नेता, महोबा।

पूरी पात्रता रखने वाले युवाओं को प्राथमिकता के साथ ऋण मुहैया कराने के लिए बैंक प्रबंधकों को निर्देश दिए गए हैं। ताकि, युवा स्वयं का काम शुरू कर सकें। योजना के तहत दिए ऋण की समीक्षा की जाएगी। जो बैंक ऋण देने में पीछे हैं उन्हें आवश्यक दिशानिर्देश दिए जाएंगे। -सरोज कुमार, लीड बैंक प्रबंधक, महोबा।

फोटो 28 एमएएचपी 05 परिचय-मिनी औद्योगिक आस्थान कुलपहाड़ में स्थापित उद्योगों में बनते सीमेंटेड प

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फोटो 28 एमएएचपी 05 परिचय-मिनी औद्योगिक आस्थान कुलपहाड़ में स्थापित उद्योगों में बनते सीमेंटेड प

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फोटो 28 एमएएचपी 05 परिचय-मिनी औद्योगिक आस्थान कुलपहाड़ में स्थापित उद्योगों में बनते सीमेंटेड प

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