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फसल बीमा घोटाला: जांच की दिशा बदले तो नपेंगे सूत्रधार
संवाद न्यूज एजेंसी, महोबा
Updated Mon, 29 Dec 2025 12:29 AM IST
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महोबा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में करीब 40 करोड़ रुपये का घोटाला हो गया लेकिन मामले में किसी भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी तक जांच की आंच भी नहीं पहुंची है जबकि प्रदेश के फर्रुखाबाद में केवल 68 लाख रुपये का फसल बीमा घोटाला उजागर होते ही नौ बैंक शाखा प्रबंधकों समेत कई लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। किसान नेता जिले में हो रही जांच प्रक्रिया के दिशाहीन हो जाने का आरोप लगा रहे हैं।
जिले में खरीफ 2024 सीजन में सरकारी जमीनों, तालाबों, पहाड़ों में फसल की बोआई दिखाकर फर्जी तरीके से फसल बीमा कराया गया और करीब 40 करोड़ रुपये का भारी-भरकम क्लेम ले लिया गया। कई लोगों ने वास्तविक किसान की जमीन को अपना बताते हुए भी फर्जी तरीके से फसल बीमा कराकर क्लेम हड़प लिया। मामले का खुलासा होने पर जिले के पांच थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई गईं और करीब 250 से अधिक लोग नामजद हुए। इसमें बीमा कंपनी के जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी समेत 32 लोग जेल भी गए लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया से जुड़े किसी भी राजस्वकर्मी, बैंककर्मी या कृषि विभाग के अधिकारी का नाम प्राथमिकी में शामिल नहीं है, हालांकि कृषि विभाग के कार्यालय में फसल बीमा का पटल देख रहे अतुलेंद्र विक्रम सिंह को सस्पेंड कर दिया गया था लेकिन पुलिस की जांच की आंच किसी सरकारी अधिकारी कर्मचारी तक नहीं पहुंची है। जय जवान-जय किसान संगठन के जिलाध्यक्ष गुलाब सिंह राजपूत कहते हैं कि जिला प्रशासन को फर्रुखाबाद में हुई कार्रवाई से सबक लेना चाहिए। वहां पर केवल 68 लाख रुपये के फसल बीमा घोटाले में ही सख्त कार्रवाई करते हुए नौ बैंक शाखा प्रबंधकों पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई जबकि यहां पर 40 करोड़ के घोटाले के बाद भी घोटाले के वास्तविक सूत्रधार जांच प्रक्रिया से दूर हैं।
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बैंकों की मिलीभगत की भी होनी चाहिए जांच
महोबा। किसान नेता गुलाब सिंह राजपूत कहते हैं कि बैंककर्मियों ने खरीफ 2024 में दलालों से मिलीभगत करते हुए मनमाना क्लेम हड़पने में दलालों की मदद करने की आशंका है। बैंक खातों से गलत लेन-देन भी हुआ है। कई जगहों से इसके सबूत मिल रहे हैं। इसके साथ ही रबी 2024 के सीजन में किसान क्रेडिट कार्डधारी किसानों का बीमा कराते समय बैंककर्मियों ने चना और मटर की फसल की बोआई होने के बाद भी गेहूं की फसल का बीमा कराया। गेहूं की फसल में बीमा क्लेम न के बराबर ही मिलता है। इसलिए बीमा कंपनी को ज्यादा प्रीमियम राशि मिल गई और क्लेम कम देना पड़ा। यदि मटर व चना की फसल की बोवाई दर्शाकर फसल बीमा कराया गया होता तो किसानों को क्लेम मिलता लेकिन बैंककर्मियों और बीमा कंपनी के अधिकारियों ने सांठ-गांठ करके किसानों से ठगी की है। जल्द ही इसकी भी जिला प्रशासन से शिकायत की जाएगी।
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जिले में खरीफ 2024 सीजन में सरकारी जमीनों, तालाबों, पहाड़ों में फसल की बोआई दिखाकर फर्जी तरीके से फसल बीमा कराया गया और करीब 40 करोड़ रुपये का भारी-भरकम क्लेम ले लिया गया। कई लोगों ने वास्तविक किसान की जमीन को अपना बताते हुए भी फर्जी तरीके से फसल बीमा कराकर क्लेम हड़प लिया। मामले का खुलासा होने पर जिले के पांच थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई गईं और करीब 250 से अधिक लोग नामजद हुए। इसमें बीमा कंपनी के जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी समेत 32 लोग जेल भी गए लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया से जुड़े किसी भी राजस्वकर्मी, बैंककर्मी या कृषि विभाग के अधिकारी का नाम प्राथमिकी में शामिल नहीं है, हालांकि कृषि विभाग के कार्यालय में फसल बीमा का पटल देख रहे अतुलेंद्र विक्रम सिंह को सस्पेंड कर दिया गया था लेकिन पुलिस की जांच की आंच किसी सरकारी अधिकारी कर्मचारी तक नहीं पहुंची है। जय जवान-जय किसान संगठन के जिलाध्यक्ष गुलाब सिंह राजपूत कहते हैं कि जिला प्रशासन को फर्रुखाबाद में हुई कार्रवाई से सबक लेना चाहिए। वहां पर केवल 68 लाख रुपये के फसल बीमा घोटाले में ही सख्त कार्रवाई करते हुए नौ बैंक शाखा प्रबंधकों पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई जबकि यहां पर 40 करोड़ के घोटाले के बाद भी घोटाले के वास्तविक सूत्रधार जांच प्रक्रिया से दूर हैं।
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बैंकों की मिलीभगत की भी होनी चाहिए जांच
महोबा। किसान नेता गुलाब सिंह राजपूत कहते हैं कि बैंककर्मियों ने खरीफ 2024 में दलालों से मिलीभगत करते हुए मनमाना क्लेम हड़पने में दलालों की मदद करने की आशंका है। बैंक खातों से गलत लेन-देन भी हुआ है। कई जगहों से इसके सबूत मिल रहे हैं। इसके साथ ही रबी 2024 के सीजन में किसान क्रेडिट कार्डधारी किसानों का बीमा कराते समय बैंककर्मियों ने चना और मटर की फसल की बोआई होने के बाद भी गेहूं की फसल का बीमा कराया। गेहूं की फसल में बीमा क्लेम न के बराबर ही मिलता है। इसलिए बीमा कंपनी को ज्यादा प्रीमियम राशि मिल गई और क्लेम कम देना पड़ा। यदि मटर व चना की फसल की बोवाई दर्शाकर फसल बीमा कराया गया होता तो किसानों को क्लेम मिलता लेकिन बैंककर्मियों और बीमा कंपनी के अधिकारियों ने सांठ-गांठ करके किसानों से ठगी की है। जल्द ही इसकी भी जिला प्रशासन से शिकायत की जाएगी।
