कार्रवाई: रिमांड लेने पहुंचे विवेचक को कोर्ट की फटकार; ठोस साक्ष्य न मिलने पर युवती निजी मुचलके पर रिहा
कानपुर में ग्वालटोली पुलिस दिव्यांशी चौधरी के खिलाफ ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सकी, जिस पर कोर्ट ने रिमांड से इनकार करते हुए उसे एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया। कमियों से भरी रिमांड शीट पर एसीजेएम सप्तम ने विवेचक को फटकार लगाई।
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शादी के नाम पर ठगी के आरोप में मेरठ के बड़ा मवाना से गिरफ्तार दिव्यांशी चौधरी को कोर्ट से बड़ी राहत मिली। ग्वालटोली पुलिस कोर्ट में उसके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सकी। रिमांड शीट में कई कमियां थीं, जिन पर उसकी ओर से पेश अधिवक्ता ने कड़ा विरोध दर्ज कराया।
एसीजेएम सप्तम ने पाया कि न्यायिक हिरासत का पर्याप्त आधार नहीं है। इस पर कोर्ट ने दिव्यांशी को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। साथ ही रिमांड लेने पहुंचे विवेचक को फटकार लगाई और भविष्य में विवेचना को नियमबद्ध तरीके से करने की हिदायत दी।
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पुलिस का आरोप था कि दिव्यांशी ने दो बैंक अधिकारियों सहित कई लोगों से रकम वसूली और शादी के नाम पर धोखा दिया। ग्वालटोली थाने में तैनात बीबीनगर (बुलंदशहर) निवासी दरोगा आदित्य कुमार ने 17 फरवरी 2024 को उससे विवाह किया था। आदित्य का कहना था कि दिव्यांशी ससुराल में नहीं रुकती थी और समय-समय पर पैसे लेती रही।
सोमवार को पुलिस ने उसे 'लुटेरी दुल्हन' बताकर गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन कोर्ट ने पर्याप्त आधार न पाते हुए उसे जेल भेजने से इनकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि दिव्यांशी विवेचना में पूरा सहयोग करेगी।
रिमांड में यह रहीं मुख्य कमियां
-अधिकतर धाराओं में सजा सात साल से कम थी, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार गिरफ्तारी आवश्यक नहीं थी।
-लगाई गई कई धाराएं जमानतीय थीं, जबकि अजमानतीय धाराओं के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं हुआ।
-पूर्व विवेचक और वादी दोनों ग्वालटोली थाने में तैनात रहे। इससे विवेचना की निष्पक्षता पर सवाल उठा।
-गिरफ्तारी से पहले अभियुक्त को अपराध का नोटिस देने की बाध्यता पूरी नहीं की गई, जो कार्रवाई को अवैध बनाता है।