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तर्क : फर्जी नहीं थी आंदोलनकारियों से हथियार बरामदगी
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मुज़फ्फरनगर। रामपुर तिराहा कांड के सीबीआई बनाम ब्रजकिशोर मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई। बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि पुलिस का आंदोलनकारियों पर हथियारों की बरामदगी दर्शाना फ़र्ज़ी नही था। कोर्ट ने बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 30 अक्तूबर निर्धारित कर दी।
एक अक्तूबर 1994 को पृथक राज्य गठन की मांग के लिए देहरादून से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों की बसों को छपार थाना क्षेत्र के रामपुर गांव के समीप पुलिस ने रोक लिया था। जिसके बाद आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी। पुलिस फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की मौत हुई थी। जबकि कई महिला आंदोलनकारियों के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ का आरोप लगा था।
सीबीआई की ओर से आंदोलनकारियों से हथियारों की फर्जी बरामदगी दर्शाने और एक आंदोलनकारी का शव गंग नहर में बहाए जाने के मामले की जांच कर छपार थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसके बाद विवेचना कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी। दोनों ही मामलों की पत्रावली पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बृहस्पतिवार को सीबीआई बनाम ब्रजकिशोर मामले में सुनवाई हुई।
बचाव पक्ष की और से बहस करते हुए तर्क दिया गया कि पुलिस की ओर से आंदोलनकारियों पर हथियारों की बरामदगी दर्शाना फ़र्ज़ी नही था। पुलिस ने आंदोलनकारियों से वास्तव में हथियार बरामद किए गए थे जबकि अन्य मामले में कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। सीबीआई बनाम राधा मोहन द्विवेदी पत्रावली में बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी।

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एक अक्तूबर 1994 को पृथक राज्य गठन की मांग के लिए देहरादून से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों की बसों को छपार थाना क्षेत्र के रामपुर गांव के समीप पुलिस ने रोक लिया था। जिसके बाद आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी। पुलिस फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की मौत हुई थी। जबकि कई महिला आंदोलनकारियों के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ का आरोप लगा था।
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सीबीआई की ओर से आंदोलनकारियों से हथियारों की फर्जी बरामदगी दर्शाने और एक आंदोलनकारी का शव गंग नहर में बहाए जाने के मामले की जांच कर छपार थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसके बाद विवेचना कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी। दोनों ही मामलों की पत्रावली पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बृहस्पतिवार को सीबीआई बनाम ब्रजकिशोर मामले में सुनवाई हुई।
बचाव पक्ष की और से बहस करते हुए तर्क दिया गया कि पुलिस की ओर से आंदोलनकारियों पर हथियारों की बरामदगी दर्शाना फ़र्ज़ी नही था। पुलिस ने आंदोलनकारियों से वास्तव में हथियार बरामद किए गए थे जबकि अन्य मामले में कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। सीबीआई बनाम राधा मोहन द्विवेदी पत्रावली में बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी।