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Raebareli News: लोकेशन के खेल से करोड़पति बन गए लोकेटर

संवाद न्यूज एजेंसी, रायबरेली Updated Fri, 28 Nov 2025 01:01 AM IST
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Locators became millionaires through the game of location
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रायबरेली। मौरंग भरे ट्रकों की एंट्री और लोकेशन तय करने के खेल ने ऐसे चेहरों को मालामाल कर दिया, जो कुछ साल पहले साधारण जीवन जीने को मजबूर थे। एसटीएफ और पुलिस की कार्रवाई के बाद अब वही लोकेटर रडार पर हैं। खुद को बचाने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं। जिले के कई ट्रांसपोर्टर व होटल-ढाबा मालिक गिरोह में शामिल हैं। ये पहले मामूली कारोबारी हुआ करते थे, लेकिन ओवरलोड और बिना रवन्ना के ट्रकों की दलाली ने उन्हें करोड़पति बना दिया।
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एसटीएफ और पुलिस के खुलासे से जाहिर है कि जिले में हर माह होने वाली ट्रकों की एंट्री का अवैध कारोबार फलफूल रहा था। इसमें प्रतिमाह दो करोड़ से अधिक की वसूली हो रही थी। इसमें परिवहन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता थी। सूत्रों के मुताबिक शहर के सुल्तानपुर रोड स्थित एक ट्रांसपोर्ट संचालक इस धंधे से काफी समय से जुड़ा रहा। कभी इसके पास वाहनों की संख्या कम थी, लेकिन इस धंधे में आने के बाद वाहनों की संख्या बढ़ गई है।
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चर्चा है कि पीटीओ रायबरेली की ओर से वसूली किए गए धनराशि को इसी ट्रांसपोर्ट में जमा करवाया जाता था। सरेनी इलाके का रहने वाला सरकारी शिक्षक लंबे अरसे से वाहनों की एंट्री और लोकेशन तय करने के खेल में शामिल है। शिक्षक की तैनाती सतांव इलाके में है, लेकिन वह शहर में रहता है। एक माह पहले शिक्षक का ऑडियो भी अवैध वसूली को लेकर वायरल हुआ था, लेकिन सेटिंग होने के कारण उस पर कार्रवाई नहीं हुई थी।

इसी तरह लालगंज इलाके के एक चर्चित ढाबे में काम करने वाला मुलायम भी खेल में शामिल रहा है। सरेनी इलाके के ही शुभम, शैलेंद्र, अंशू, इमरान के गिरोह में शामिल होने की बात कही जा रही है। फतेहपुर जिले के चर्चित होटल संचालक संदीप, विकास भी पांच साल से फतेहपुर के साथ रायबरेली में भी एंट्री और वाहनों के लोकेशन के खेल में शामिल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक ये लोग लोकेटर की भूमिका में अदा करते थे।


लखनऊ से करा रहे पैरवी, मोबाइल से मिटा दिए डेटा
मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद जब एसटीएफ ने पड़ताल शुरू की तो इस पूर खेल का पर्दाफाश हुआ। रायबरेली के साथ ही कई जिलों में चल रहे नेटवर्क की जानकारी खुलकर सामने आई। अब एसटीएफ और पुलिस ने लोकेटरों की फाइलें खंगालनी शुरू की तो यह गिरोह बचाव के जुगाड़ में लग गया है।

कई ने अपने मोबाइल और डेटा मिटा दिए हैं तो कुछ गुपचुप लखनऊ पहुंचकर पैरवी कर रहे हैं। कई दलाल अपने ठिकाने बदल चुके हैं। कुछ ने अपने मोबाइल नंबर तक बंद कर दिए हैं। होटल, ढाबों में हर रोज लगने वाली ट्रकों की कतार भी नजर नहीं आ रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में लोकेटरों और उनसे जुड़े लोगों पर और सख्त कार्रवाई होगी।
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