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देवबंद: मुस्लिमों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची जमीयत,  मौलाना मदनी बोले- खतरे में संविधान और लोकतंत्र

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देवबंद Published by: प्रशांत कुमार Updated Sun, 17 Apr 2022 09:23 PM IST
सार

मौलाना अरशद मदनी ने कहा भाजपा शासित राज्यों की तानाशाही और क्रूरता को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। अदालत से अनुरोध किया है कि वह राज्यों को आदेश दें कि अदालत की अनुमति के बिना किसी का घर या दुकान को गिराया न जाए। 

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Jamiat in Supreme Court against running bulldozer on property of Muslims Maulana Madani said Constitution and democracy in danger
जमीयत उलमा-ए-हिंद अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आरोप है कि भाजपा शासित राज्यों में अपराध की रोकथाम की आड़ में अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों को तबाह करने के उद्देश्य से बुलडोजर चलाया जा रहा है। इसे लेकर जमीयत उलमा-ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। जमीयत के अधिवक्ता की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि वर्तमान में अल्पसंख्यक ही नहीं बल्कि देश का संविधान और लोकतंत्र भी खतरे में है। जिसे बचाना बेहद जरुरी है। 

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रविवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा भाजपा शासित राज्यों की तानाशाही और क्रूरता को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। जमीयत की कानूनी इमदादी कमेटी के सचिव गुलजार अहमद आजमी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अदालत से अनुरोध किया है कि वह राज्यों को आदेश दें कि अदालत की अनुमति के बिना किसी का घर या दुकान को गिराया न जाए। 

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मुसलमानों के घरों और दुकानों को ध्वस्त किया

कहा कि उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की राजनीति पहले से जारी है। लेकिन अब यह सिलसिला गुजरात और मध्य प्रदेश में भी शुरू हो चुका है। हाल ही में रामनवमी के अवसर पर मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में जुलूस के दौरान अति भड़काऊ नारे लगाकर पहले तो दंगा किया गया और फिर राज्य सरकार के आदेश से एकतरफा कार्रवाई करते हुए मुसलमानों के घरों और दुकानों को ध्वस्त किया गया। राज्य सरकार की इस क्रूरता की न्यायप्रिय लोगों की ओर से कड़ी निंदा की जा रही है। वहीं, दूसरी ओर मध्य प्रदेश सरकार अपनी इस क्रूर कार्रवाई का बचाव कर रही है।

धार्मिक उग्रवाद और नफरत की एक काली आंधी पूरे देश में चलाई जा रही
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि धार्मिक उग्रवाद और नफरत की एक काली आंधी पूरे देश में चलाई जा रही है। अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों को भयभीत करने की जगह-जगह साजिशें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम मोहल्लों में मस्जिदों के सामने जाकर उन्हें उकसाया जा रहा है। पुलिस की उपस्थिति में लाठी डंडे लहरा कर दिल दहला देने वाले नारे लगाए जा रहे हैं, और इनके सबके सामने सरकारी मशीनरी मूकदर्शक बनी हुई है। मदनी ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे मुल्क में अब न तो कोई कानून रह गया और न ही कोई सरकार रह गई है। कहा कि सांप्रदायिक ताकतों द्वारा मुसलमानों का जीना दुर्भर किया हुआ है। जिस पर केंद्र सरकार की खामोशी बेचैन करने वाली है। 


 

अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करना पीएम की नैतिक जिम्मेदारी

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि ऐसी नाजुक स्थिति में देश के अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवैधानिक एवं नैतिक जिम्मेदारी है। क्योंकि प्रधानमंत्री पूरे देश का होता है न कि किसी एक पार्टी, समुदाय या धर्म का। बल्कि पूरे देश का होता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर देश में संविधान और क़ानून की सर्वोच्चता समाप्त हुई और धार्मिक सद्भाव का ताना-बाना टूट गया तथा धर्मनिरपेक्ष संविधान को निष्क्रिय कर दिया गया तो यह बात देश के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। देश के विकास के लिए क़ानून और संविधान की सर्वोच्चता अति आवश्यक है। 

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