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Shravasti News: अनुयायियों ने बोधि वृक्ष का किया पूजन
संवाद न्यूज एजेंसी, श्रावस्ती
Updated Fri, 19 Dec 2025 11:57 PM IST
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जेतवन परिसर में प्रार्थना करते नेपाली अनुयायी।- संवाद
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कटरा। बौद्ध तपोस्थली श्रावस्ती शुक्रवार को नेपाल से आए अनुयायियों के 30 सदस्यीय दल से गुलजार रही। सभी ने बौद्ध भिक्षु भंवरानंद के नेतृत्व में पारंपरिक ढंग से बोधि वृक्ष का पूजन किया। इस दौरान बौद्ध सभा का भी आयोजन किया गया।
बौद्ध सभा को संबोधित करते हुए भिक्षु भंवरानंद ने कहा कि भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में 563 ईसा पूर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था। सत्य की खोज में घर छोड़ने के बाद वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में पीपल के एक वृक्ष के नीचे ध्यान साधना करते हुए उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ।
वैशाख पूर्णिमा के दिन ही 483 ईसा पूर्व कुशीनारा में महात्मा बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ। भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके शिष्यों ने राजगृह में एक परिषद का आह्वान किया, जहां बौद्ध धर्म की मुख्य शिक्षाओं को संहिताबद्ध किया गया।
भिक्षु भंवरानंद ने आगे बताया कि इन शिक्षाओं को पिटकों के रूप में समानुक्रमित करने के लिए चार बौद्ध संगीतियों का आयोजन किया गया। संगीतियो के बाद तीन मुख्य पिटक बने, जो विनय पिटक (बौद्ध मतावलंबियों के लिए व्यवस्था के नियम), सुत पिटक (बुद्ध के उपदेश सिद्धांत) और अभिधम्म पिटक (बौद्ध दर्शन) कहलाए। संयुक्त रूप से इन्हें त्रिपिटक कहा जाता है।
सभी के बाद अनुयायियों ने तपोस्थली का भ्रमण किया।
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बौद्ध सभा को संबोधित करते हुए भिक्षु भंवरानंद ने कहा कि भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में 563 ईसा पूर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था। सत्य की खोज में घर छोड़ने के बाद वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में पीपल के एक वृक्ष के नीचे ध्यान साधना करते हुए उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ।
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वैशाख पूर्णिमा के दिन ही 483 ईसा पूर्व कुशीनारा में महात्मा बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ। भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके शिष्यों ने राजगृह में एक परिषद का आह्वान किया, जहां बौद्ध धर्म की मुख्य शिक्षाओं को संहिताबद्ध किया गया।
भिक्षु भंवरानंद ने आगे बताया कि इन शिक्षाओं को पिटकों के रूप में समानुक्रमित करने के लिए चार बौद्ध संगीतियों का आयोजन किया गया। संगीतियो के बाद तीन मुख्य पिटक बने, जो विनय पिटक (बौद्ध मतावलंबियों के लिए व्यवस्था के नियम), सुत पिटक (बुद्ध के उपदेश सिद्धांत) और अभिधम्म पिटक (बौद्ध दर्शन) कहलाए। संयुक्त रूप से इन्हें त्रिपिटक कहा जाता है।
सभी के बाद अनुयायियों ने तपोस्थली का भ्रमण किया।
