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Sonebhadra News: जिले में 52 डायग्नोस्टिक सेंटर रेडियोलॉजिस्ट आधे में भी नहीं
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सोनभद्र। जिले में सिर्फ निजी अस्पताल ही नहीं, डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालन में भी नियम-निर्देश दरकिनार हैं। पंजीकरण के लिए रेडियोलॉजिस्ट, सोनोलॉजिस्ट की डिग्रियां लगाई गई हैं, जबकि सामान्य दिनों में सिर्फ टेक्नीशियन के भरोसे ही चल रहा है। नतीजा जांच रिपोर्ट में गड़बड़ियां अक्सर सामने आ रही हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर मरीजाें का उपचार भी किया जा रहा है। पूर्व में इसकी पोल खुलने के बाद भी मनमाने संचालन वाले केंद्रों पर शिकंजा कसने में महकमा नाकाम है।
पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालन को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं। समय-समय पर इसकी बैठक कर हिदायतें भी जारी होती रही हैं। बावजूद अधिकांश डायग्नोस्टिक सेंटर नियम-निर्देशों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। महज एक सोनोलॉजिस्ट के सहारे अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, सीटी स्कैन, ईसीजी जांच हो रही है तो कहीं महज तकनीशियन ही अल्ट्रासाउंड केंद्र चला रहे हैं। कई केंद्र ऐसे हैं जहां अल्ट्रासाउंड के साथ पैथालॉजी भी संचालित है। इनका संचालन किसके जरिए और किस रूप में किया जा रहा है? इसकी जानने की जरूरत तो दूर मुख्यालय पर ही ग्राउंड फ्लोर के प्रावधान की अनदेखी हो रही है।
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किस जांच के लिए किस विशेषज्ञ की पड़ती है जरूरत :
जिले में 52 डायग्नोस्टिक सेंटर पंजीकृत हैं, जबकि रेडियोलाॅजिस्ट की संख्या गिनी-चुनी है।एक सोनाेलॉजिस्ट अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन कर सकता है। अल्ट्रासाउंड के साथ एक्सरे, सीटी स्कैन के लिए रेडियोलॉजिस्ट जरूरी है। ईसीजी जांच कार्डियोलॉजिस्ट या हृदय रोग निदान का अनुभव रखने वाला डाॅक्टर, ईईजी की जांच न्यूरो फिजियोलॉजिस्ट या न्यूरो सर्जन कर सकता है। पैथोलॉजी के लिए अलग से विशेषज्ञ-तकनीकी स्टाफ चाहिए।
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पहली मंजिल पर चल रहा अल्ट्रासाउंड
नियमों के तहत अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन अमूमन भूतल पर होना चाहिए, जिससे गर्भवती महिला, बुजुर्ग और बीमार आसानी से आ-जा सकें। पहली या दूसरी मंजिल पर होने की दशा में लिफ्ट या रैंप की सुविधा होनी चाहिए। मुख्यालय पर ही एक केंद्र पहली मंजिल पर संचालित हैं। वहां तक पहुंचने के लिए मरीजों को सीढि़यां चढ़नी पड़ रही हैं। अफसरों की इस पर नजर नहीं है।
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तकनीशियन कर रहे जांच, मिल रही गलत रिपोर्ट
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में खामियाें के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसके पीछे विशेषज्ञ की बजाय तकनीशियन से जांच को कारण बताया जाता है। अनपरा में तैनात एक पुलिसकर्मी ने करीब दो साल पहले पेट दर्द की शिकायत पर अल्ट्रासाउंड जांच कराई तो पथरी की रिपोर्ट दी गई। एक दिन बाद सिंगरौली में अल्ट्रासाउंड कराया तो पता चला ऐसा कुछ नहीं है। इसी तरह जिला मुख्यालय पर पेट दर्द की शिकायत पर एक बच्चे का अल्ट्रासाउंड हुआ तो 9 एमएम पथरी की रिपोर्ट दे दी गई। बीएचयू जाने पता चला कि महज गैस की दिक्कत है। अनपरा के ही कुलडोमरी निवासी एक व्यक्ति ने गर्भवती बहू का नौंवे महीने में अल्ट्रासाउंड कराया तो रिपोर्ट देख डाॅक्टर ने सामान्य प्रसव कराने से मना कर दिया। घबराए परिजन बैढ़न पहुंचे तो वहां जांच में रिपोर्ट सामान्य मिली और प्रसव भी सामान्य तरीके से हुआ।
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पड़ताल में दिखी कई गड़बडियां :
मुख्यालय पर बुधवार को पड़ताल में कलेक्ट्रेट मोड़ से पहले स्थित डायग्नोस्टिक सेंटर पर वनली पैथालॉजी टेस्ट हियर लिखा मिला। फ्लाईओवर के नीचे पश्चिमी तरफ ईसीजी से ईईजी जांच का दावा करने वाले सेंटर के संचालक ने बताया कि उनके यहां ईसीजी तक की जांच होती है। डॉक्टर के बोर्ड पर बिल्कुल पास जाने पर पढ़ने में आने वाले वाराणसी के एक न्यूरो फिजियोलॉजिस्ट के नाम वाला प्रिंट चस्पा मिला। सिविल लाइंस रोड पर बैंक के ऊपरी तल पर अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन पाया गया। बढ़ौली चौक से धर्मशाला चौक तक के एरिया में एक ही जगह कई जांच के बोर्ड लगे मिले।
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वर्जन-
ऊपरी तल वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए नोटिस जारी कर दी गई है। अन्य जगह भी जांच के लिए तय विशेषज्ञ मौजूद हों, इसके लिए निगरानी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। नियमों की अनदेखी करने वाले केंद्रों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. गुलाब शंकर यादव, नोडल अधिकारी, प्राइवेट चिकित्सालय

पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालन को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं। समय-समय पर इसकी बैठक कर हिदायतें भी जारी होती रही हैं। बावजूद अधिकांश डायग्नोस्टिक सेंटर नियम-निर्देशों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। महज एक सोनोलॉजिस्ट के सहारे अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, सीटी स्कैन, ईसीजी जांच हो रही है तो कहीं महज तकनीशियन ही अल्ट्रासाउंड केंद्र चला रहे हैं। कई केंद्र ऐसे हैं जहां अल्ट्रासाउंड के साथ पैथालॉजी भी संचालित है। इनका संचालन किसके जरिए और किस रूप में किया जा रहा है? इसकी जानने की जरूरत तो दूर मुख्यालय पर ही ग्राउंड फ्लोर के प्रावधान की अनदेखी हो रही है।
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किस जांच के लिए किस विशेषज्ञ की पड़ती है जरूरत :
जिले में 52 डायग्नोस्टिक सेंटर पंजीकृत हैं, जबकि रेडियोलाॅजिस्ट की संख्या गिनी-चुनी है।एक सोनाेलॉजिस्ट अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन कर सकता है। अल्ट्रासाउंड के साथ एक्सरे, सीटी स्कैन के लिए रेडियोलॉजिस्ट जरूरी है। ईसीजी जांच कार्डियोलॉजिस्ट या हृदय रोग निदान का अनुभव रखने वाला डाॅक्टर, ईईजी की जांच न्यूरो फिजियोलॉजिस्ट या न्यूरो सर्जन कर सकता है। पैथोलॉजी के लिए अलग से विशेषज्ञ-तकनीकी स्टाफ चाहिए।
पहली मंजिल पर चल रहा अल्ट्रासाउंड
नियमों के तहत अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन अमूमन भूतल पर होना चाहिए, जिससे गर्भवती महिला, बुजुर्ग और बीमार आसानी से आ-जा सकें। पहली या दूसरी मंजिल पर होने की दशा में लिफ्ट या रैंप की सुविधा होनी चाहिए। मुख्यालय पर ही एक केंद्र पहली मंजिल पर संचालित हैं। वहां तक पहुंचने के लिए मरीजों को सीढि़यां चढ़नी पड़ रही हैं। अफसरों की इस पर नजर नहीं है।
तकनीशियन कर रहे जांच, मिल रही गलत रिपोर्ट
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में खामियाें के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसके पीछे विशेषज्ञ की बजाय तकनीशियन से जांच को कारण बताया जाता है। अनपरा में तैनात एक पुलिसकर्मी ने करीब दो साल पहले पेट दर्द की शिकायत पर अल्ट्रासाउंड जांच कराई तो पथरी की रिपोर्ट दी गई। एक दिन बाद सिंगरौली में अल्ट्रासाउंड कराया तो पता चला ऐसा कुछ नहीं है। इसी तरह जिला मुख्यालय पर पेट दर्द की शिकायत पर एक बच्चे का अल्ट्रासाउंड हुआ तो 9 एमएम पथरी की रिपोर्ट दे दी गई। बीएचयू जाने पता चला कि महज गैस की दिक्कत है। अनपरा के ही कुलडोमरी निवासी एक व्यक्ति ने गर्भवती बहू का नौंवे महीने में अल्ट्रासाउंड कराया तो रिपोर्ट देख डाॅक्टर ने सामान्य प्रसव कराने से मना कर दिया। घबराए परिजन बैढ़न पहुंचे तो वहां जांच में रिपोर्ट सामान्य मिली और प्रसव भी सामान्य तरीके से हुआ।
पड़ताल में दिखी कई गड़बडियां :
मुख्यालय पर बुधवार को पड़ताल में कलेक्ट्रेट मोड़ से पहले स्थित डायग्नोस्टिक सेंटर पर वनली पैथालॉजी टेस्ट हियर लिखा मिला। फ्लाईओवर के नीचे पश्चिमी तरफ ईसीजी से ईईजी जांच का दावा करने वाले सेंटर के संचालक ने बताया कि उनके यहां ईसीजी तक की जांच होती है। डॉक्टर के बोर्ड पर बिल्कुल पास जाने पर पढ़ने में आने वाले वाराणसी के एक न्यूरो फिजियोलॉजिस्ट के नाम वाला प्रिंट चस्पा मिला। सिविल लाइंस रोड पर बैंक के ऊपरी तल पर अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन पाया गया। बढ़ौली चौक से धर्मशाला चौक तक के एरिया में एक ही जगह कई जांच के बोर्ड लगे मिले।
वर्जन-
ऊपरी तल वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए नोटिस जारी कर दी गई है। अन्य जगह भी जांच के लिए तय विशेषज्ञ मौजूद हों, इसके लिए निगरानी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। नियमों की अनदेखी करने वाले केंद्रों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. गुलाब शंकर यादव, नोडल अधिकारी, प्राइवेट चिकित्सालय