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Sonebhadra News: विवेचना में खामी से दुष्कर्म का आरोपी बरी
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सोनभद्र। नाबालिग से दुष्कर्म और जहर खाकर पीड़िता के जान देने के मामले की विवेचना में खामियों के चलते अपराध साबित नहीं किया जा सका। किसी भी तथ्य की पुष्टि न होने पर कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।
अभियोजन के मुताबिक पन्नूगंज थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने 28 जून 2018 को पुलिस को तहरीर दी थी। बताया कि चार दिन पूर्व पत्नी-बच्चों को लेकर वह रिश्तेदारी में गया था। घर पर सिर्फ उसकी दोनों नाबालिग बेटियां थी। आरोप लगाया कि 24 जून को उनकी एक बेटी के साथ छेड़छाड़ की गई। घर लौटने पर बेटी ने इसकी जानकारी दी। इसी से क्षुब्ध होकर अगले दिन जहरीली दवा खा ली। उपचार के दौरान मौत हो गई।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि संपूर्ण विवेचना से अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा है कि पीड़िता की मृत्यु का क्या कारण था? पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। विवेचक ने कोई जहर/ कीटनाशक दवा एकत्र नहीं किया। विवेचक ने अपने बयान में भी कहा है कि वादी मुकदमा ने कीटनाशक दवा घर में रखने की बात बताई थी लेकिन उन्होंने वह जगह नहीं देखी जहां कीटनाशक दवा घर में रखी थी।
पीड़िता के इलाज से भी जुड़ा कोई प्रपत्र, इलाज करने वाले डॉक्टर को पेश नहीं किया गया। ऐसे में उस वक्त पीड़िता की शारीरिक स्थिति कैसी थी, वह चेतना में थी अथवा नहीं थी, क्या उसने वाकई जहर खाया था? स्पष्ट नहीं हो सका है। परीक्षित कराए गए गवाहों के बयान से भी ऐसा कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला जिससे आरोपों को साबित किया जा सके।
न्यायालय ने कहा कि किसी अपराध के लिए आरोपी को दोषी ठहराने से पहले न्यायालय को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की सावधानी पूर्वक जांच करनी होती है। आत्महत्या के कथित उकसावे के मामले में आत्महत्या के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसाने का सबूत होना जरूरी है।
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अभियोजन के मुताबिक पन्नूगंज थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने 28 जून 2018 को पुलिस को तहरीर दी थी। बताया कि चार दिन पूर्व पत्नी-बच्चों को लेकर वह रिश्तेदारी में गया था। घर पर सिर्फ उसकी दोनों नाबालिग बेटियां थी। आरोप लगाया कि 24 जून को उनकी एक बेटी के साथ छेड़छाड़ की गई। घर लौटने पर बेटी ने इसकी जानकारी दी। इसी से क्षुब्ध होकर अगले दिन जहरीली दवा खा ली। उपचार के दौरान मौत हो गई।
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सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि संपूर्ण विवेचना से अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा है कि पीड़िता की मृत्यु का क्या कारण था? पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। विवेचक ने कोई जहर/ कीटनाशक दवा एकत्र नहीं किया। विवेचक ने अपने बयान में भी कहा है कि वादी मुकदमा ने कीटनाशक दवा घर में रखने की बात बताई थी लेकिन उन्होंने वह जगह नहीं देखी जहां कीटनाशक दवा घर में रखी थी।
पीड़िता के इलाज से भी जुड़ा कोई प्रपत्र, इलाज करने वाले डॉक्टर को पेश नहीं किया गया। ऐसे में उस वक्त पीड़िता की शारीरिक स्थिति कैसी थी, वह चेतना में थी अथवा नहीं थी, क्या उसने वाकई जहर खाया था? स्पष्ट नहीं हो सका है। परीक्षित कराए गए गवाहों के बयान से भी ऐसा कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला जिससे आरोपों को साबित किया जा सके।
न्यायालय ने कहा कि किसी अपराध के लिए आरोपी को दोषी ठहराने से पहले न्यायालय को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की सावधानी पूर्वक जांच करनी होती है। आत्महत्या के कथित उकसावे के मामले में आत्महत्या के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसाने का सबूत होना जरूरी है।