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Sonebhadra News: सोशल मीडिया से मिला मंच पर सुकून छिना
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नंदगंज स्थित रेनबो मॉडर्न स्कूल में आयोजित संवाद कार्यक्रम में बोलतीं प्रिंसिपल बीना जायसवाल-स
- फोटो : udhampur news
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गाजीपुर। सोशल मीडिया से महिलाओं को अभिव्यक्ति का मंच तो मिला है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रिश्तों को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं।
साइबरबुलिंग, परफेक्ट दिखने का दबाव, तुलना की प्रवृत्ति, अकेलापन, अवसाद और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। ये बातें बुधवार को नंदगंज स्थित रेनबो मॉडर्न स्कूल में अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने कहीं।
संवाद का विषय सोशल मीडिया का महिला जीवन पर प्रभाव रहा। कार्यक्रम शुभारंभ मुख्य अतिथि व विद्यालय की प्रधानाचार्य बीना जायसवाल ने किया। उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाएं, जहां सोशल मीडिया का संतुलित उपयोग कर पा रही हैं, वहीं कई गृहिणियां इसके नकारात्मक प्रभावों से जूझ रही हैं।
रेनू श्रीवास्तव ने कहा कि आज सोशल मीडिया ही दुनिया बन गई है। हर समय कुछ नया देखने को मिलता है, लेकिन अब यह सिरदर्द साबित होने लगा है।
कालिंदी त्रिपाठी ने साइबरबुलिंग को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर अधिक समय देने से वास्तविक रिश्ते कमजोर हो रहे हैं। दोस्तों से मिलना-जुलना कम हो गया है, जिससे अकेलेपन की भावना बढ़ रही है। इसका असर नींद और दिनचर्या पर भी पड़ रहा है।
कंचन लता द्विवेदी ने कहा कि सोशल मीडिया ने महिलाओं को जोड़ा है और उन्हें आवाज दी है। कई महिलाओं को इससे सशक्तिकरण मिला है, लेकिन इसके लिए संतुलन बेहद जरूरी है।
प्रीति यादव ने कहा कि सोशल मीडिया का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि इससे दूर रहना मुश्किल लगता है। बेबी तरन्नुम ने समाधान पर जोर देते हुए कहा कि स्क्रीन टाइम कम करना, ऑफलाइन रिश्तों को समय देना और यह समझना जरूरी है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाली चीजें हमेशा सच नहीं होतीं।
कार्यक्रम में प्रियंका पांडेय, शशिबाला सिंह, पूनम मिश्रा, शाहीन बेगम, मंजू यादव, प्रियंका सिंह, अन्नू चौरसिया, अंजली राय, गीता पटेल सहित 25 महिलाएं मौजूद रहीं।
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संवाद का विषय सोशल मीडिया का महिला जीवन पर प्रभाव रहा। कार्यक्रम शुभारंभ मुख्य अतिथि व विद्यालय की प्रधानाचार्य बीना जायसवाल ने किया। उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाएं, जहां सोशल मीडिया का संतुलित उपयोग कर पा रही हैं, वहीं कई गृहिणियां इसके नकारात्मक प्रभावों से जूझ रही हैं।
रेनू श्रीवास्तव ने कहा कि आज सोशल मीडिया ही दुनिया बन गई है। हर समय कुछ नया देखने को मिलता है, लेकिन अब यह सिरदर्द साबित होने लगा है।
कालिंदी त्रिपाठी ने साइबरबुलिंग को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर अधिक समय देने से वास्तविक रिश्ते कमजोर हो रहे हैं। दोस्तों से मिलना-जुलना कम हो गया है, जिससे अकेलेपन की भावना बढ़ रही है। इसका असर नींद और दिनचर्या पर भी पड़ रहा है।
कंचन लता द्विवेदी ने कहा कि सोशल मीडिया ने महिलाओं को जोड़ा है और उन्हें आवाज दी है। कई महिलाओं को इससे सशक्तिकरण मिला है, लेकिन इसके लिए संतुलन बेहद जरूरी है।
प्रीति यादव ने कहा कि सोशल मीडिया का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि इससे दूर रहना मुश्किल लगता है। बेबी तरन्नुम ने समाधान पर जोर देते हुए कहा कि स्क्रीन टाइम कम करना, ऑफलाइन रिश्तों को समय देना और यह समझना जरूरी है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाली चीजें हमेशा सच नहीं होतीं।
कार्यक्रम में प्रियंका पांडेय, शशिबाला सिंह, पूनम मिश्रा, शाहीन बेगम, मंजू यादव, प्रियंका सिंह, अन्नू चौरसिया, अंजली राय, गीता पटेल सहित 25 महिलाएं मौजूद रहीं।
