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Sonebhadra News: दो लाख मतदाता नहीं बता सके 2003 की सूची में कहां था उनका नाम

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Wed, 17 Dec 2025 01:14 AM IST
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Two lakh voters could not tell where their names were in the 2003 list.
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सोनभद्र। जिले के दो लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम का वर्ष 2003 की मतदाता सूची से मिलान (मैपिंग) नहीं हो पा रहा। ये लोग नहीं बता पा रहे कि वर्ष 2003 में वह या उनके माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी कहां के मतदाता थे। वह बाहर से आए हैं या यहीं के थे। ऐसे मतदाताओं की सबसे ज्यादा संख्या दुद्धी विधानसभा क्षेत्र में है।
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छत्तीसगढ़, झारखंड और मप्र की सीमा से सटा यह क्षेत्र बाहरी लोगों के तेजी से बसने की चर्चा में रहा है। अब मतदाताओं की मैपिंग न होने से भी इन चर्चाओं को बल मिल रहा है। फिलहाल ऐसे मतदाताओं को नोटिस भेजने की तैयारी है। इसके बाद सूची में इनके नाम रखने या हटाने पर निर्णय होगा।
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मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के लिए चुनाव आयोग की ओर से विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका पहला चरण 26 दिसंबर तक पूरा होगा। इस चरण में बीएलओ की ओर वर्ष 2025 की सूची में शामिल सभी मतदाताओं को गणना प्रपत्र उपलब्ध कराया गया है। इसमें उन्हें अपना ब्योरा भरकर प्रस्तुत करना है।
इसी प्रपत्र में उन्हें यह भी बताना है कि एसआईआर के लिए आधार निर्धारित वर्ष 2003 की मतदाता सूची में उनका नाम किस विधानसभा क्षेत्र और किस बूथ की सूची में थे। जो तब मतदाता नहीं थे, उन्हें अपने माता-पिता, दादी-दादी या नाना-नानी का विवरण भरना है। इसी के आधार पर उनकी मैपिंग करते हुए उनकी पहचान को स्पष्ट किया जाना है।
जिले में अब तक की प्रक्रिया के तहत 204310 नाम ऐसे चिह्नित हुए हैं, जिनकी ओर से इस संबंध में कोई विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है। नतीजा उनकी मैपिंग ही नहीं हो पा रही। कुछ मतदाताओं ने विधानसभा क्षेत्र बदलने के कारण सही विवरण नहीं भरा है तो तमाम ऐसे लोग हैं, जिन्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।
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इतने मतदाताओं की नहीं हुई मैपिंग
विस क्षेत्र: कुल मतदाता: नो मैपिंग वाले मतदाता
घोरावल: 393009: 29229
रॉबर्ट्सगंज: 342498: 36293
ओबरा: 326613: 64174
दुद्धी: 342958: 74614
कुल: 1172428: 204310
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इसलिए नहीं मिल पा रहा ब्योरा
आदिवासी बहुल दुद्धी और ओबरा विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की ओर से पुराने रिकॉर्ड उपलब्ध न करा पाने की कई वजह है। इसमें एक कारण विधानसभा क्षेत्र का नए परिसीमन भी है। वर्ष 2003 में ओबरा विधानसभा अस्तित्व में नहीं थी। संबंधित इलाके दुद्धी विस क्षेत्र का ही हिस्सा थे। परिसीमन से स्थितियां बदली हैं। सुदूर के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोग इससे बेखबर रहे हैं। इसके अलावा निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की औद्योगिक परियोजना के कामगार भी अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रहे। वह रोजगार के सिलसिले में बाहर से आए और बाद में यहीं बस गए। पूर्व के निवास स्थान से संपर्क नहीं होने से उनकी परेशानी बढ़ी है।
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वर्जन...
जिन मतदाताओं की मैपिंग नहीं हो पाई है, उन्हें नोटिस देकर साक्ष्य प्रस्तुत करने का मौका दिया जाएगा। वर्ष 2003 के रिकॉर्ड के अनुसार मतदाता सूची में अपने या माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी से संबंधित ब्योरा देना होगा। साक्ष्य के आधार पर उनकी मैपिंग की जाएगी। - जगरूप सिंह पटेल, सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी।
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