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IMS BHU: AI तकनीक से मरीजों को देखने वाला देश का पहला संस्थान बना बीएचयू ट्रॉमा सेंटर, इमरजेंसी में होगा कारगर

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Wed, 03 Sep 2025 09:14 PM IST
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सार

आईएमएस बीएचयू में अब मरीजों का परीक्षण आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित डिवाइस से होंगे। बीमारियों या चोट का सही आंकलन करने के बाद उन्हें इसकी जानकारी चिकित्सकों तक पहुंचाई जाएगी।

BHU Trauma Center became first institute of india see patients with AI technology very effective in emergency
आईएमएस बीएचयू का ट्रॉमा सेंटर। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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Varanasi News: आईएमएस बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीजों के इलाज में अब एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) आधारित डिवाइस तकनीक ट्रॉमा सेंटर बीएचयू स्कोरिंग सिस्टम (टीसीबीएचयू एसएस) मददगार बनेगी। 

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इसकी मदद से इमरजेंसी में मरीज के आते ही उसकी चोट की गंभीरता का सही आंकलन किया जा सकेगा। इसकी विस्तृत जानकारी संबंधित डॉक्टर को भी तुरंत मिल जाएगी। इस तरह की सुविधा शुरू करने वाला ट्रॉमा सेंटर देश का पहला संस्थान है।
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ट्रॉमा सेंटर में वाराणसी और आसपास के जिलों के साथ ही बिहार, झारखंड आदि जगहों से हर दिन इमरजेंसी में सड़क दुघर्टना, अन्य कारणों से चोट लगने वाले 200 से अधिक मरीजों को तीमारदार लेकर पहुंचते हैं। इमरजेंसी में आने पर मरीजों को तत्काल बेहतर इलाज न मिले तो उनकी जान जोखिम मे पड़ जाती है।

तीमारदारों को होगी काफी सुविधा

अब जिस एआई संचालित डिवाइस का प्रयोग शुरू किया जा रहा है, यह डॉक्टर द्वारा दर्ज की गई जानकारी के आधार पर स्कोरिंग सिस्टम तुरंत विश्लेषित करता है। साथ ही चोट की गंभीरता और मृत्यु की संभावना का अनुमान लगाता है।

ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह का कहना है कि ट्रॉमा केस में गोल्डन ऑवर का बहुत महत्व होता है। यानी चोट लगने के बाद जल्द से जल्द ट्रॉमा पहुंचने पर इलाज मिलना है। पिछले एक महीने से ट्रॉमा सेंटर बीएचयू स्कोरिंग सिस्टम नामक प्रणाली का ट्रायल चल रहा है, जो कि बहुत सफल है।

क्या है स्कोरिंग सिस्टम
बीएचयू ट्रॉमा सेंटर प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह का कहना है कि ट्रॉमा सेंटर बीएचयू स्कोरिंग सिस्टम एक ऐसा टूल है, जो मरीजों की ट्रायेज यानी गंभीर स्थिति को तय करता है कि किसे तुरंत गहन चिकित्सा देखभाल में ले जाना चाहिए। 

जैसे ही कोई मरीज केंद्र पर पहुंचता है, एक प्रशिक्षित डॉक्टर या डेटा कोऑर्डिनेटर मोबाइल पर टीसीबीएचयू एसएस एप्लिकेशन खोलकर मरीज की स्थिति से जुड़ी जानकारियां दर्ज करता है। इनमें चोट का प्रकार, सांस लेने की प्रक्रिया, ब्लड प्रेशर, रक्तस्राव की स्थिति और अन्य जीवन-निर्देशक संकेत शामिल होते हैं।



जानकारी दर्ज करने के साथ ही सिस्टम तुरंत उसका विश्लेषण कर एक स्कोर तैयार करता है। यह स्कोर चोट की गंभीरता और मृत्यु की संभावना का अनुमान बताता है। आसान शब्दों में कहें तो यह मेडिकल टीम को बता देता है कि कई मरीजों में से किसे तत्काल आईसीयू में भर्ती करना ज़रूरी है।

कई मरीज एक साथ आने पर सबसे बड़ा सहारा
ट्रॉमा सेंटर में शुरू की गई यह तकनीक उस समय और सहायक होती है, जब सड़क हादसों या किसी सामूहिक दुर्घटना में एक साथ कई मरीज पहुंच जाते हैं। हर मरीज का डेटा अलग-अलग पेज पर भर दिया जाता है। अब चंद सेकंड में सिस्टम सभी एंट्री का विश्लेषण कर बता देता है कि किसकी हालत सबसे नाजुक है। इससे संसाधनों का सही आवंटन होता है और सबसे गंभीर मरीज को प्राथमिकता से गहन चिकित्सा मिलती है।

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