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UP: सीएम ने मोरारी बापू से की मुलाकात, शंकराचार्य बोले- सूतक का पालन न करने वाले कैसे रख रहे सिंदूर का मान

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Mon, 16 Jun 2025 11:50 PM IST
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सार

सूतक काल में बाबा काशी विश्वनाथ का स्पर्शन दर्शन करने के बाद कथावाचक मोरारी बापू का विरोध लगातार जारी है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी उन पर नाराजगी जाहिर की है। इस बीच सीएम योगी ने मोरारी बापू से मुलाकात की है।

CM yogi met Morari Bapu Shankaracharya said not follow Sutak keeping value of vermilion
मोरारी बापू से मिले सीएम योगी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जताई नाराजगी। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि मोरारी बापू की धर्मपत्नी आजीवन उनके लिए सिंदूर लगाती रहीं, लेकिन उनकी मृत्यु हो जाने पर दस दिन सूतक का पालन नहीं करने वाले कैसे सिंदूर का मान रख रहे हैं?

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यह मात्र एक व्यक्ति का प्रश्न नहीं है। जब कोई सामान्य व्यक्ति ऐसा करे तो उसकी उपेक्षा की जा सकती है पर कोई प्रसिद्ध व्यक्ति शास्त्र विरुद्ध कृत्य करता है तो लोग अनुकरण करने लगते हैं। शास्त्र विरुद्ध आचरण कदापि अनुकरणीय नहीं हो सकता।
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सोमवार को केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में शंकराचार्य ने कहा कि विश्वनाथ मंदिर का प्रशासन धर्म की अवहेलना कर रहा है। यदि वहां की व्यवस्था किसी धार्मिक व्यक्ति के अधीन होती तो ऐसा अधर्म वहां पर नहीं हो सकता था। इसीलिए कहा जाता है कि धर्म का कार्य धार्मिकों की देख-रेख में होना चाहिए। जो लोग मंदिर का दर्शन कर रहे हैं उनको भी दोष लग रहा है क्योंकि इस कृत्य के बाद मंदिर का शुद्धिकरण नहीं हुआ है। 

जताई नाराजगी

शंकराचार्य ने कहा कि जिन राम भगवान की बापू कथा कहते हैं, उन राम भगवान के जीवन में धर्मशास्त्र ही प्रमुख था। धर्मशास्त्र का अर्थ ही है वेद और स्मृति। भगवान रामजी का एक भी आचरण वेद विरुद्ध नहीं रहा तो उनकी कथा करने वाले बापू जी कैसे वेद विरुद्ध आचरण कर सकते हैं? 

मोरारी बापू से हमारा कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है परंतु यह हमारा दायित्व है कि जहां भी शास्त्र का लोप हो रहा है उसके सुधार के लिए सचेत करें। क्योंकि जब शास्त्र की अवहेलना होती है तो व्यक्ति को न तो सिद्धि मिलती है और न सुख मिलता है।

निम्बार्क संप्रदाय कैसे दे सकता है किसी को अनैतिक कृत्य करने की छूट
मोरारी बापू ने अपने वक्तव्य में कहा कि वे निम्बार्क संप्रदाय के साधु हैं। उसमें समाधि होने पर ही सब कुछ समाप्त हो जाता है। सूतक नहीं लगता तो इस पर हम यह जानना जानते है कि निम्बार्क संप्रदाय के किस ग्रंथ में गृहस्थ व्यक्ति को सूतक न होने का वर्णन है। निम्बार्क संप्रदाय एक वैदिक संप्रदाय है तो वह कैसे अनैतिक कृत्य की छूट किसी को दे सकता है? राजा, ब्रह्मचारी और यति को सूतक नहीं लगता। 

इसके अतिरिक्त अन्य सभी के लिए सूतक हमारे हिंदू धर्मशास्त्र में कहा गया है। निम्बार्क संप्रदाय में मरण शौच नहीं लगता ऐसा मोरारी बापू ने अपने वक्तव्य में कहा है। अब यह जिम्मेदारी निम्बार्क सम्प्रदाय के लोगों की भी है कि वे इस बात को स्पष्ट करें। मोरारी बापू ने कथा में कहा कि हमारे पास भी शास्त्र हैं और खुलासा कर सकते हैं तो इस पर हम यह कहना चाहते हैं कि वे खुलासा करें कि जो उन्होंने कहा है उस वक्तव्य की पुष्टि किस शास्त्र वाक्य से होती है।

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