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यूपी: भारत-पाक युद्ध में शहीद रामध्यान सिंह के नाम से बनना था द्वार, राजनीति के चलते लिख दिया किसी और का नाम

अमर उजाला नेटवर्क, गाजीपुर Published by: गीतार्जुन गौतम Updated Mon, 12 Oct 2020 02:12 PM IST
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Door was to be built in name of martyr Ramdhyan Singh in Indo-Pak war because of politics wrote someone else name in ghazipur
इसी द्वार पर लिखा जाना था शहीद का नाम। - फोटो : अमर उजाला
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प्रदेश में चल रही जातिगत राजनीति का असर गांव-गांव में देखने को मिल रहा है। अब इसके शिकार देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीद भी हो रहे हैं। गाजीपुर जिले के जमानिया तहसील के तियरी गांव में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। शहीद द्वार का शिलान्यास भारत-पाक की जंग में शहीद रामध्यान सिंह के नाम पर कराया गया, जबकि उद्घाटन के समय इसी गांव के पैरामिलिट्री में रहे दिलराम बिंद का नाम दर्ज कर दिया गया। ऐसे में पंचायत चुनाव से पूर्व गांव की राजनीति तेज हो गई है।

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जमानिया तहसील के दस किमी पूरब तियरी गांव स्थित है। गांव के रहने वाले रामध्यान सिंह भारत-पाक युद्ध में वर्ष 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के हल्दी शहर में अपनी शहादत देकर देश का नाम ऊंचा किया था। उनके नाम से प्रस्ताव आने के बाद उत्तर प्रदेश शासन ने शहीदों को सम्मान देने के लिए फरवरी व मार्च माह में ढाई लाख रुपये की लागत से शहीद द्वार निर्माण की स्वीकृति दी।
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बजट जिला पंचायत को भेज दिया। जिला पंचायत ने भी इसमें तत्परता दिखाते हुए ग्राम प्रधान के माध्यम से शहीद परिवार के घर सूचना भेज दी।। इसकी जानकारी होने पर शहीद परिवार ही नहीं पूरे गांव के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। शहीद का पौत्र धर्मेंद्र जो सेना में कार्यरत हैं और छुट्टी के दौरान घर पर आए थे।

Door was to be built in name of martyr Ramdhyan Singh in Indo-Pak war because of politics wrote someone else name in ghazipur
शहीद के परिजन। - फोटो : अमर उजाला

उन्होंने अपने दादा से संबंधित सभी कागजात ग्राम प्रधान को उपलब्ध कराए और शहीद द्वार के निर्माण के लिए शिलान्यास कार्यक्रम भी किया। शिलान्यास के बाद काम लगातार चलता रहा। उसी दौरान धर्मेंद्र ड्यूटी पर भारत-चीन सीमा पर चले गए। इसी बीच शहीद द्वार का निर्माण कार्य पूरा हो गया।

अचानक एक दिन शाम में उस गेट पर नाम लिखकर उद्घाटन कार्यक्रम भी कर दिया गया। जब अगले दिन सुबह ग्रामीणों ने उस द्वार पर लिखा नाम देखा तो अवाक रह गए। क्योंकि उस गेट पर जहां रामध्यान सिंह का नाम होना चाहिए था, उनकी जगह दिलराम बिंद का नाम अंकित था।

दिलराम बिंद पैरामिलिट्री में तैनात थे और उनकी मौत बीमारी के कारण हुई थी। शहीद परिवार से जुड़े लोगों का आरोप है कि तियरी गांव में बिंद जाति के लोग ज्यादा हैं। आगामी पंचायत चुनावों को देखते हुए शहीद के साथ भी जिम्मेदार नेताओं ने राजनीति कर दी। इससे आहत हो शहीद रामध्यान सिंह के पौत्र धर्मेंद्र ने एक वीडियो जारी कर न्याय की गुहार लगाई है।

शहीद रामध्यान का नाम द्वार पर अंकित न होने से ग्रामीणों में काफी रोष देखने को मिल रहा है। इसे लेकर रामध्यान के पुत्र सुदामा ल दर्जनों ग्रामीणों ने जिलाधिकारी सहित तमाम जिम्मेदार अधिकारियों से इसकी शिकायत की है। लेकिन जनपद के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

ग्रामीण एवं शहीद के पौत्र धर्मेंद्र का कहना है कि गांव के वीर सपूत रामध्यान सिंह के शहादत के बाद उन्हें मिलने वाले सम्मान को लेकर ग्रामीण काफी खुश थे, लेकिन गंवई राजनीति के चलते शहीद के नाम के साथ जो खिलवाड़ किया गया है, इससे सबको दुख पहुंचा हैं। इस संबंध में डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने बताया कि इस प्रकरण की जांच की जाएगी। इसके बाद दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी।

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