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होलिका दहन: रानी पद्मावती और चांडाल रूप में स्थापित हुईं होलिकाएं, 500 जगहों पर होंगे आयोजन; जानें खास

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Thu, 13 Mar 2025 03:27 AM IST
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सार

वाराणसी में 500 से ज्यादा स्थानों पर होलिका दहन की जाएगी। अधिकतर स्थानों पर इस बार भी कहीं उपले तो कहीं लकड़ी आदि से होलिका सजाई गई है। वहीं, सुरक्षा की बात करें तो पुलिस प्रशासन ने कमान संभाल ली है।

Holika Dahan in varanasi installed form of Rani Padmavati and Chandal events at 500 places
वाराणसी में आकर्षण का केंद्र बनीं ये होलिकाएं। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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Holika Dahan 2025: काशी में दुर्गा पूजा की तर्ज पर हर त्योहारों पर देवी-देवाताओं की प्रतिमाएं नए ट्रेंड में देखने को मिल रही हैं। इस बार होलिका की प्रतिमाएं भी खास हैं। कहीं 17 फीट की चांडाल रूप में डरावनी तो 14 फीट की रानी पद्मावती की सिंहासन पर विराजमान होलिका स्थापित की गई है। शहर में लेकर गांव तक छोटी-बड़ी ढाई हजार से ज्यादा होलिकाएं जलेंगे। इसमें करीब 500 से अधिक स्थानों पर प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।

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होलिका दहन पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग अपनी बुराइयों को होलिका की अग्नि में भस्म कर भाईचारे व खुशियों के साथ होली खेलते हैं। इस बार होलिका दहन 13 मार्च को होगी। वसंत पंचमी को ही शहर से गांव तक जगह-जगह प्रतिक के रूप में होलिका लगाई गई हैं। 
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अब होलिका दहन की तैयारी शुरू हो गई है। कहीं उपले तो कहीं लकड़ी आदि से होलिका सजाई जा रही है। वहीं, होलिका की प्रतिमाएं भी रखी जाएंगी। इस बार होलिका को राक्षसी व छलकारी रूप में भी दर्शाया जाएगा। खोजवां, लक्सा, देवनाथपुरा, अखरी बाईपास आदि इलाकों में मूर्तियां बन रही हैं।

प्रख्यात मूर्तिकार अभिजीत विश्वास ने बताया कि होलिका दहन के लिए 30 से अधिक बड़ी प्रतिमाएं भी बैठाई जाएंगी, जो 10 से 17 फीट तक होंगी। चेतगंज चौराहे पर 17 फीट की चंडाल रूप में, बेनियाबाग चौराहे पर 14 फीट की प्रतिमा सिंहासन पर रानी पद्मावती की हसते हुए छल मुद्रा में, खोजवां में 14 फीट की राक्षसी व लहरतारा में हाथ में खंजर लिए भक्त प्रह्लाद को मारते हुए दिखेगी। इसके अलावा कुछ क्लाबों ने देवी मुद्रा में भी प्रतिमाएं बनवा रहे हैं।

राशि वाले होलिका में डालें ये सामग्री
राशि अनुसार होलिका में सामग्री डालने से रोग, कर्ज, चिंता आदि दूर होते हैं। आचार्य शुभम मिश्रा के अनुसार मेष में सात नग काली मिर्च ऊसारकर, वृषभ में सफेद चंदन पासा, मिथुन में चने की दाल, कर्क में 50 ग्राम सौंफ, सिंह में जौ, कन्या तीन नग जायफल, काली मिर्च, तुला में काले तिल और हल्दी की गांठ, वृश्चिक पीली सरसों ऊसार कर, धनु चावल व तिल, मकर में बिधारा की जड़ और पांच हल्दी की गांठ दहन में अर्पण करने से शनि के साढ़े साती का प्रभाव थोड़ा कम हो जाएगा। कुंभ में मूंग की दाल, काले तिल, मीन में हल्दी गांठ, पीली सरसों व पीपल की लकड़ी डालें।

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