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Karwa chauth: करवाचौथ मनाने का अपना-अपना अंदाज, कहीं सास देती हैं सरगी; कहीं नमकीन मट्ठी से देखा जाता है चांद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Published by: किरन रौतेला
Updated Wed, 01 Nov 2023 01:45 PM IST
सार
पंजाबी परिवार में करवाचौथ मनाने की परंपरा थोड़ी अलग है। पूजा के दौरान थाली फेरी जाती है। थाली में आटे के दीये रखकर चलनी में पति की सूरत को देखती हैं। रीतू व हिना अरोड़ा ने बताया कि ससुराल पक्ष से सास भोर में सरगी (शृंगार के सामान, 5 तरह के फल, नारियल, दही, सेवई आदि) देती हैं।
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करवा चौथ सरगी की थाली (प्रतीकात्मक तस्वीर)
- फोटो : istock
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विस्तार
पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं। दिनभर निराजल रहकर शाम को चांद देखकर व्रत तोड़ती हैं। इस व्रत की मूल में अखंड सौभाग्य की कामना होती है। मगर पंजाबी, सिंधी और मारवाड़ी समाज में मान्यतानुसार परंपराएं थोड़ी बदल जाती हैं।
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पंजाबी : सास देती हैं सरगी, सजती हैं सुहागिन
पंजाबी परिवार में करवाचौथ मनाने की परंपरा थोड़ी अलग है। पूजा के दौरान थाली फेरी जाती है। थाली में आटे के दीये रखकर चलनी में पति की सूरत को देखती हैं। रीतू व हिना अरोड़ा ने बताया कि ससुराल पक्ष से सास भोर में सरगी (शृंगार के सामान, 5 तरह के फल, नारियल, दही, सेवई आदि) देती हैं। उसे व्रती महिलाएं शृंगार कर उसे सेवन करती हैं। फिर दिनभर निराजल व्रत रखती हैं। शाम को व्रत शृंगार कर करवा माता की पूजा करती हैं। इस दौरान महिलाएं एक दूसरे के साथ थाली फेरती हैं। चांद को अर्घ्य देकर पारण करती हैं।
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मारवाड़ी : हाथ में गेहूं लेकर देती हैं अर्घ्य
मारवाड़ी समाज में भी करवाचौथ की परंपरा में भिन्नता होती है। सुबह शृंगार करने के बाद हाथ में गेहूं लेकर करवा माता की कथा सुनतीं हैं और इसी से अर्घ्य भी देती हैं। घरों में पकवान बनता है। प्रीति बाजाेरिया ने बताया कि सोलह शृंगार कर सुबह से ही पूजन का क्रम शुरू हो जाता है। फिर शाम को भी करवा माता की पूजा करने के साथ ही गीत संगीत के साथ मनोरंजन करती हैं। फिर चांद के दिखने के बाद हाथ में गेहूं लेकर ही अर्घ्य दिया जाता है।
करवा चौथ का पर्व
- फोटो : सोशल मीडिया
सिंधी : नमकीन मट्ठी से देखती हैं चांद
सिंंधी समाज में महिलाएं गरबा व डांडिया के साथ करवाचौथ मनाती हैं। खास ये है कि वे चलनी के बजाय नमकीन मट्ठी के जरिये चांद को देखती हैं। रानी धनेजा, अमिशा रुपानी ने बताया कि नमकीन मट्ठी जालीदार बनाया जाता है। शाम को शृंगार कर करवा माता की पूजा व कथा सुनती हैं। चांद निकलने तक गरबा व डांडिया खेलती हैं। उन्होंने बताया कि अमरनगर, अशोकनगर, कमच्छा के विनायका कॉलोनी में विशेष आयोजन होगा।
शास्त्रीनगर में जुटती हैं हर वर्ग की महिलाएं
करवाचौथ पर सिगरा आईपी मॉल के सामने शास्त्रीनगर में स्थित देवी मंदिर में पंजाबी, सिंधी व मारवाड़ी समाज की महिलाएं जुटती हैं और एक साथ पूजा करती हैं। अपनी परंपरानुसार पूजा करती हैं। यहां एक अलग ही सौहार्द देखने को मिलता है।
सिंंधी समाज में महिलाएं गरबा व डांडिया के साथ करवाचौथ मनाती हैं। खास ये है कि वे चलनी के बजाय नमकीन मट्ठी के जरिये चांद को देखती हैं। रानी धनेजा, अमिशा रुपानी ने बताया कि नमकीन मट्ठी जालीदार बनाया जाता है। शाम को शृंगार कर करवा माता की पूजा व कथा सुनती हैं। चांद निकलने तक गरबा व डांडिया खेलती हैं। उन्होंने बताया कि अमरनगर, अशोकनगर, कमच्छा के विनायका कॉलोनी में विशेष आयोजन होगा।
शास्त्रीनगर में जुटती हैं हर वर्ग की महिलाएं
करवाचौथ पर सिगरा आईपी मॉल के सामने शास्त्रीनगर में स्थित देवी मंदिर में पंजाबी, सिंधी व मारवाड़ी समाज की महिलाएं जुटती हैं और एक साथ पूजा करती हैं। अपनी परंपरानुसार पूजा करती हैं। यहां एक अलग ही सौहार्द देखने को मिलता है।