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यूपी में धर्म परिवर्तन: हिंदू युवक बन गया मुसलमान, मस्जिद में दे रहा अजान; 37 साल का रामशकल बना जहांगीर अशरफ
राजीव मिश्र, संवाद न्यूज एजेंसी, म्योरपुर/सोनभद्र
Published by: शाहरुख खान
Updated Sat, 20 Dec 2025 02:01 PM IST
सार
सोनभद्र के म्योरपुर में 37 साल के रामशकल ने मुस्लिम धर्म अपना लिया है। वह मो. जहांगीर अशरफ बन गया है। मस्जिद में अजान दे रहा है। नमाज भी पढ़ता है। वह कुरान भी पढ़ता है।
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Dharm Parivartan
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
सोनभद्र में धर्म परिवर्तन का नया मामला सामने आया है। कुछ साल पहले तक जिसे लोग रामशकल के रूप में जानते थे, अब वह मो. जहांगीर अशरफ बनकर रह रहा है। वह मस्जिद जाता है, अजान देता है और नमाज भी पढ़ता है। मुस्लिम महिला से उसने शादी की है और दो बच्चे भी हैं।
37 साल के हिंदू युवक के अचानक मुसलमान बनने से लोग हतप्रभ हैं। म्योरपुर ब्लॉक के रासपहरी निवासी रामशकल चार भाइयों में सबसे छोटा है। उसके पिता जगरनाथ हैं। रामशकल पहले बभनी क्षेत्र में रहकर बच्चों को ट्यूशन देता था।
बताते हैं कि इसी दौरान अचानक वह बीमार रहने लगा। कुछ लोगों के संपर्क में आकर वह अंबेडकरनगर जिले में स्थित एक दरगाह पर गया। वहीं मुस्लिम धर्म अपनाकर वह मो. जहांगीर अशरफ बन गया। घर लौटने के बाद उसने बगल के गांव किरवानी में अपना ठिकाना बनाया है।
एक तिहाई मुस्लिम आबादी वाले गांव की मस्जिद में रहकर मुअज्जिन (अजान देने वाला) का काम करता है। वह कुरान पढ़ता है। नियम से नमाज भी अदा करता है।
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37 साल के हिंदू युवक के अचानक मुसलमान बनने से लोग हतप्रभ हैं। म्योरपुर ब्लॉक के रासपहरी निवासी रामशकल चार भाइयों में सबसे छोटा है। उसके पिता जगरनाथ हैं। रामशकल पहले बभनी क्षेत्र में रहकर बच्चों को ट्यूशन देता था।
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बताते हैं कि इसी दौरान अचानक वह बीमार रहने लगा। कुछ लोगों के संपर्क में आकर वह अंबेडकरनगर जिले में स्थित एक दरगाह पर गया। वहीं मुस्लिम धर्म अपनाकर वह मो. जहांगीर अशरफ बन गया। घर लौटने के बाद उसने बगल के गांव किरवानी में अपना ठिकाना बनाया है।
एक तिहाई मुस्लिम आबादी वाले गांव की मस्जिद में रहकर मुअज्जिन (अजान देने वाला) का काम करता है। वह कुरान पढ़ता है। नियम से नमाज भी अदा करता है।
मस्जिद में ही बच्चों को उर्दू-फारसी पढ़ाता है। रामशकल में आए इस बदलाव से परिवार और गांव के लोग भी हतप्रभ हैं। परिवारीजनों में नाराजगी भी है, मगर उनका कहना है कि जहां और जैसे भी संतुष्ट रहे, यही अच्छा है।
खुद से बदला धर्म, कोई डर या लालच नहीं
रामशकल उर्फ मो. जहांगीर अशरफ का कहना है कि उसने खुद से यह निर्णय लिया है। किसी डर या लालच की बात नहीं है। उसकी तबीयत काफी खराब रहती थी। फिर जब उसे राहत मिली तो उसने स्वेच्छा से अपनी पहचान बदलने का निर्णय लिया। परिवार में अब शांति है। वह कुरान पढ़ता है और रामायण भी रखी है। सभी धर्मों में एक ही बात है। उसे कोई आपत्ति नहीं है।
रामशकल उर्फ मो. जहांगीर अशरफ का कहना है कि उसने खुद से यह निर्णय लिया है। किसी डर या लालच की बात नहीं है। उसकी तबीयत काफी खराब रहती थी। फिर जब उसे राहत मिली तो उसने स्वेच्छा से अपनी पहचान बदलने का निर्णय लिया। परिवार में अब शांति है। वह कुरान पढ़ता है और रामायण भी रखी है। सभी धर्मों में एक ही बात है। उसे कोई आपत्ति नहीं है।
रामशकल ने क्यों, कैसे और किसके प्रभाव में धर्म बदल लिया, इसकी जानकारी नहीं है। यह उसका निजी फैसला था। बाद में घर वालों को पता चला। अब दूसरे गांव में रहता है। उसे जैसे संतुष्टि मिले, वैसे रहे। सुदामा प्रसाद, परिजन।
