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अदालत: वादी प्रतिवादी नहीं आए तो केस कर दिए निस्तारित, कोर्ट ने अब तक 2.68 लाख मुकदमों का किया निस्तारण

रवि प्रकाश सिंह, संवाद न्यूज एजेंसी, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Sat, 20 Dec 2025 01:22 PM IST
सार

Varanasi News: वाराणसी कोर्ट ने अब तक 2.68 लाख मुकदमों का निस्तारण किया, जबकि लोक अदालत में 4.68 लाख मामले निपट गए। सिविल के बहुत से पुराने मामले जिसमें वादी प्रतिवादी आए नहीं ऐसे में अदालत ने इन मामलों का निस्तारण कर दिया। 

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Varanasi court so far disposed of 268,519 cases according to National Judiciary Data Grid
वाराणसी कोर्ट - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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जिला अदालत में 2.63 लाख आपराधिक मुकदमों का बोझ है, जबकि 60 हजार सिविल से जुड़े मामले लंबित हैं। नेशनल ज्यूडिशियरी डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) के अनुसार, वाराणसी कोर्ट ने अब तक 2,68,519 मामलों का निस्तारण किया है। बावजूद अदालतों में मुकदमों का बोझ कम नहीं हुआ है। 3,24,140 मामले अभी लंबित हैं। लंबित मामलों में 60,579 सिविल और 2,63,607 आपराधिक वाद शामिल हैं। 

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आंकड़ों से साफ है कि जिले की अदालत पर आपराधिक मामलों का दबाव सबसे ज्यादा है। निस्तारित मुकदमों में 60 साल पुराने मामले भी शामिल हैं, जो वर्षों से अदालत में लंबित थे। एनजेडीजी के आंकड़ों के मुताबिक, जिला न्यायालय में एक साल से कम वाले 79 प्रतिशत क्रिमिनल केस और 21 प्रतिशत सिविल के मामले लंबित हैं। 1 से 3 साल में 87 प्रतिशत क्रिमिनल केस और 13 प्रतिशत सिविल के मामले लंबित हैं। 80 प्रतिशत क्रिमिनल के मामले 10 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं।
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सिविल और आपराधिक मामले

  • एक साल में- 17571 - 66003
  • तीन साल में -12736 - 83417
  • पांच साल में- 7119 - 25860
  • पांच से दस साल-13443 - 50610
  • दस साल से ऊपर- 9718 - 37717


केस - 1
अपर सिविल जज की अदालत ने 60 साल पुराने मामले का निस्तारण किया। ये मुकदमा बृजमोहन बनाम सूद्धु के बीच 1964 में फाइल हुआ था। अदालत में पुकार कराई गई, एक मौका भी दिया गया। उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। कोर्ट ने निस्तारित कर दिया।

केस - 2
अपर सिविल जज की अदालत में 1965 के मामले का निस्तारण हुआ। ये मुकदमा विभूत ग्लास वर्क्स बनाम भार्गव बॉटल स्टोर के बीच था। इसके पक्षकारों को अदालत ने उपस्थित होने का पूरा समय दिया। उपस्थित न होने पर अदालत ने केस को खारिज कर दिया।

केस -3
अपर सिविल जज की अदालत में साल 1965 में दर्ज मुकदमे में पुकार पर पक्षकार अनुपस्थिति रहे। न ही कोई स्थगन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। ये मुकदमा सीताराम बनाम जानकी देवी के बीच रहा। जबकि अदालत ने पूरा समय दिया था। अदालत ने पक्षकारों की अनुपस्थिति में खारिज कर दिया।

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