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ihar Elections 2025: Why is Jitan Ram Manjhi threatening NDA with 100 seats? , Chirag Paswan
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Bihar Elections 2025: आखिर क्यों NDA को 100 सीटों की धमकी दे रहे जीतन राम मांझी? | Chirag Paswan
Video Published by: ज्योति चौरसिया Updated Wed, 17 Sep 2025 01:41 PM IST
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NDA के अंदर क्या सबकुछ ठीक नहीं है? सीट बंटवारे को लेकर कोई गतिरोध नहीं होने का दावा तो बेकार लग रहा है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान सीधे नहीं, लेकिन संकेतों में सीट को लेकर अपनी जिद का इजहार कर ही रहे। अब, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने सीधे शब्दों में कह दिया है कि एनडीए के साथ रहते हुए लड़ने के लिए बिहार विधानसभा की 20 सीटें नहीं मिलीं तो वह 100 सीटों पर प्रत्याशी उतार देंगे। तो क्या जीतन राम मांझी बिहार चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री की कुर्सी छोड़ सकते हैं? और, आखिर इस जीत के पीछे की वजह क्या है?
तो सबसे पहले आपको वजह बताते हैं... जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर के अभी चार विधायक हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पहले उसके पास एक विधायक की ताकत थी। 2020 के चुनाव में उसे तीन सीटों का फायदा हुआ और विधायकों की संख्या हो गई चार। मांझी की पार्टी ने एनडीए समर्थन के साथ सात सीटों पर प्रत्याशी दिए थे। इनमें से एक पर जमानत जब्त हो गई थी। दरअसल, मांझी की पार्टी चार विधायकों और एक सांसद के बावजूद भारत निर्वाचन आयोग के लिए एक 'निबंधित गैर-मान्यताप्राप्त दल' है। निबंधित मान्यता प्राप्त दल बनने के लिए उसे बिहार में आठ विधायकों वाली पार्टी का ओहदा हासिल करना है। आठ या 10 सीटों पर लड़कर यह संभव नहीं है। ऐसे में आठ सुनिश्चित जीत के लिए 15 से 20 सीटों पर प्रत्याशी उतारना उसके लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। अगर उसे एनडीए में इतनी सीटें नहीं मिलती है तो वह 100 सीटों पर प्रत्याशी उतार कर कुल मतदान का 6% वोट हासिल कर मान्यता लेने की बात कर रही है।
अब सवाल ये है कि केंद्रीय मंत्री की कुर्सी छोड़ने की हिम्मत जुटाएंगे? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ मंत्री की कुर्सी संभालने वाले कुछ नेताओं को याद करना होगा। बिहार में उपेंद्र कुशवाहा इसका बड़ा उदाहरण हैं। वह केंद्रीय राज्यमंत्री थे, लेकिन कुर्सी छोड़ बिहार चुनाव में कूदे और लंबे समय तक वजूद की लड़ाई लड़ने के बाद फिर भाजपा की शरण में हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड को भारतीय जनता पार्टी से दूर करने में कथित तौर पर अहम भूमिका निभाने वाले राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह केंद्रीय मंत्री बनकर वापस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में कसीदे गढ़ते नजर आ रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए से अलग होकर सरकारी आवास तक से बाहर रहने का दर्द झेल चुके चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री बनकर अब एनडीए से कभी दूर नहीं होने की बात कहते हुए सीटों के लिए संकेत भर दे रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले केंद्रीय मंत्री का पद छोड़कर भागे पशुपति कुमार पारस तब से अब तक वजूद की ही लड़ाई लड़ रहे हैं। अब जाकर इंडी एलायंस में ठौर मिलने का संकेत मिला है।
वहीं, इन केस स्टडी को आधार बनाकर चाणक्य इंस्टीट्यू ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा पक्के तौर पर कहते हैं- "चार विधायकों और इकलौते सांसद वाली अपनी पार्टी को जीतन राम मांझी जितनी सीट दिला सकें, वही उनके लिए फायदेमंद रहेगा। वह खुद केंद्र में मंत्री हैं और बेटे राज्य में। ऐसे में वह एनडीए से बाहर जाकर न तो चिराग पासवान वाली पिछली गलती करेंगे और न उपेंद्र कुशवाहा या पशुपति कुमार पारस जैसा कुछ।"
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