रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने खास तरह का चावल विकसित किया है। इसमें जिंक और प्रोटीन की समुचित मात्रा होगी। सात साल के रिसर्च के बाद नए किस्म का चावल खेती के लिए तैयार है। माना जा रहा है कि ओडिशा से लेकर महाराष्ट्र के मेलघाट तक कुपोषण से निपटने में ये चावल अहम भूमिका निभाएगा।
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