{"_id":"691ad1bf06fa320fc804850f","slug":"video-young-generation-becoming-victims-of-drug-addiction-2025-11-17","type":"video","status":"publish","title_hn":"हिसार: नशे का शिकार बन रही युवा पीढ़ी","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
जिले में 13 से 23 साल तक के युवा नशे का शिकार बनते हैं। जिसमें अधिकतर युवाओं को उनके दोस्त, रिश्तेदार, साथ काम करने वाले लोग नशा करना सिखाते हैं। अमर उजाला ने नशे की दलदल छोड़ कर मुख्य धारा में लौटे युवाओं से बातचीत कर उनकी पीड़ा जानी। इन युवाओं ने बताया कि उनको किस तरह से नशे की आदत पड़ी। नशे के कारण उन्होंने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को खोया। जब उनको नशे की आदत लगी तो वह परिवार से दूर हो गए। हजारों युवा नशे में पड़ रहे हैं। कुछ युवा नशे की दलदल छोड़ कर बाहर भी आ रहे हैं। इस साल जनवरी से एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी (एटीएफ) सेवा संचालित है। इस केंद्र में 10 माह में करीब 500 मरीजों का पंजीकरण किया गया है
मैं ऑटो मार्केट में जाॅब करता था। काम के कारण बहुत थकान हो जाती थी। एक दिन मेरे साथ दूसरी दुकान पर काम करने वाले साथी ने मुझे सिगरेट पिलाई। मुझे नहीं पता था कि उसमें नशा है। कुछ देर बाद मुझे एक अजीब की ताकत महसूस होने लगी। धीरे धीरे नशे की आदत पड़ गई। बाद में चिट्टे का नशा करने लगा। पैसे नहीं होने पर घर में चोरी की,दुकान में भी चोरी की। दुकानदार ने काम से निकाल दिया। बाद में परिवार के लोगों ने मेरा नशा मुक्ति केंद्र में उपचार कराया। अब मैं नशा नहीं करता। दूसरी दुकान पर मिस्त्री के सहायक के तौर पर काम कर रहा हूं।
हमारे घर में मेरी मम्मी पापा की रोज लड़ाई होती थी। जिसके मैं काफी तनाव में रहता था। जब में 12वीं में था तो मेरे दोस्त ने मुझे बीयर पिला दी। इसके बाद शराब, अफीम तथा चिट्टे का नशा करने लगा। करीब दो साल तक मैंने नशा किया। मेरी हालत बहुत खराब होने लगी। एक दिन हालत इतनी खराब हुई कि मैं 24 घंटे तक घंटे तक झाड़ियों में पड़ा रहा। बाद में मेरे पापा ने मेरा इलाज कराने के लिए भर्ती कराया तो मैं नशा मुक्ति केंद्र से भी भाग आया। करीब एक साल नशा करने के बाद मेरी पढ़ाई भी छूट गई। मेरी मां ने मेरी नशे की आदत के चलते सुसाइड कर लिया। तब मैने नशे को छोड़ दिया।
परिवार की आर्थिक हालत कमजोर होने के चलते मैं बारहवीं कक्षा के बाद मैं रात के समय गार्ड की नौकरी करता था। रात को मुझे डयूटी के दौरान नींद आ गई। कंपनी मालिक ने मेरी पिटाई कर मुझे निकाल दिया। बाद में मैने दूसरी जगह नौकरी शुरु की वहां कंपनी में करीब 15 गार्ड थे। उनमें रात के समय डयूटी करने वाले गार्ड ने मुझे चिट्टा का नशा कराया। जिसके बाद मुझे रात को जागने में कोई परेशानी नहीं आई। धीरे धीरे इसकी आदत प़ड़ गई। साढ़े तीन साल तक नशा करने के बाद मैंने नशा छोड़ दिया है। एक एनजीओ ने नशा छुड़वाने में मेरी मदद की।
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