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महेंद्रगढ़: कैंटर हादसा, दो झटकों ने सुनी की संगीता की गोद
गांव बचीनी में सोमवार सुबह कैंटर हादसे में चांदनी की मौत हो गई और मंगलवार शाम साढ़े 4 बजे चांदनी की शहर के ही श्मशान घाट में अंतिम क्रिया की गई। अब पूरा परिवार शोक में है और बुधवार को चांदनी के परिजन ईंट-भट्ठे पर अब शोक प्रक्रिया पूरी करेंगे। वहीं एक साल में लगे दो झटकों ने संगीता की गोद सुनी कर दी और राजेंद्र को भी जीवनभर का दर्द दिया है।
बुधवार को जब टीम गांव बचीनी स्थित ईंट भट्ठे पर पहुंची तो चांदनी की बुआ गुडन ने बताया कि वह पांच साल से चांदनी के साथ रही थी। चांदनी उनके भाई की इकलौती संतान थी। पिछले साल उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के समरिया गांव में रहते समय भी राजेंद्र को एक बेटा हुआ था। उसकी भी दो माह बाद ही संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई जो रात को सोया था और सुबह मृत मिला था। बेटे के नामकरण का सपना उनका अधूरा रह गया और उनको चांदनी से ही सहारे की उम्मीद थी। अब दूसरे साल में राजेंद्र के परिवार को चांदनी के चले जाने से दूसरा झटका लगा है। चांदनी की पांच साल की उम्र थी और घर में इकलौती संतान होने के कारण सभी की चहेती थी। लेकिन अब संगीता और राजेंद्र का आंगन ही सूना हो गया है।
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बुआ ने बताया कि चांदनी अपने एक गुड्डे से प्यार करती थी और उसी के साथ खेलती थी। उसको बच्चों के साथ जाने के लिए प्रतिदिन कहते थे, लेकिन वह नहीं जाती। सोमवार को वह स्वयं ही बच्चों के साथ चली गई, लेकिन उसके बिछड़ने की उम्मीद नहीं थी। अब राजेंद्र व संगीता भट्ठे पर रहेंगे और जीवन की नई शुरुआत करेंगे। फिलहाल दोनों सदमे में है और चांदनी का नाम सुनते ही दोनों फफक पड़ते हैं। पिता राजेंद्र ने कहा कि अब उनके पास खोने के लिए कोई अनमोल चीज नहीं है। बस जीवन का गुजर-बसर करना है वो कर लेंगे।
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- 10 में से केवल चांदनी को ही लगी चोट:
लस्सी लाने के लिए सोमवार को गांव बचीनी के आसपास ही स्थित दो भट्ठों से करीब 10 बच्चे गांव बचीनी में गए थे। उस दौरान केवल चांदनी को ही चोट लगी और अन्य बच्चों को खरोंच तक नहीं आई। चांदनी के जाने से बच्चों के चेहरे पर भी उदासी छाई थी और बुधवार को कोई भी लस्सी लाने के लिए कोई भी बच्चा गांव नहीं गया। बच्चों की यह टोली प्रतिदिन चांदनी के साथ मिट्टी की गोलियां बनाकर खेलती थी लेकिन बुधवार को सदमे में कोई भी मिट्टी की गोलियां बनाकर नहीं खेला।
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- सीसीटीवी खंगाले, दो बाइकों पर चार लोगों ने की पूछताछ:
ईंट भट्ठे के मुंशी विनोद ने बताया कि महेंद्रगढ़ से निमोठ रोड पर वाहनों का आवागमन कम ही रहता है। उस दिन न जाने अचानक कैंटर आई और चांदनी को ले गई। इसके बाद उन्हाेंने दो बाइकों पर चार लोगों ने कैंटर का पीछा भी किया था। लेकिन कैंटर तेज स्पीड से चली गई। 10 घंटे तक उन्हाेंने शहर के करीब 20 अस्पताल में चांदनी के बारे में पूछताछ की। दुकानों पर लगे सीसीटीवी जांचे और लोगों से भी पूछताछ की। किसी से भी कैंटर का पता नहीं चल पाया। बाद में पुलिस के साथ उन्होंने भागदौड़ की। आखिर देर रात को बच्ची का शव ही मिला
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