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Meerut: फार्मासिस्ट की जगह मरीजों को चपरासी व स्टॉफ नर्स दे रही दवाई
फार्मासिस्ट की जगह मरीजों को चपरासी व
लावड़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लावड़ पर फार्मासिस्ट की तैनाती नहीं है। यहां, आने वाले मरीजों को पर्चे पर जो दवाई लिखी जाती है उसे चपरासी और स्टॉफ नर्स देते है। आलम यह है कि पीएचसी के इंचार्ज भी पीएचसी पर आने के बजाए सीएचसी पर अपनी सेवाएं दे रहें हैं, जिस कारण लावड़ कस्बे के साथ लगभग एक दर्जन गांव के मरीजों की जिम्मेदारी सहायक चिकित्सक पर ही है। यदि, वह छुट्टी पर चले जाते है तो मरीज रामभरोसे रहतें हैं।
पीएचसी लावड़ में इंचार्ज समेत तीन चिकित्सकों की जरूरत है, जिनमें एक सहायत चिकित्सक व एक महिला चिकित्सक है। वर्तमान की बात करें तो पीएचसी सहायत चिकित्सक डॉ. रविंद्र बमानिया के भरोसे चल रही है। पीएचसी के इंचार्ज डॉ. लव कपिल सीएचसी पर अपनी सेवाएं दे रहें हैं। वहीं, फार्मासिस्ट का स्थानांतरण होने के बाद यहां किसी ओर फार्मासिस्ट की तैनाती नहीं की गई, जिस कारण यहां चपरासी के पद पर तैनात आमिर व स्टॉफ नर्स ही मरीजों की पर्ची बनाने के साथ पर्चे पर लिखी जाने वाले दवाई देती है। लावड़ व एक दर्जन गांव की लगभग 60 हजार जनसंख्या है। पीएचसी पर प्रतिदिन 80 से 90 मरीज आते हैं।
तीन साल से नहीं महिला चिकित्सक की तैनाती
पीएचसी पर तैनात महिला चिकित्सक डॉ. रंजना का लगभग तीन साल पहले स्थानांतरण हो गया था। उनके स्थानांतरण के बाद यहां किसी महिला चिकित्सक की तैनाती नहीं की गई, जिस कारण गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सीएचसी दौराला पर जाना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। रात में वाहन न चलने के कारण उन्हें घंटों एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ता है। कस्बे से सीएचसी की दूरी लगभग सात किमी है, जबकि गांवों से सीएचसी की दूरी 10 से 12 किमी तक है।
बरसात में भर जाता है पानी, बैठने लगा पीएचसी का फर्श
पीएचसी का परिसर मुख्य सड़क से नीचा है, जिस कारण बरसात में नाले का पानी पीएचसी में भरा जाता है और उस समय मरीजों व स्टॉफ को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। चिकित्सक डॉ. रविंद्र ने बताया कि लैब का फर्श पूरी तरह बैठ चुका है और अन्य कमरों के फर्श भी बैठने लगे है। इसके अलावा पीएचसी में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि पीएचसी परिसर में ही कस्बे को पानी की सप्लाई करने लिए ओवरहैड टैंक बना हुआ है।
आवास बनाए, नहीं रुकता स्टॉफ
कस्बे व आस पास के ग्रामीणों को पीएचसी में ही रात के समय में आपातकाल सेवा मिले, इसके लिए सालों पहले आवास बनाए गए थे। आलम यह है कि आज तक भी आवास में कोई स्टॉफ नहीं रुका, जिस कारण यह आवास खंडहर हालत में पहुंच गए है और रात में आपातकाल सेवा के लिए मरीजों को सीएचसी दौराला के भरोसे ही रहना पड़ता है।
क्या कहते है लोग
आवास को दोबारा बनाया जाना चाहिए और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सख्ती से स्टॉफ को यहां रुकने के लिए कहना चाहिए। ताकि, लोगों को रात में भी सेवाएं मिल सकें। जल्द ही फार्मासिस्ट की भी तैनाती हो।
सैय्यद साहिब रजा, स्थानीय निवासी
महिला चिकित्सक की हो तैनाती
पीएचसी पर महिला चिकित्सक के न होने से गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। जल्द महिला चिकित्सक की तैनाती होनी चाहिए। ताकि, समय से उपचार मिलने पर जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें।
हाजी जावेद, स्थानीय निवासी
वर्जन
चिकित्सकों की कमी होने के चलते डॉ. लव कपिल सीएचसी पर रात में आपातकाल सेवाएं देते है और फिर इसके बाद नियमानुसार उनकी 24 घंटे का अवकाश रहता है, जिस कारण वह लावड़ पीएचसी पर नहीं जा पाते। वहीं, फार्मासिस्ट व महिला चिकित्सक की कमी होने के चलते तैनाती नहीं हो पा रही है।
डॉ. सचिन, प्रभारी सीएचसी दौराला
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