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रात में हुई बारिश में भीगकर पशु हुआ बीमार, नारनौल के योगेद्र और रुपेंद्र ने बनाया रेन डिटेक्टर
कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, क्योंकि जब तक आप पर कोई मुसीबत नहीं आती, तब तक कोई नई सोच भी दिमाग में जन्म नहीं लेती। ऐसा ही एक वाक्या राजकीय आईटीआई में वायरमैन ट्रेड के पहले वर्ष के छात्र रुपेंद्र के साथ हुआ। पिछले साल हल्की सर्दी के दौरान रात के समय आई बरसात के कारण उनकी भैंस बाहर खुले में बंधी रह गई। सुबह जब घरवालों को पता चला तो पशु बीमार हो चुका था। साथ ही बिजली के दो उपकरण भी खराब हो गए थे।
कई दिनों तक लगाया दिमाग:
रुपेंद्र ने बताया कि कई दिनों तक इस समस्या का हल ढूंढ़ता रहा, तब दिमाग में आया कि क्यों न ऐसा एक उपकरण बनाया जाए जो दिन हो या रात बारिश के आते ही घर के लोगों को सचेत कर दे। इसी सोच के साथ अपने सहपाठी योगेश से भी बातचीत की। इसके बाद दोनों ने गूगल पर खूब रिसर्च की और आखिरकार इसका हल भी मिल गया।
तब बना रेन डिटेक्टर:
आइडिया लेकर दोनों ही छात्र अपने अनुदेशक प्रेम प्रकाश के पास पहुंचे तो अनुदेशक ने भी दोनों की काफी सराहना करते हुए उनके प्रोजेक्ट में हरसंभव मदद करने को कहा। बस फिर क्या था 4 से 5 दिनों की मेहनत के बाद पीवीसी पाइप, नो वोल्ट बैटरी, बज़र, स्विच, लाइट व वुडन फाउंडेशन पर महज 300 रुपये के खर्च से रेन डिटेक्टर तैयार कर दिया।
कैसे करता है काम:
घर के बाहर पोल पर एक सेंसर लगाया जाता है और इसका बजर या अलार्म घर के अंदर फिट किया जाता है। अब जैसे ही बारिश के दौरान एक बूंद भी सेंसर पर गिरेगी तो लाइट व बजर दोनों एक साथ जलने व बजने लगेंगे।
अक्सर रात में देखने में आता है कि सर्द मौसम में कपड़े बाहर सूखते रहते हैं या कोई बिजली का उपकरण बाहर रह जाता है और खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में पशु बाहर खुले में ही रहते हैं, इसके अलावा बहुत से ऐसे कारण हैं, जहां ये उपकरण बेहद कारगर साबित हो सकता है।
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