Hindi News
›
Video
›
Haryana
›
Sonipat News
›
Farmers' agitation reached a decisive point in Sonipat, demand for formation of an evaluator committee
{"_id":"6842bbb3cb724e19b3081f63","slug":"video-farmers-agitation-reached-a-decisive-point-in-sonipat-demand-for-formation-of-an-evaluator-committee-2025-06-06","type":"video","status":"publish","title_hn":"सोनीपत में निर्णायक मोड़ पर पहुंचा किसानों का आंदोलन, मूल्यांकनकर्ता समिति बनाने की मांग","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
सोनीपत में निर्णायक मोड़ पर पहुंचा किसानों का आंदोलन, मूल्यांकनकर्ता समिति बनाने की मांग
बिजली ग्रिड लाइन परियोजना से प्रभावित किसानों का आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। उचित मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली के औचंदी बॉर्डर से शुरू हुआ संघर्ष अब जिला स्तर पर प्रशासनिक वार्ता तक पहुंच गया है। किसानों की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान कामगार अधिकार मोर्चा के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त से मुलाकात कर अपनी मुख्य मांग मूल्यांकनकर्ता (वैल्यूअर) समिति के गठन को दोहराया है।
किसानों का आंदोलन 13 सितंबर, 2023 को दिल्ली के औचंदी बॉर्डर से आरंभ हुआ था। इसके बाद 11 फरवरी 2024 को पंचायत में यह निर्णय लिया गया कि जब तक किसानों को उपयुक्त मुआवजा नहीं मिलेगा, खेतों में पावर ग्रिड का कार्य नहीं होने दिया जाएगा। इसके चलते ग्रिड का कार्य ठप करवा दिया गया। मई, 2024 में किसानों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री और एसीएस एके सिंह से मुलाकात की थी। केंद्र सरकार ने इसके बाद 14 जून 2024 को मुआवजा नीति जारी की, जिसमें टावर बेस क्षेत्र के लिए 200 फीसदी और रॉ कॉरिडोर के लिए 30 फीसदी मुआवजा तय किया गया। मगर किसानों ने इसे अस्वीकार कर आंदोलन जारी रखा। प्रदेश सरकार ने 10 जुलाई 2024 को केंद्र की पुरानी नीति लागू करने के बाद किसानों में असंतोष और बढ़ गया।
27 जनवरी को किसानों ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल से मुलाकात की। मंत्री ने 2 फरवरी को औचंदी गांव में पहुंचकर किसानों को नई नीति का आश्वासन दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने 21 मार्च को नई गाइडलाइन जारी की, जिसमें मुआवजा दरें ग्रामीण, नगरीय और प्लानिंग क्षेत्रों के अनुसार तय की गईं। हरियाणा सरकार ने 2 जून को इस नई नीति को लागू कर दिया।
किसानों का कहना है कि पावर ग्रिड की स्थापना के चलते उनकी कृषि भूमि प्रभावित हो रही है, जबकि सरकार की तरफ से घोषित मुआवजा दरें वास्तविक बाजार मूल्य से बेहद कम हैं। इसी को लेकर वह लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मांग है कि प्रत्येक गांव से एक प्रतिनिधि को लेकर एक स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता समिति गठित की जाए, जो बाजार मूल्य के अनुसार मुआवजा तय करे।
भारतीय किसान कामगार अधिकार मोर्चा के सत्येंद्र लोहचब और गांव नाहरा के सरपंच उमेश दहिया ने बताया कि उपायुक्त से हुई वार्ता में प्रशासन ने सकारात्मक रुख अपनाया है। उपायुक्त ने किसानों को आश्वस्त किया कि मूल्यांकनकर्ता समिति के लिए प्रत्येक गांव से सर्वसम्मति से एक प्रतिनिधि चुना जाए, ताकि समिति निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से कार्य कर सके।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।