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Mandi: मंडी में एंबुलेंस कर्मचारियों की पूर्ण हड़ताल
सीटू से संबंधित एम्बुलेंस कर्मचारी यूनियन के आह्वान पर मंडी जिले के 169 एम्बुलेंस कर्मचारी शनिवार रात तक दो दिन की पूर्ण हड़ताल पर हैं। हड़ताल के कारण जिले के 28 लोकेशनों पर संचालित 50 एम्बुलेंस और बाइक सेवाएं पूरी तरह बंद रहीं। हड़ताली कर्मचारियों में ड्राइवर और ईएमटी शामिल हैं, जिन्होंने जिला मुख्यालय मंडी में एकत्र होकर प्रदर्शन किया और शहर में रैली निकाली। यूनियन के अनुसार दो दिन की हड़ताल मंडी जिला में सौ प्रतिशत सफल रही। मंडी में हुए प्रदर्शन का नेतृत्व यूनियन के जिला प्रधान सुमित कपूर और महासचिव पंकज कुमार ने किया। इस दौरान संतोष कुमारी, ममता शर्मा, रजनी, तिलक राज, योगेश कुमार, चमन लाल, मनोज कुमार, रजनीश, हंस राज सहित सीटू के जिला प्रधान भूपेंद्र सिंह और राजेश शर्मा भी मौजूद रहे। यूनियन और सीटू पदाधिकारियों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी नेशनल हेल्थ मिशन के तहत मेडस्वान फाउंडेशन कंपनी द्वारा वर्ष 2022 में नियुक्त किए गए थे। इससे पहले वर्ष 2010 में इन्हें जीवीके कंपनी ने नियुक्त किया था, लेकिन उस कंपनी द्वारा कर्मचारियों को छंटनी भत्ता, ग्रेच्युटी और अन्य देय लाभ नहीं दिए गए। पदाधिकारियों का आरोप है कि स्वास्थ्य मिशन इस पूरे मामले में मूकदर्शक बना हुआ है और कर्मचारियों का लंबे समय से शोषण किया जा रहा है। यूनियन ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को निर्धारित न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है और उनसे प्रतिदिन 12 घंटे ड्यूटी करवाई जाती है, लेकिन उसका ओवरटाइम भुगतान नहीं किया जाता। हिमाचल हाईकोर्ट, लेबर कोर्ट, सीजीएम कोर्ट शिमला और श्रम कार्यालय के आदेशों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। इसके अलावा, जब कर्मचारी यूनियन के माध्यम से अपनी मांगें उठाते हैं तो उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। कर्मचारियों ने बताया कि इससे पहले भी वे दो बार एक-एक दिन की हड़ताल कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद कंपनी ने न्यूनतम वेतन और ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया। इसी कारण इस बार दो दिन की हड़ताल का निर्णय लिया गया। सीटू जिला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने चेतावनी दी कि यदि कंपनी ने सरकारी नियमानुसार वेतन, ओवरटाइम, सभी प्रकार की छुट्टियां, वाहनों की मेंटीनेंस, इंश्योरेंस, बीमारी के दौरान पूरा वेतन देने, हाईकोर्ट और श्रम विभाग के आदेशों का पालन करने तथा यूनियन नेताओं के प्रति प्रताड़ना की नीति नहीं बदली, तो यूनियन को अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और कंपनी की होगी। भूपेंद्र सिंह ने राज्य सरकार द्वारा हड़ताल को कुचलने के लिए लगाए गए एस्मा कानून के निर्णय की कड़ी निंदा करते हुए चेतावनी दी कि यदि किसी भी कर्मचारी को इसके बहाने प्रताड़ित किया गया तो यूनियन उसका कड़ा विरोध करेगी।
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