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राजेश्वर चंदेल बोले- पर्यावरण, उत्पादक और उपभोक्ता के स्वास्थ्य की रक्षा करती है प्राकृतिक खेती
पच्छाद विकासखंड के अंतर्गत पंचायत घर वासनी में मंगलवार को प्राकृतिक खेती पर किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। राज्य कृषि विभाग और आत्मा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों, कृषि अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया। डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस मौके पर प्रो. चंदेल ने कृषि में रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करने और वन हेल्थ की अवधारणा अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल उत्पादन लागत को कम करती है बल्कि उत्पादक, उपभोक्ता और पर्यावरण तीनों के स्वास्थ्य की रक्षा भी करती है। उन्होंने कहा कि इस पद्धति ने ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे उनकी कृषि निर्णयों में भागीदारी बढ़ी है। उन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से प्राकृतिक खेती पर किए जा रहे अग्रणी शोध कार्यों की भी जानकारी दी और बताया कि विश्वविद्यालय कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर इस पद्धति पर वैज्ञानिक डाटा तैयार कर रहा है, जिससे इसकी और अधिक स्वीकार्यता बढ़ेगी। आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ. साहिब सिंह ने सिरमौर जिले में विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न प्राकृतिक कृषि की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सिरमौर जिले के लगभग 19 हजार से अधिक किसानों पूर्ण या आंशिक रूप से प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. राज कुमार ने किसानों के हित में चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड और बुनियादी ढांचे के विकास की जानकारी दी। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) सिरमौर, धौलाकुआं के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पंकज मित्तल ने जिले में प्रचलित फसलों को बढ़ावा देने और किसानों को प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के माध्यम से सहयोग प्रदान करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर बीएफएसी पच्छाद के सदस्य ओम प्रकाश शर्मा, पंचायत प्रधान संजीव तोमर, डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय एवं कृषि विभाग के अधिकारी, केवीके वैज्ञानिक, एसएमएस डॉ हीरा लाल, खंड तकनीकी प्रबंधक विनोद, सहायक तकनीकी प्रबंधक के अलावा 100 से अधिक किसान मौजूद रहे।
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