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Una: शहीद की बेटी को दी जाए सरकारी नौकरी, यादगार स्मारक बनाए जाने की भी मांग
आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद बीएसएफ के लांस नायक फकीर चंद की विधवा ने उसकी बेटी को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की है। जबकि सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्सेज एसोसिएशन (सीएपीएफ) की तरफ से शहीद जवान की गांव में यादगार स्मारक बनाए जाने की मांग की गई है। उपमंडल अंब के तहत सलोई गांव के लांस नायक फकीर चंद पुत्र गुरिया राम 12 जनवरी 1982 को सीमा सुरक्षा बल में शामिल हुए थे। 3 दिसंबर 1993 को 117 बटालियन, सीमा सुरक्षा बल में तैनाती के दौरान फकीर चंद श्रीनगर में तैनात थे। श्रीनगर क्षेत्र में उनकी बटालियन और आतंकवादियों बीच भयंकर मुठभेड़ हुई। आतंकवादियों ने सीमा सुरक्षा बल पर भारी मात्रा में गोलीबारी की। सीमा सुरक्षा बल के सैन्य दल ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की। इस मुठभेड़ में 10 आतंकवादी मारे गए और भारी मात्रा में गोलाबारूद बरामद किया गया तथा सीमा सुरक्षा बल के लांस नायक (सामान्य ड्यूटी) फकीर चंद घटना स्थल पर ही वीरगति को प्राप्त हो गए। उन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। जिसके लिए तत्कालीन गृह मंत्री की तरफ से इस बहादुरी और बलिदान के मरणोपरांत पुलिस पदक प्रदान किया गया। लेकिन उस शहीद के नाम पर न तो सरकार और ना ही स्थानीय प्रशासनिक स्तर पर को स्मृति द्वार अथवा कोई पहचान स्थापित की गई। जब लांस नायक फकीर चंद की शहादत हुई। उस वक्त उनकी इकलौती बेटी महज डेढ वर्ष की थी। जिसका अब विवाह हो चुका है। वह अपनी विधवा मां का एकमात्र सहारा है। फकीर चंद की विधवा कमलेश देवी ने बताया कि पति की शहादत के बाद बहुत मुश्किलों से उसने अपनी बेटी की परवरिश की है। उसका विवाह भी कर दिया है। लेकिन वह बेटी ही उसका सहारा है। लेकिन दुखद बात यह है कि देश के लिए जान देने वाले जवान की बेटी को सरकार की तरफ से नौकरी जैसा कोई प्रावधान नहीं हो पाया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनकी बेटी को सरकारी नौकरी प्रदान की जाए। वहीं सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्सेज ऐसोसिएशन(सीएपीएफ) के असिस्टेंट कमांडेंट बीएसएफ(सेवानिवृत) सरवण सिंह, असिस्टेंट कमांडेंट(सेवानिवृत ) आरएस मेहता, सेवानिवृत एएसआई विनोद कुमार आदि ने सरकार से मांग की है कि शहीद बीएसएफ जवान की याद में क्षेत्र में स्मृति द्वार अथवा अन्य स्मारक बनवाया जाना चाहिए।
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