नेपाल में जेन-जी आंदोलन ने देश की राजनीति को अचानक अस्थिर कर दिया है। राजधानी से लेकर शहर-कस्बों तक युवा सड़कों पर हैं। उनके निशाने पर नेता हैं चाहे वे किसी भी दल के हों। काठमांडो के मेयर बालेंद्र शाह और सुदन गुरुंग का नाम आंदोलन के नए नायक के रूप में उभरा है। कई छात्र संगठन बालेंद्र को नेपाल का अगला प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस उग्र आंदोलन के पीछे केवल घरेलू असंतोष है, या फिर अमेरिका जैसी बड़ी ताकतें भी इसे हवा देने की कोशिश कर रही हैं। कहीं नेपाल के बहाने दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन का खेल तो नहीं खेला जा रहा है।
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