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Sushila Karki will become the interim Prime Minister of Nepal, a big announcement has been made
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सुशीला कार्की बनेंगी नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री,हो गया बड़ा एलान
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: साहिल सुयाल Updated Fri, 12 Sep 2025 08:52 PM IST
नेपाल में युवा पीढ़ी के हिंसक प्रदर्शनों के बाद उपजे राजनीतिक संकट के बीच शुक्रवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही नेपाल की संसद को भी भंग कर दिया गया है। नेपाल एक बार फिर इतिहास के उस मोड़ पर खड़ा है जहाँ लोकतंत्र और अस्थिरता आमने-सामने खड़े दिखाई देते हैं। बीते कुछ दिनों से देशभर में युवा पीढ़ी—जिसे अब “जनरेशन-जी” कहा जाने लगा है—सड़कों पर थी। उनका गुस्सा सिर्फ बेरोजगारी या भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं था, बल्कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध ने इस आक्रोश को और भड़का दिया। इन प्रदर्शनों ने धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लिया और अंततः पूरे राजनीतिक तंत्र को हिला कर रख दिया। यही वजह रही कि शुक्रवार को नेपाल की राजनीति ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया—पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने का।
इस फैसले के साथ ही नेपाल की संसद को भंग कर दिया गया, मानो पूरे लोकतांत्रिक ढांचे पर रीसेट बटन दबा दिया गया हो। लेकिन यह सब हुआ कैसे? शुक्रवार सुबह का काठमांडू तनाव से भरा हुआ था। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल और जनरेशन-जी के प्रतिनिधि एक साथ बैठे। यह मुलाकात किसी सामान्य राजनीतिक वार्ता की तरह नहीं थी। यह बैठक नेपाल के भविष्य का रास्ता तय करने वाली थी।लंबी बातचीत और कई दौर की चर्चाओं के बाद आखिरकार एक नाम पर सहमति बनी—सुशीला कार्की।
उनकी छवि एक ईमानदार, निष्पक्ष और सख्त प्रशासक की रही है। यही कारण था कि उन्हें सभी पक्षों ने स्वीकार किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार रात 8:45 बजे वह राष्ट्रपति भवन में शपथ लेंगी और इस तरह नेपाल एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा।सुशीला कार्की का नाम नेपाल के न्यायिक इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। उनका जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर में हुआ। पढ़ाई-लिखाई के लिए उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का रुख किया और वहाँ से राजनीति शास्त्र में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा यहीं खत्म नहीं हुई। वे नेपाल लौटीं और त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की।
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