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Trump tariff war: India imposed 50% tariff and then gave China 90 days time, this is the game in America
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Trump Tariff War: भारत पर लगाया 50% टैरिफ फिर चीन को दी 90 दिनों की मौहलत,अमेरिका ये है खेल
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: साहिल सुयाल Updated Sun, 10 Aug 2025 06:25 PM IST
वॉशिंगटन की सुबह थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति के गलियारों में गर्मी बढ़ने लगी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर एक बार दुनिया को चौंका दिया था। उनके ताज़ा ऐलान ने वैश्विक व्यापार जगत को हिलाकर रख दिया—चीन को उन्होंने 90 दिन का समय दिया, जबकि भारत पर टैरिफ का सबसे बड़ा वार तुरंत कर दिया गया।दरअसल, ये कहानी महज़ आर्थिक आंकड़ों की नहीं, बल्कि उस रणनीति की है जिसमें राजनीति, कूटनीति और आर्थिक दबाव एक साथ बुने गए हैं। यह वह दौर है जब अमेरिका "अमेरिका फर्स्ट" की नीति के तहत, वैश्विक व्यापार के नियमों को अपने हित में मोड़ने की कोशिश कर रहा था।
ट्रंप का ऐलान दो हिस्सों में बंटा हुआ था। पहले हिस्से में चीन को उन्होंने 90 दिन की मोहलत दी—ताकि बौद्धिक संपदा (Intellectual Property), तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer), और कृषि आयात (Agricultural Imports) जैसे मुद्दों पर बातचीत हो सके और रियायतें ली जा सकें। ट्रंप जानते थे कि चीन के साथ टकराव सीधा-सीधा अमेरिकी उपभोक्ताओं, कंपनियों और शेयर बाजार पर असर डालेगा।दूसरे हिस्से में भारत आया—जहां ट्रंप प्रशासन ने बिना किसी देरी के 25% टैरिफ लागू कर दिया। इतना ही नहीं, चेतावनी भी दे दी कि अगर समझौता नहीं हुआ तो 27 अगस्त से यह टैरिफ 50% हो जाएगा—जो पूरी दुनिया में सबसे ऊंचा होगा। यह कदम पूरी तरह से अचानक नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी योजना का हिस्सा था।
अमेरिकी मीडिया और रणनीतिक विशेषज्ञों ने तुरंत इस फैसले की तह में जाने की कोशिश की। नतीजा साफ था—यह कदम सिर्फ आर्थिक नहीं था। यह एक राजनीतिक और कूटनीतिक चाल थी। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बयान दिया कि चीन के साथ व्यापार वार्ता अंतिम चरण में है, और 90 दिन का समय दोनों पक्षों को एक सौदे तक पहुंचने के लिए दिया गया है।मकसद साफ था—अमेरिका चाहता था कि टकराव की बजाय रियायतों के बदले राजनीतिक लाभ लिया जाए। और इसके लिए चीन के साथ बातचीत के दरवाजे खुले रखना ज़रूरी था।"द वॉल स्ट्रीट जर्नल" ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा चीन जितना बड़ा नहीं है। लेकिन ट्रंप टीम ने भारत को एक "कम राजनीतिक जोखिम" वाला टारगेट माना। यानी, भारत पर दबाव डालना आसान होगा, इससे घरेलू उद्योगों को भी संदेश जाएगा कि प्रशासन संरक्षणवाद (Protectionism) के प्रति गंभीर है, और चीन से डील करने के लिए समय भी बच जाएगा।
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