आगर मालवा में स्थित विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर में अब वही पंडित हवन और पूजन कर सकेंगे, जिन्होंने संस्कृत से 12वीं की परीक्षा पास की हो। साथ ही मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पूजा विधि कर्मकांड में एक साल का डिप्लोमा या शास्त्रीय आचार्य की डिग्री भी आवश्यक है। यह जानकारी अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) सर्वेश यादव ने आध्यात्मिक विभाग मंत्रालय, भोपाल से आए आदेश का पालन करवाते हुए पंडितों को दी।
पंडितों की अधिकतम आयु 65 वर्ष निर्धारित की गई
एसडीएम ने बताया कि मंदिर में पूजन के लिए नए नियमों के अनुसार पंडितों की अधिकतम आयु 65 वर्ष निर्धारित की गई है। इसके अलावा, उनका आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए और वे किसी भी सरकारी सेवा में कार्यरत न हों। उन्हें पुलिस थाने का चरित्र प्रमाण पत्र और इस आशय का शपथ पत्र भी प्रस्तुत करना होगा। रजिस्ट्रेशन में आगर-मालवा जिले के मूल निवासी पंडितों को प्राथमिकता दी जाएगी। एसडीएम ने यह भी बताया कि 50 वर्ष से अधिक आयु के पुराने पंडितों को न्यूनतम योग्यता 6 माह में पूरी करना अनिवार्य होगा। साथ ही, पूजा-पाठ करने वाले पंडितों को शुद्ध हवन सामग्री और घी का ही उपयोग करना होगा।
तो होगी कार्रवाई
यदि कोई पंडित पान, गुटखा या अन्य मादक पदार्थ का सेवन करते हुए पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। मंदिर समिति के प्रशासक को यह अधिकार होगा कि यदि कोई सूचीबद्ध पंडित अनुशासनहीनता या मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला व्यवहार करता है, तो उसके विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई की जा सकेगी।
यह रहे मौजूद
इस दौरान एसडीएम सर्वेश यादव, मुख्य पुजारी गोपाल दास पंडा, मंडल अध्यक्ष पवन वेदिया, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष कमल यादव, नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि विजय सोनी, प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेश कश्यप, विधायक के निजी सचिव मेहरबानसिंह सिसोदिया, नगर परिषद राजस्व निरीक्षक बाबूसिंह राजपूत सहित पत्रकार और पंडित उपस्थित थे।
मां बगलामुखी धाम- फोटो : credit
मां बगलामुखी धाम- फोटो : credit