दमोह शहर के कैदों की तलैया पर रहने वाली कई महिलाएं और बेटियां कभी कबाड़ बीनकर अपनी जिंदगी गुजार रही थीं, लेकिन आज एक छोटे से प्रयास से वही बेटियां सिलाई, कढ़ाई के साथ कंप्यूटर भी सीख रही हैं।
दरअसल, शहर की कैदों की तलैया में रहने वाले अधिकांश परिवारों की महिलाएं और बालिकाएं पन्नी व कबाड़ बीनने का काम करती हैं, जिससे वे अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। ऐसी बालिकाओं और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर की पहल पर बस्ती का सर्वे कराया गया और निःशुल्क प्रशिक्षण देने के लिए महिलाओं व बालिकाओं के परिजनों से चर्चा की गई। इसके बाद उन्हें प्रशिक्षण केंद्र का विजिट भी करवाया गया। सहमति मिलने पर सेडमैप द्वारा महिलाओं और बालिकाओं को केंद्र में सिलाई और ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। कुछ बालिकाएं बेसिक कंप्यूटर का भी प्रशिक्षण प्राप्त करने पहुंच रही हैं।
प्रशिक्षण के लिए नहीं है कोई समय सीमा
सेडमैप जिला समन्वयक पीएन तिवारी ने बताया कि अब तक 40 बालिकाओं और महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पंजीयन कराया है। इसके लिए सुबह से शाम तक वे जितना समय चाहें, सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती हैं। बालिकाएं इसमें खासा उत्साह भी दिखा रही हैं। कुछ सदस्य अभी भी अपने पुराने काम से जुड़े रहते हुए दोपहर में सेंटर पर आकर दो से तीन घंटे तक सिलाई और ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण ले रही हैं।
ऋण उपलब्ध कराने का भी होगा प्रयास
तिवारी ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए ऋण उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया जाएगा। इसके लिए उनके बैंक खाते भी खुलवाए जा रहे हैं और जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें सेंटर से ही तैयार कराया जा रहा है। इस तरह उनके जीवन के साथ सामाजिक बदलाव भी आएगा। महिलाएं और बालिकाएं स्वरोजगार की दिशा में आत्मनिर्भर भी बनेंगी।
बोलचाल और रहन-सहन में आया बदलाव
खास बात यह है कि प्रशिक्षण केंद्र पर पहुंचने के बाद से उनके बोलचाल, रहन-सहन और पहनावे में भी सुधार देखने को मिल रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त कर रही रोशनी, छाया, पलक, शीतल, अमोली और सांची ने बताया कि वे सिलाई के साथ ही ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण भी ले रही हैं।