मध्यप्रदेश के हरदा जिले के ग्रामीण अंचल में बीते दिनों हुई चोरी की बड़ी घटनाओं में शामिल चोर ग्रुप के दो सदस्यों को पकड़ने में पुलिस को बड़ी सफलता हासिल हुई है। जिले के छीपाबड़ थाना क्षेत्र में लगातार सामने आ रही चोरी की घटनाओं के बाद स्थानीय पुलिस टीम आरोपियों की सरगर्मी से तलाश कर रही थी। इस बीच जानकारी मिलते ही दो आरोपियों को धरदबोचा गया, जिनके कब्जे से करीब 12 लाख रु के जेवरात भी बरामद किए गए हैं। इस गैंग के कुल 8 सदस्यों में से चार सदस्य पहले ही पकड़े जा चुके हैं, जिसके बाद अब पकड़े गए दो सदस्यों से कुल 9 चोरियों का खुलासा हुआ है।
हरदा जिले के छीपाबड़ थाना क्षेत्र में विगत वर्ष चोरी की कई बड़ी घटनाएं हुई थीं। जिसे लेकर पुलिस पर भारी दबाव था। इसको लेकर हरदा एसपी अभिनव चौकसे ने खिरकिया एसडीओपी रॉबर्ट गिरबाल के नेतृत्व में टीआई मुकेश गौड़ ने आरोपियों को पकड़ने के लिए कई जगह दबिश भी दी थी। इसी बीच मुखबिर से मिली सूचना पर छीपाबड़ थाना अंतर्गत ग्राम नांदिया खेड़ा में दो आरोपियो को गिरफ्तार किया गया। दोनों ही आरोपी शिवपुर जिला नर्मदापुरम के बताए जा रहे हैं। पकड़े गए आरोपियों ने क्षेत्र के करीब आधा दर्जन गांवों में चोरी की वारदातों को अंजाम देना कबूल किया है। इस दौरान उनके कब्जे से करीब 12 लाख रुपए के सोने और चांदी के जेवरात भी जब्त किए गए हैं। बता दें कि इससे पहले भी इसी पारदी गैंग के चार अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
हरदा एसपी ने किया चोर गैंग का खुलासा
इधर इस मामले में हरदा एसपी अभिनव चौकसे ने बताया कि छीपाबड़ थाना क्षेत्र के नांदिया खेड़ी गांव के दो लोगों से संदेह के आधार पर गुरुवार को पूछताछ की गई थी, जिनके नाम जगदीश और राजकुमार थे, और ये दोनों एक पुराने मामले में भी पुलिस रिकॉर्ड में वांटेड थे। जब इन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो इन्होंने कुल नो चोरियां करना कबूला है। इनकी कुल राशि करीब 12 लाख रुपए हैं। वहीं उन्होंने बताया कि पकड़े गए दोनों बदमाशों का एक पूरा आठ लोगों का गैंग है, जिनमें से तीन सदस्य पहले ही सिराली थाने के अंतर्गत पकड़े गए थे, और एक सदस्य भी अभी कुछ दिन पहले ही पकड़ा गया है। इसके बाद अब यह दो सदस्यों को छीपाबड़ थाना पुलिस ने पकड़ा है, जिन्हें आज कोर्ट में पेश किया गया है।
इस तरह देते थे चोरी की घटना अंजाम
हरदा एसपी चौकसे ने पकड़े गए बदमाशों के चोरी करने के तरीके को लेकर बताया कि सबसे पहले चोर गैंग के ये लोग घर की रेकी करते थे। इसके लिए उस घर के आसपास कुछ सामान बेचने की कोशिश करते थे, और उस बहाने यह लोग ये भांप लेते थे कि किस घर की रेकी कर उसमें चोरी करना है। इसके कुछ दिनों बाद ये लोग रात के करीब एक से तीन बजे के बीच, चोरी की घटना अंजाम देने उस घर में पहुंचते थे, जहां ये लोग गिरमिट लगाकर लकड़ी और लोहे के दरवाजों को खोलते थे। गिरमिट से दरवाजों में होल कर उसमें हाथ डालकर दरवाजे को अंदर से ही खोल देते थे, और फिर तीन या चार के ग्रुप में घर में घुसकर अलमारी को तोड़ते, और चोरी की घटना को अंजाम देते थे।