मध्यप्रदेश के हरदा जिले में पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के बाद से ही पीड़ित परिवार मुआवजे के लिए भटकते नजर आ रहे हैं। मुआवजा राशि बढ़ाए जाने और उससे जुड़ी अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर से ये ब्लास्ट पीड़ित परिवार के लोग हरदा से पैदल मार्च करते हुए सीएम हाउस अपना दुखड़ा सुनाने निकले थे। लेकिन मंगलवार को इन पीड़ितों को भोपाल के पास रोक लिया गया।
वहीं, पीड़ितों का आरोप है कि इस दौरान उनके साथ शामिल महिला और बच्चों के साथ पुलिस ने जमकर मारपीट की और गाली-गलौज करते हुए बदतमीजी भी की। लोकतंत्र में मोहन सरकार की हिटलरशाही का रवैया सामने आया है। पीड़ितों का कहना था कि उन्हें जबरदस्ती एक बस में बैठाकर वहां से दूर ले जाया गया। जबकि वे शांतिपूर्ण रूप से सीएम मोहन यादव से मिलने निकले थे और अधिकारियों ने एक दिन पहले ही उन्हें सीएम से मिलाने का वादा भी किया था।
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इस बीच प्रदेश के पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने भी ट्वीट कर सरकार से सवाल पूछा है कि क्या मध्यप्रदेश में तानाशाही चल रही है। जो प्रदेश के पीड़ित लोग अपने मुख्यमंत्री से नहीं मिल सकते। बता दें कि हरदा में बीते साल फ़रवरी माह में पटाखा फैक्ट्री में भीषण ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई थी तो वहीं सौ से अधिक घर इस ब्लास्ट की चपेट में आने से मामूली या पूरी तरह से बर्बाद हुए थे, जिनके पीड़ित अब तक मुआवजे के लिए अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक के चक्कर काट रहे हैं।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा
हरदा से भोपाल पदयात्रा कर आ रहे हरदा ब्लास्ट के पीड़ितों को जब पुलिस ने नर्मदापुरम रोड पर रोक लिया तो पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या मप्र में तानाशाही चल रही है। जो कि आमजन अपनी बात मुख्यमंत्री से नहीं कर सकते? इसके साथ ही उन्होंने ब्लास्ट से पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाने की भी मांग की है। उन्होंने लिखा है कि हरदा ब्लास्ट के पीड़ित परिवार अपनी मांगों को लेकर तीन अप्रैल को हरदा से भोपाल तक पदयात्रा कर मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलने आ रहे थे।महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों को पुलिस ने सागर हॉस्पिटल के पास बल पूर्वक रोक लिया है। क्या प्रदेश में तानाशाही चल रही है कि जनता अपनी बात मुख्यमंत्री से नहीं कर सकती? हमारी मांग है कि ब्लास्ट से पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए।
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महिला एवं बच्चों से पुलिस ने की मारपीट
वहीं, इस घटना को लेकर हरदा ब्लास्ट पीड़ित युवक परेश नागर ने बताया कि वे लोग तीन अप्रैल को हरदा से शांतिपूर्ण रूप से अपना विरोध दर्ज कराने पैदल निकले थे और सात अप्रैल को भोपाल में उन्होंने प्रवेश किया था, जिसके बाद कल देर शाम प्रशासन के अधिकारियों से उन लोगों की बात भी हुई थी, जिन्होंने आज मंगलवार को सीएम से मिलवाने की बात कही थी। उनसे अधिकारियों ने वादा किया था कि आपको पांच नंबर तक पैदल लेकर जाया जाएगा, जिसके बाद वहां से आप में से पांच लोगों को सीएम हाउस में तीन बजे सीएम से मिलवाया जाएगा। उसी अनुसार जब वे लोग मंगलवार को सुबह 11 मिल क्षेत्र से आगे बढ़े। तब उन्हें मिसरोद के पास रोक लिया गया और बोला गया कि आपसे कोई अधिकारी यहीं पर मिलने आ रहे हैं। इसके कुछ देर बाद अचानक पुलिस वालों ने हमसे कोई बात नहीं की और सीधे हमारे साथ जोर जबरदस्ती कर बदतमीजी की और उन्हें भी मारा पीटा गया। उनके साथ गाली-गलौज की और जो भी लोग वहां वीडियो बना रहे थे, उनके मोबाइल छीन कर तोड़ दिए गए और महिला और बच्चों से भी मारपीट की गई।
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लोकतंत्र में मोहन सरकार का हिटलर शाही का रवैया
वहीं परेश ने बताया कि मारपीट करने वालों में मिसरोद टीआई भदोरिया और एडिशनल एसपी सहित कई सारे पुलिस वाले शामिल थे। इन सभी ने महिला और बच्चों से भी इतनी बदतमीजी और गाली-गलौज से बात की है कि पुलिस का ऐसा रूप हम लोगों ने कभी नहीं देखा। जैसा आज उनके साथ व्यवहार हुआ है, यह लोकतंत्र में मोहन सरकार का हिटलर शाही का रवैया देखने को मिला है। और जिसने भी वहां का मंजर देखा है, उसकी आत्मा रो पड़ी होगी। इसलिए पुलिस के प्रति जो हमारा सम्मान था, आज वह सम्मान हमारा खत्म हो गया है।