खंडवा जिले के पिपलोद थाना क्षेत्र में एक झोला छाप डॉक्टर के गलत इलाज के चलते दो साल के मासूम की मौत का बड़ा मामला सामने आया है। यह घटना गुरुवार रात की बताई जा रही है। इसके बाद शुक्रवार को खंडवा जिला चिकित्सालय में मृतक बालक का पोस्टमार्टम कराया गया।
इस मामले में आदिवासी संगठन जयस की शिकायत पर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ पिपलोद थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि घटना के सामने आते ही मेडिकल अस्पताल की डॉक्टरों की टीम गठित कर पूरे मामले की जांच कर रही है।
साथ ही सीएमएचओ को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे ऐसे झोला छाप डॉक्टरों की पहचान कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। बताया जा रहा है कि आरोपी झोला छाप डॉक्टर विदेश में डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा था, लेकिन कोरोना काल में पढ़ाई अधूरी छोड़कर खंडवा वापस आ गया। इसके बाद उसने अपने गांव में बिना डिग्री हासिल किए ही प्रैक्टिस शुरू कर दी। इतने समय से प्रैक्टिस करने के बावजूद अब तक किसी सरकारी अधिकारी की उस पर निगाह नहीं पड़ना भी जयस सहित आम लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
खंडवा जिले से शुक्रवार को एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया। पिपलोद थाना क्षेत्र के गांधवा गांव में झोला छाप डॉक्टर की लापरवाही से दो साल के मासूम की मौत हो गई। डॉक्टर ने मासूम को हेवी डोज दे दिया, जिसके चलते उपचार के दौरान उसकी हालत बिगड़ गई और मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद डॉक्टर क्लीनिक छोड़कर फरार हो गया। इसके बाद परिजन और आदिवासी संगठन जयस के लोग पिपलोद थाने पहुंचे और पूरी घटना को लेकर आक्रोश जताया। इसके बाद आरोपी डॉक्टर हिमांशु के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज कर ली। घटना के बाद ग्रामीण भी सदमे में हैं।
पीड़ित परिवार का कहना है कि उनका दो साल का बेटा बीमार था। आदिवासी लाभु जमरे ने बताया कि स्थानीय झोला छाप डॉक्टर हिमांशु से इलाज करवाया, जो बिना किसी मेडिकल डिग्री के प्रैक्टिस कर रहा था। बुधवार रात खंडवा ले जाने के लिए वाहन नहीं था, इसलिए डॉक्टर से इलाज कराया। डॉक्टर ने बच्चे को गलत इंजेक्शन और स्लाइन दिया। चार बोतल स्लाइन चढ़ने से बच्चे की हालत तेजी से बिगड़ी और उसकी मौत हो गई।
बच्चे की मौत के बाद गांव में हड़कंप मच गया। जयस संगठन के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और पिपलोद थाने पहुंचकर डॉक्टर के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। संगठन के नेता अंतर डाबर ने कहा कि ऐसे फर्जी डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में गरीबों की जान से खेल रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की।
अंतर सिंह डाबर ने कहा कि यह पहली घटना नहीं है। आदिवासी भाई-बहनों को बार-बार ऐसे झोला छाप डॉक्टरों का शिकार बनना पड़ता है। उन्होंने कहा, "हम आक्रोशित हैं और मांग करते हैं कि डॉक्टर हिमांशु को गिरफ्तार किया जाए। सरकार ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करे, नहीं तो हम आंदोलन तेज करेंगे। मेरा बेटा बस थोड़ा बीमार था। हमने डॉक्टर हिमांशु पर भरोसा किया, लेकिन उसने गलत दवा दी। अब हमारा बच्चा चला गया। हम न्याय चाहते हैं।"
घटना की शिकायत मिलते ही पुलिस हरकत में आई और आरोपी डॉक्टर हिमांशु पर मामला कायम किया गया। डॉक्टर पर लापरवाही के तहत FIR दर्ज की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जांच जारी है, पीएम रिपोर्ट आने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा। हालांकि डॉक्टर फिलहाल फरार बताया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग भी यह जांच कर रहा है कि आरोपी बिना लाइसेंस कैसे प्रैक्टिस कर रहा था।
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खंडवा अपर कलेक्टर काशीराम बडोले ने कहा कि एक मासूम बच्चे की मौत का मामला सामने आया है। गलत इलाज की वजह से उसकी जान चली गई। उन्होंने तुरंत डॉक्टर की टीम बनाकर मामले की जांच करवाई है। पुलिस ने भी आरोपी के विरुद्ध FIR दर्ज कर ली है। उन्होंने CHMO को सख्त निर्देश दिए हैं कि जिले में सभी डॉक्टरों की जांच की जाए और जो वैध नहीं हैं उनके ऊपर सख्ती से कार्रवाई की जाए।