मृत व्यक्ति की अर्थी को कंधा देने के लिए आमतौर पर 4 लोगों की आवश्यकता होती है। सनातन संस्कृति में इसका बखूबी उल्लेख है। लेकिन, गुना जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां अर्थी को कंधा देने के लिए कम से कम 8 या 10 लोगों की जरूरत पड़ती है, अन्यथा अर्थी श्मशान घाट तक नहीं पहुंच सकती।
चांचौड़ा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत तलावड़ा के मजरा सानई के लोगों की मजबूरी है कि उन्हें अर्थी को कंधा देने के लिए 4 से अधिक लोगों का सहारा लेना पड़ता है। इसकी वजह गांव से श्मशान तक पहुंचने वाला मार्ग है, जो पक्का नहीं है और बारिश में पानी भरने से चलने योग्य नहीं रहता। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, तो उसकी अर्थी को श्मशान घाट तक पहुंचाना तब तक संभव नहीं होता जब तक 8 से 10 लोग उसे सहारा न दें। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लगभग एक किलोमीटर का रास्ता ऊबड़-खाबड़ है और बारिश के समय उसमें एक फीट तक पानी भर जाता है। अगर, 4 लोग अर्थी लेकर चलेंगे, तो उनके गिरने का खतरा रहता है, और रास्ते की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ऐसा संभव भी नहीं है। इसलिए कम से कम 8 लोग अर्थी को सहारा देते हैं, तब जाकर मृत व्यक्ति श्मशान तक पहुंचता है और बाद में अंतिम संस्कार किया जाता है।
इस तरह का ताजा मामला हाल ही में शनिवार को सामने आया, जब गांव के ही फूलचंद मीना नामक बुजुर्ग की मृत्यु हो गई। परिजन और रिश्तेदार फूलचंद का अंतिम संस्कार करने के लिए रवाना हुए, तो उन्हें ऊबड़-खाबड़ और जलभराव वाले मार्ग में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ग्रामीण बताते हैं कि ऐसी स्थिति हाल-फिलहाल की नहीं है, बल्कि कई सालों से ऐसी ही है। जिसकी ओर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया है।