दुनिया भर में रुपयों व जेवरों से अपनी अनूठी सजावट के लिए मध्यप्रदेश के रतलाम शहर के माणकचौक में स्थित प्रसिद्ध श्री महालक्ष्मी मंदिर में दीपावली पर्व के तहत सजावट शुरू कर दी गई है। अब तक 300 से ज्यादा भक्त रुपए व जेवर मंदिर में जमा करा चुके हैं। पहले यहां रुपए व जेवर जमा कराने वालों के नाम व अन्य जानकारी रजिस्ट्रर में नोट की जाती थी, लेकिन इस वर्ष मंदिर में ऑनलाइन एंट्री की जा रही है। जेवरों व रुपयों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाकर बंदूकधारी गार्ड्स तैनात किए गए हैं। साथ ही सीसीटीवी कैमरों से भी निगरानी की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि माणकचौक स्थित प्राचीन श्री महालक्ष्मीजी का बड़ा मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां दीपावली पर्व पर लाखों रुपए के साथ ही सोने-चांदी के जेवरों से मंदिर की सजावट की जाती है। रुपए व जेवर भक्तों द्वारा दिए जाते हैं तथा दीपावली पर्व के बाद भाईदूज के दिन प्रसादी के रुपए में भक्तों को उनके रुपए और जेवर वापस लौटा दिए जाते हैं। चार दिन से यहां भक्तों द्वारा रुपये व जेवर जमा कराने का कार्य किया जा रहा है। कोई दस तो कोई 20, 50, 100, 200 व 500 रुपयों के नोट की गड्डी जाम करा रहे हैं। रुपयों को मंदिर परिसर में हार के रूप में नोटों की लड़ियां बनाकर मंदिर में जगह-जगह उनकी सजावट की जा रही है। पिछले वर्ष मंदिर में करीब पौने दो करोड़ रुपयों के नोटों व साढ़े तीन करोड़ से अधिक के जेवरों से सजावट की गई थी। इस बार पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया जजा रहा है। भक्तों द्वारा जमा कराए जा रहे रुपयों व जेवरों की लैपटॉप में आनलाइन इंट्री करने के साथ ही भक्तों को टोकन के रूप में रसीद भी दी जा रही है। साथ ही भक्तों का फोटो एक रजिस्टर में लगाने के साथ ही भक्तों के आधार व मोबाइल नंबर भी दर्ज किए जा रहे हैं। कोई भक्त दस हजार तो कोई भक्त पचास हजार तथा कई भक्त एक लाख या उससे ज्यादा रुपए जमा करा रहे हैं।
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पांच दिनों के लिए खास महत्व
प्राचीन महालक्ष्मीजी का मंदिर पूरे साल में दीपोत्सव के दौरान पांच दिनों के लिए खास रूप में रुपयों व जेवरों से विशेष रूप से सजाया जाता है। इस कारण यह मंदिर रुपयों व जेवरों से सजाने का आयोजन करने वाला देश का एक मात्र मंदिर होकर देशभर में अपनी तरह की अलग पहचान रखता है। दीपावली के एक सप्ताह पहले से सजावट शुरू कर दी जाती है। दीपोत्सव के पांच दिनों तक रुपयों व जेवरों से सजा यह मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहता है। दीपावली पर्व के दौरान महालक्ष्मी मंदिर के दर्शन और उनकी विशेष साज-सज्जा को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि जिस व्यक्ति का धन महालक्ष्मी के शृंगार में इस्तेमाल होता है, उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
श्री महा लक्ष्मीनारायण मंदिर में भी सजावट
माणकचौक स्थित प्रसिद्ध श्री महालक्ष्मी मंदिर के साथ ही इस बार कालिका माता मंदिर क्षेत्र में स्थित श्री महा लक्ष्मीनारायण मंदिर को भी रुपये व जेवरों से सजाया जाएगा। यहां भी भक्तों द्वारा अपना-अपना धन देना प्रारंभ दिया गया है। साथ ही रुपयों व जेवरों से मंदिर की सजावट प्रारंभ कर दी गई है। रुपया व जेवर जमा कराने वाले भक्तों के आधार कार्ड की फोटोकॉपी लेकर उन्हें रसीद दी जा रही है।
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डिजिटल की गई व्यवस्था, ओटीपी बताने पर लिया जा रहा धन
मंदिर के पुजारी अश्विन पुजारी ने बताया कि महालक्ष्मीजी का बड़ा मंदिर राजा-महाराजाओं के जमाने का अति प्राचीन मंदिर है। यहां की मान्यता है कि दीपावली के समय भक्त अपना धन माताजी के मंदिर को सजाने के लिए, भव्यता को दर्शाने के लिए मंदिर में देकर जाते हैं ताकि मंदिर भव्य तरीके से सजे। भक्तों को उनका धन वापस लौटा दिया जाता है, जिससे उनके घर में पूरे वर्ष सुख, समृद्धि व बरकत बनी रहती है। कई वर्षों से मंदिर सजाने का क्रम चल रहा है। रुपये व जेवर लेने की प्रक्रिया को इस वर्ष अपग्रेड कर डिजिटल किया गया है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। जब भी हम भक्तों से धन ले रहे हैं तो उनका रजिस्ट्रेशन लैपटॉप पर किया जा रहा है, तब उनके पास ओटीपी जाता है। ओटीपी बताने पर उनका धन लिया जाता है। जब वे वापस लेने आएंगे, तब भी इसी प्रक्रिया को दोहराया जाएगा।
चार कैमरे और बढ़वाए गए
माणकचौक थाना प्रभारी अनुराग यादव ने बताया कि महालक्ष्मीजी का यह मंदिर प्राचिन मंदिर है, भक्तों की आस्था जुड़ी है। दीपावली पर्व पर भक्त यहां नकदी व जेवर सजावट के लिए देते हैं, जिससे मंदिर का शृंगार किया जाता है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं। मंदिर में पहले से आठ सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, चार और बढ़वाए गए हैं। निरंतर सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की जा रही है।