स्वतंत्रता दिवस का दिन केंद्रीय जेल सागर में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 14 बंदियों के जीवन में खुशहाली लेकर आया। इस दिन उन्हें फिर से खुली हवा में सांस लेने का मौका मिला, जब उन्हें केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्य शासन द्वारा केन्द्रीय जेल सागर से आजीवन कारावास के 13 पुरुष तथा एक महिला कुल 14 बंदियों को रिहा किया गया। मध्यप्रदेश शासन जेल विभाग की रिहाई नीति के अंतर्गत धारा 302 के तहत आजीवन कारावास से दंडित इन बंदियों को सजा में विशेष माफी प्रदान की गई है। इस नीति के अंतर्गत आजीवन कारावास से दंडित बंदियों में दुष्कर्म, पॉक्सो आदि प्रकरण वाले दंडित बंदियों को किसी भी प्रकार की माफी प्रदान नहीं की गई है। रिहा किए जा रहे बंदियों को जेल में बंद रहने के दौरान उनके पुनर्वास हेतु उन्हे टेलरिंग, कारपेंटरी, लोहारी, भवन मिस्त्री, भवन सामग्री निर्माण आदि का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, ताकि रिहा होने के पश्चात् वे अपनी जीवकोपार्जन के साधन अर्जित कर सकें।
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वर्ष में पांच अवसरों पर रिहा होते हैं बंदी
मध्यप्रदेश शासन की रिहाई नीति में आवश्यक संशोधन किया गया है और अब आजीवन कारावास से दंडित बंदियों को वर्ष में पांच अवसरों पर रिहा किया जाएगा। पूर्व में गणतंत्र दिवस, अम्बेडकर जयंती, स्वतंत्रता दिवस एवं गांधी जयंती पर बंदी रिहा किए जाते थे। किन्तु अब राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस (15 नवम्बर) को भी आजीवन कारावास से दंडित बंदियों को पात्रतानुसार रिहा किया जाएगा।
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जेल अधीक्षक मानेन्द्र सिंह परिहार ने रिहा होने वाले बंदियों से उन्हे पुनः अपराध नहीं करने की अपील की है। साथ ही उनसे अपेक्षा की है कि वह जेल में परिरुद्ध रहने के दौरान जो कौशल और प्रशिक्षण अर्जित किया है उसका उपयोग अपने परिवार के जीवकोपार्जन एवं अच्छे समाज के नव-निर्माण में सहभागी बनने के लिए करेंगे।
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