सड़क पर खड़ी पुलिस देखकर हमेशा वाहन चालक भयभीत हो जाते हैं, लेकिन शहडोल की यातयात पुलिस कुछ और ही कर रही है, जिससे लोगों की जान भी बचाई जा सकती है। इसके लिए मुख्य चौराहा और ब्लैक स्पॉटों में स्थित दुकानदारों एवं अन्य लोगों को, सड़क हादसे में घायल लोगों की जान बचाने के लिए सीपीआर की ट्रेनिंग देती यातायात पुलिस दिखाई दे रही है। यह ट्रेनिंग दुकानदार और ब्लैक स्पॉट पर हमेशा मौजूद रहने वाले लोगों को दी जा रही है। जिससे कभी भी कोई सड़क हादसे में अगर गंभीर घायल हुआ हो तो उसकी जान सीपीआर के माध्यम से बचाई जा सकती है। यह पहल पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर शहडोल की यातायात पुलिस कर रही है। जिसको लेकर लोग यातायात पुलिस की काफी प्रशंसा कर रहे हैं।
क्या होता है सीपीआर
डॉ रुद्र द्विवेदी जो यातयात पुलिस के साथ लोगों को सीपीआर की ट्रेनिंग दे रहे है। उन्होंने बताया कि सीपीआर का मतलब कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन है। यह एक आपातकालीन, जीवन-रक्षक प्रक्रिया है जो तब की जाती है जब किसी व्यक्ति की साँस या दिल की धड़कन रुक जाती है। यह प्रक्रिया मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों में रक्त प्रवाह को बनाए रखने के लिए छाती पर दबाव डालने (Compression) और बचाव श्वास (Rescue Breath) का एक संयोजन है, जब तक कि व्यक्ति की सांसें या दिल की धड़कन फिर से शुरू न हो जाएं या चिकित्सा सहायता न मिल जाए।
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एक दिन में 200 से अधिक लोगों को दी ट्रेनिंग
यातयात पुलिस ने बघेल ढाबा और किया चौक जो ब्लैक स्पॉट माने जाते हैं, इन दो स्थानो पर लगभग 200 से अधिक लोगों को सीपीआर की ट्रेनिंग दी है। यातयात प्रभारी ने बताया कि यह अभियान पुलिस मुख्यालय के निर्देश में चल रहा है। जो तीन दिनों तक चलेगा। जिले में कई चिह्नित ब्लैक स्पॉट हैं, जहां हम लोगों को सीपीआर की ट्रेनिंग देंगे। यातयात प्रभारी प्रियंका शर्मा ने कहा पुलिस मुख्यालय के निर्देश में यह ट्रेनिंग 3 दिन तक ब्लैक स्पॉटों पर दी जा रही है। जिससे लोगों की जान बचाई जा सकती है। जिले में कई ब्लैक स्पॉट चिन्हित है, जहां यातयात पुलिस के साथ डॉक्टर मौके पर पहुंच लोगों को इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं।